वाराणसी: 5 अगस्त को अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा की शुरुआत की जा रही है. भगवान राम के भव्य मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास करने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंच रहे हैं. लगभग 200 लोगों की मौजूदगी में होने वाले इस आयोजन में देश भर से लोग अपने तरीके से भगवान राम को कुछ न कुछ समर्पित कर रहे हैं. इन सबके बीच अलग-अलग स्थानों से नदियों का जल और महान संतों की जन्मस्थली और कर्मस्थली से उनकी स्मृति और ऊर्जा के रूप में मिट्टी भी अयोध्या ले जाई जा रही है. काशी के लहरतारा स्थित कबीर प्राकट्य स्थल के अलावा सीर गोवर्धन स्थित संत रविदास जन्मस्थली और सारनाथ जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, वहां की मिट्टी भी लेकर विश्व हिंदू परिषद के लोग काशी से अयोध्या के लिए रवाना हो रहे हैं.
काशी और सारनाथ से भी मिट्टी भेजी जाएगी अयोध्या
लहरतारा स्थित कबीर प्राकट्य स्थल की मिट्टी लेकर विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने वाराणसी के घाट से गंगाजल, सीर गोवर्धन से संत रविदास जन्मस्थली की मिट्टी और सारनाथ से भगवान बुद्ध की पहली उपदेश स्थली से मिट्टी एकत्र कर अयोध्या जाने की तैयारी की है. कबीर साहब के प्राकट्य स्थल के व्यवस्थापक गोविंद दास शास्त्री का कहना है कि संत महात्माओं की वाणी और उनसे जुड़े स्थानों पर पहुंचने से ही ऊर्जा की प्राप्ति होती है. हमेशा से ही कबीर दास राम के भक्त रहे हैं. उनकी प्रत्येक वाणी, दोहे हर जगह कहीं न कहीं से राम का जिक्र जरूर रहा है. यही वजह है कि काशी से उनकी जन्मभूमि की मिट्टी भेजी जा रही है.
विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष कन्हैया सिंह और संगठन मंत्री सत्येंद्र जी का कहना है कि भगवान राम के काम में सबका योगदान होगा और हम सब भी संत महात्माओं की पवित्र स्थली की मिट्टी के साथ अलग-अलग नदियों का जल लेकर अयोध्या जा रहे हैं, ताकि यहां पहुंचने वाले हर भक्तों को बड़े संतों की ऊर्जा और भगवान राम का आशीर्वाद मिल सके.
गंगा की रज भी होगी शामिल
राम मंदिर निर्माण को लेकर 5 अगस्त को भूमि पूजन किया जाएगा. जिसमें धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी से बाबा विश्वनाथ को अर्पण चांदी का बिल्व पत्र और चंदन अयोध्या जाएगा. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने पूरे विधि-विधान से मां गंगा का पूजन करके भूमि पूजन के लिए गंगा की मिट्टी अयोध्या ले जाएंगे. हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं मां गंगा से मिट्टी निकालकर कलश में भरकर इलाहाबाद से अयोध्या ले जाएंगे.