वाराणसी: महादेव की नगरी काशी गंगा जमुनी तहजीब के लिए जानी जाती है. यहां की बनारसी साड़ी, बनारसी पान सभी अपनी अलग पहचान रखतें है. यही वजह है कि ईद के मौके पर बनारस की सेवई मंडी की सेवइयों की डिमांड देश के विभिन्न स्थानों के साथ-साथ विदेशों में भी होती है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी का असर सेवई कारोबार पर बखूबी पड़ा. जिसकी वजह से इस बार ईद की सेवइयों की मिठास फीकी पड़ गई है.
गंगा जमुनी तहजीब की है अनोखी मिसाल
जिले के भदहू इलाके में स्थित सेवई मंडी में 50 से 60 परिवार अपने पूर्वजों के उद्योग को जिंदा रखने में जी-जान से जुटे हुए हैं. यहां 12 महीने सेवई बनाई जाती है, लेकिन ईद के मौके पर कारोबार में तेजी आ जाती है और कारीगर जी जान से सेवई बनाने में जुट जाते हैं. खास बात यह है कि यहां का कारोबार गंगा जमुनी तहजीब की एक अलग मिसाल भी पेश करता है. यहां पर हिंदू परिवारों के द्वारा सेवई बनाई जाती हैं, जो ईद के मौके पर मुस्लिम बंधुओं के घर में पकती है. हर वर्ष बकरीद, ईद पर यहां खरीदारों का तांता लगा रहता है, लेकिन इस बार गोदामों में सन्नाटा पसरा हुआ नजर आ रहा है.
हफ्ते में दो तीन दिन ही मिला काम
सेवई बनाने वाले कारीगरों ने बताया कि इस बार बहुत कम काम करने को मिला. हफ्ते में एक-दो दिन ही हम कारखाने में काम किए. हर बार हमारी आमदनी अच्छी हो जाती थी. पिछली बार भी ईद के मौके पर हमें कम काम करने को मिला था और इस बार स्थिति और बुरी हो गई है. कोरोना के कारण डिमांड कम आई है, जिसकी वजह से माल भी कम बन रहा है.
कोरम कर रहे हैं पूरा
खरीदारी करने आए ग्राहक मोहम्मद रईस ने बताया कि हर साल ईद पर जिस तरीके की रौनक होती थी इस बार वैसी रौनक नहीं है. बस कोरम पूरा करने के लिए सेवई खरीदने आए हैं. जिससे कि हमारी परंपरा निभ जाए, क्योंकि महामारी के कारण इस बार खरीदारी कम हो रही है और थोड़ा महंगाई का भी असर दिख रहा है.
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25 से 50 फीसदी ही हुआ व्यापार
सेवई कारोबारी राम कुमार केशरी ने बताया कि सेवई मंडी की सेवई जितनी बारीक होती है. उतनी शायद कहीं नहीं बनाई जाती. यहां पर जीरो नंबर, मोटी मध्यम, किमामी स्पेशल सेवइयों की मार्केट में ज्यादा डिमांड होती है और यह अलग-अलग दामों पर बेची जाती है. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा लोगों को किमामी सेवई पसंद आती है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण ग्राहक बहुत कम है. मात्र 25 प्रतिशत ही व्यापार हो पाया है. उन्होंने बताया कि पिछले बार भी कोरोना महामारी के कारण 50 फीसदी व्यापार हुआ था और इस बार और सिमटकर लगभग 25 फीसदी तक ही रह गया है.
जरूरत से कम लोगों ने की खरीदारी
पवन कुमार ने बताया कि हर बार से इस बार धंधा काफी मंदा रहा है. लोग खरीदारी काफी डर-डर के कर रहे हैं. हर वर्ष की अपेक्षा इस बार बहुत कम माल लेकर ग्राहक जा रहे हैं. जो लोग 10 पेटी लेकर के जाते थे, वह पांच पेटी जिन्हें 5 पेटी की जरूरत होती थी, वह 1 से 2 पेटी में ही अपना काम चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो थोक खरीदार थे वह डरते-डरते माल लेकर गए कि उनका माल बिकेगा या नहीं. पिछले साल के साथ-साथ इस साल भी हमारा व्यवसाय जैसे तैसे चल रहा है.