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वाराणसी: कोरोना वायरस ने युवाओं के जीवन को किया प्रभावित

कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा प्रभाव युवाओं के जीवन पर डाला है. कोरोना काल के दौरान कई युवाओं की नौकरी छिन गई तो कईयों की शिक्षा पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. हालांकि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से कई संस्थानों ने इस समस्या को हल करने का प्रयास किया है, लेकिन इसके बावजूद स्कूल कॉलेज न खुलने के कारण युवाओं में तनाव साफ देखा जा सकता है.

कोरोना ने युवाओं के जीवन को किया प्रभावित
कोरोना ने युवाओं के जीवन को किया प्रभावित
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Published : Aug 6, 2020, 2:59 PM IST

वाराणसी: कोरोना महामारी ने पूरे देश में भारी तबाही मचाई है. इस महामारी का असर हर वर्ग के लोगों के जीवन पर पड़ा है. साथ ही उद्योग धंधे भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण स्कूल से लेकर विवि तक सभी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्रों का कोर्स कंप्लीट कराने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन इन सबके बीच कोविड-19 का गहरा असर युवाओं के जीवन शैली व मनोभाव पर भी पड़ा है.

वर्तमान में युवाओं को अपने वर्तमान व भविष्य दोनों की चिंता सता रही है. जिसको लेकर के युवाओं में मानसिक रूप से असंतोष व तनाव की भावना उत्पन्न हो रही है. क्योंकि इस दौर में स्कूल कॉलेज बंद होने से बच्चों की पढ़ाई में जहां बाधाएं आ गई है तो वहीं कई लोगों की नौकरी भी जा चुकी है. जिसके वजह से उनके जीवन यापन में भी काफी मुश्किल हो रही है.

कोरोना ने युवाओं के जीवन को किया प्रभावित

युवाओं के जीवन में प्रभाव
कोरोना वायरस ने युवाओं के जीवन में किस तरह से प्रभाव डाला है इस बारे में युवाओं से बातचीत की गई कि इन दिनों वह किस प्रकार के द्वंद से जूझ रहे हैं. साथ ही उनके सामने किस प्रकार की चुनौतियां खड़ी है.सबसे पहले हमने इंटरमीडिएट पास कर ग्रेजुएशन में एडमिशन अप्लाई करने के वाले निखिल यदुवंशी से बातचीत की तो उनका कहना रहा कि कोविड-19 ने पूरा साल खराब कर दिया है. हमने अपने फ्यूचर को लेकर के बहुत सारे प्लान बनाए थे. सोचा था कि कहां-कहां हमें अप्लाई करना है, कौन सा कोर्स करना है. लेकिन इस महामारी के कारण अब हम सिर्फ अपने होम टाउन में ही एडमिशन के लिए प्रयास कर रहे हैं. हमारे पैरेंट्स हमे बाहर दूसरे राज्य में जाने की परमिशन नहीं दे रहे हैं.
दूसरे राज्यों में पढ़ाई करना मुश्किल
वहीं फार्मेसी से ग्रेजुएशन कंप्लीट कर पीजी में एडमिशन लेने वाली तान्या ने बताया कि उन्होंने इस साल फार्मेसी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है. वह पीजी के लिए अन्य स्टेट के यूनिवर्सिटी के एडमिशन का फॉर्म भी भरा हुआ है. लेकिन वह अब वह महामारी की वजह से नहीं जाएंगी. उन्होंने बताया कि कोविड-19 अभी तक पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ इस कारण दूसरे स्टेट में जाकर पढ़ना उनके लिए सेफ नहीं लग रहा है.
बेरोजगारी के कारण बढ़ा कम्पटीशन
वहीं बैंक व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली ऐश्वर्या ने बताया कि हम लोगों ने सोचा था कि इस साल हमारा कहीं प्लेसमेंट हो जाएगा. लेकिन लग रहा है कि अब अगले 2 साल तक हमें फिर से फाइट करना पड़ेगा क्योंकि हमारे सारे एग्जाम पोस्टपोन हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज भी बहुत फायदेमंद नहीं है. कभी नेटवर्क तो कभी कोई समस्या हमारे साथ लगी रहती है. ऑनलाइन स्टडी में हम टीचर के साथ इंटरैक्शन भी नहीं कर सकते हैं. इसलिए यह हमारे लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं है. महामारी के दौर में बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गए हैं. अब कम्पटीशन बहुत बढ़ गया है और सीट कम हो गई है.
महामारी के कारण रिचर्स पर प्रभाव
वहीं मुम्बई में रहकर मैनेजमेंट से रिसर्च कर रहे मृगांत त्रिपाठी ने बताया कि इस महामारी से उनके थिसिस पर भी काफी असर पड़ा है क्योंकि उनको डाटा के लिए फील्ड में जाना पड़ता है. महामारी के दौरान वह लोग अपने रिसर्च पर पूरी तरीके से फोकस नहीं कर पा रहे है. इसकी वजह से जो रिसर्च 6 महीने 1 साल में कंप्लीट होना था अब उसमे और ज्यादा समय लगेगा. इसके वजह से उनके फ्यूचर पर भी बहुत ज्यादा इफेक्ट होगा.उन्होंने बताया कि हम लोग फॉरेन में कंटिन्यू करने का सोच रहे थे. लेकिन वहां की स्थिति और खराब है. यूके और यूएस से यह दोनों एजुकेशनल प्वाइंट के रूप में देखे जाते हैं. इन दोनों देशों की स्थिति बेहद खराब है. हमें सिर्फ वहां जाकर पढ़ना नहीं है बल्कि रहना और खाना भी है और इस दौर में वहां सेटल करना बहुत मुश्किल है. कहीं ना कहीं इसने मानसिक तनाव ज्यादा डाला है.
रीडिंग राइटिंग से खुद को रखें तनाव मुक्त
कानपुर आईआईटी के मनोविज्ञान के प्रो. ब्रज भूषण ने बताया कि कोविड-19 के कारण सभी लोगों संग युवाओं में अनिश्चितता व तनाव की समस्या उत्पन्न हो रही है. युवा एक अलग तनाव भी महसूस कर रहे होंगे. आंख, गले व गर्दन की मांसपेशियां भी खींच रही होंगी. इसके साथ ही साथ आपके मन में लगातार अन्य कई सारे तनाव घर कर रहे होंगे. चूंकि इस परिस्थिति में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो आपके हाथ में नहीं है. परंतु फिर भी आप कुछ उपायों को करके खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं. क्योंकि इस तनाव के कारण आपके भविष्य व आपकी पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा होगा. इससे निकलने के लिए युवा लोगों के साथ इंटरैक्ट करना शुरू कर दें.सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं. समसामयिक मुद्दों पर अपनी राय रख सकते हैं. इसके साथ ही आपको जो चीजें सबसे ज्यादा प्यारी हो उदारहणस्वरूप रीडिंग, राइटिंग, प्लेइंग जो भी पसंद हो आप उसे करने में अपना समय व्यतीत कर सकते हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं. यदि फिर भी आपको अत्यधिक समस्या उत्पन्न हो रही हो तो आप काउंसलर की सलाह भी ले सकते हैं.
आपको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि तनाव लेने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है. समस्या का समाधान समय के हिसाब से हो जाएगा परंतु आपको इमोशनली, मेंटली मजबूत होने की जरूरत है. युवाओं के लिए सबसे आवश्यक बात यह है कि आप खुद को वास्तविकता के नजदीक रखकर के सोचे. हाइपोथेटिकल सोच से बचें और खुद का इम्यून स्ट्रांग रखें. जिससे आपको तनाव से मुक्ति मिलेगी.

वाराणसी: कोरोना महामारी ने पूरे देश में भारी तबाही मचाई है. इस महामारी का असर हर वर्ग के लोगों के जीवन पर पड़ा है. साथ ही उद्योग धंधे भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण स्कूल से लेकर विवि तक सभी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्रों का कोर्स कंप्लीट कराने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन इन सबके बीच कोविड-19 का गहरा असर युवाओं के जीवन शैली व मनोभाव पर भी पड़ा है.

वर्तमान में युवाओं को अपने वर्तमान व भविष्य दोनों की चिंता सता रही है. जिसको लेकर के युवाओं में मानसिक रूप से असंतोष व तनाव की भावना उत्पन्न हो रही है. क्योंकि इस दौर में स्कूल कॉलेज बंद होने से बच्चों की पढ़ाई में जहां बाधाएं आ गई है तो वहीं कई लोगों की नौकरी भी जा चुकी है. जिसके वजह से उनके जीवन यापन में भी काफी मुश्किल हो रही है.

कोरोना ने युवाओं के जीवन को किया प्रभावित

युवाओं के जीवन में प्रभाव
कोरोना वायरस ने युवाओं के जीवन में किस तरह से प्रभाव डाला है इस बारे में युवाओं से बातचीत की गई कि इन दिनों वह किस प्रकार के द्वंद से जूझ रहे हैं. साथ ही उनके सामने किस प्रकार की चुनौतियां खड़ी है.सबसे पहले हमने इंटरमीडिएट पास कर ग्रेजुएशन में एडमिशन अप्लाई करने के वाले निखिल यदुवंशी से बातचीत की तो उनका कहना रहा कि कोविड-19 ने पूरा साल खराब कर दिया है. हमने अपने फ्यूचर को लेकर के बहुत सारे प्लान बनाए थे. सोचा था कि कहां-कहां हमें अप्लाई करना है, कौन सा कोर्स करना है. लेकिन इस महामारी के कारण अब हम सिर्फ अपने होम टाउन में ही एडमिशन के लिए प्रयास कर रहे हैं. हमारे पैरेंट्स हमे बाहर दूसरे राज्य में जाने की परमिशन नहीं दे रहे हैं.
दूसरे राज्यों में पढ़ाई करना मुश्किल
वहीं फार्मेसी से ग्रेजुएशन कंप्लीट कर पीजी में एडमिशन लेने वाली तान्या ने बताया कि उन्होंने इस साल फार्मेसी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है. वह पीजी के लिए अन्य स्टेट के यूनिवर्सिटी के एडमिशन का फॉर्म भी भरा हुआ है. लेकिन वह अब वह महामारी की वजह से नहीं जाएंगी. उन्होंने बताया कि कोविड-19 अभी तक पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ इस कारण दूसरे स्टेट में जाकर पढ़ना उनके लिए सेफ नहीं लग रहा है.
बेरोजगारी के कारण बढ़ा कम्पटीशन
वहीं बैंक व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली ऐश्वर्या ने बताया कि हम लोगों ने सोचा था कि इस साल हमारा कहीं प्लेसमेंट हो जाएगा. लेकिन लग रहा है कि अब अगले 2 साल तक हमें फिर से फाइट करना पड़ेगा क्योंकि हमारे सारे एग्जाम पोस्टपोन हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज भी बहुत फायदेमंद नहीं है. कभी नेटवर्क तो कभी कोई समस्या हमारे साथ लगी रहती है. ऑनलाइन स्टडी में हम टीचर के साथ इंटरैक्शन भी नहीं कर सकते हैं. इसलिए यह हमारे लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं है. महामारी के दौर में बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गए हैं. अब कम्पटीशन बहुत बढ़ गया है और सीट कम हो गई है.
महामारी के कारण रिचर्स पर प्रभाव
वहीं मुम्बई में रहकर मैनेजमेंट से रिसर्च कर रहे मृगांत त्रिपाठी ने बताया कि इस महामारी से उनके थिसिस पर भी काफी असर पड़ा है क्योंकि उनको डाटा के लिए फील्ड में जाना पड़ता है. महामारी के दौरान वह लोग अपने रिसर्च पर पूरी तरीके से फोकस नहीं कर पा रहे है. इसकी वजह से जो रिसर्च 6 महीने 1 साल में कंप्लीट होना था अब उसमे और ज्यादा समय लगेगा. इसके वजह से उनके फ्यूचर पर भी बहुत ज्यादा इफेक्ट होगा.उन्होंने बताया कि हम लोग फॉरेन में कंटिन्यू करने का सोच रहे थे. लेकिन वहां की स्थिति और खराब है. यूके और यूएस से यह दोनों एजुकेशनल प्वाइंट के रूप में देखे जाते हैं. इन दोनों देशों की स्थिति बेहद खराब है. हमें सिर्फ वहां जाकर पढ़ना नहीं है बल्कि रहना और खाना भी है और इस दौर में वहां सेटल करना बहुत मुश्किल है. कहीं ना कहीं इसने मानसिक तनाव ज्यादा डाला है.
रीडिंग राइटिंग से खुद को रखें तनाव मुक्त
कानपुर आईआईटी के मनोविज्ञान के प्रो. ब्रज भूषण ने बताया कि कोविड-19 के कारण सभी लोगों संग युवाओं में अनिश्चितता व तनाव की समस्या उत्पन्न हो रही है. युवा एक अलग तनाव भी महसूस कर रहे होंगे. आंख, गले व गर्दन की मांसपेशियां भी खींच रही होंगी. इसके साथ ही साथ आपके मन में लगातार अन्य कई सारे तनाव घर कर रहे होंगे. चूंकि इस परिस्थिति में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो आपके हाथ में नहीं है. परंतु फिर भी आप कुछ उपायों को करके खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं. क्योंकि इस तनाव के कारण आपके भविष्य व आपकी पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा होगा. इससे निकलने के लिए युवा लोगों के साथ इंटरैक्ट करना शुरू कर दें.सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं. समसामयिक मुद्दों पर अपनी राय रख सकते हैं. इसके साथ ही आपको जो चीजें सबसे ज्यादा प्यारी हो उदारहणस्वरूप रीडिंग, राइटिंग, प्लेइंग जो भी पसंद हो आप उसे करने में अपना समय व्यतीत कर सकते हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं. यदि फिर भी आपको अत्यधिक समस्या उत्पन्न हो रही हो तो आप काउंसलर की सलाह भी ले सकते हैं.
आपको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि तनाव लेने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है. समस्या का समाधान समय के हिसाब से हो जाएगा परंतु आपको इमोशनली, मेंटली मजबूत होने की जरूरत है. युवाओं के लिए सबसे आवश्यक बात यह है कि आप खुद को वास्तविकता के नजदीक रखकर के सोचे. हाइपोथेटिकल सोच से बचें और खुद का इम्यून स्ट्रांग रखें. जिससे आपको तनाव से मुक्ति मिलेगी.
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