कानपुर : जिस उम्र में आजकल के बच्चे खेलकूद और मौज-मस्ती में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में कानपुर की रहने वाली 13 वर्षीय बानी भाटिया ने अपनी पहली किताब लिख डाली. किताब का नाम 'द व्हिम्सिकल फैबल्स' है.
बचपन से है किताबें पढ़ने का शौक : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बानी भाटिया ने बताया कि वह स्वराज इंडिया पब्लिक स्कूल में कक्षा 7 की छात्रा हैं. बचपन से ही उन्हें किताबें पढ़ना काफी पसंद है. जब भी समय मिलता तो किताबें पढ़ती हैं. उनके पास खिलौनों से ज्यादा किताबों का कलेक्शन है. बानी ने बताया कि किताब लिखने का आइडिया कोविड-19 के दौर में आया था. यह जिज्ञासा अपनी मां (प्रिया भाटिया) से साझा की तो मां ने प्रोत्साहित किया. इसके बाद किताब "द व्हिम्सिकल फैबल्स" लिखनी शुरू की.
इस तरह आया किताब लिखने का आइडिया : बानी ने बताया कि जब वह किताब पढ़ती थी तो हमेशा उनके दिमाग में एक विचार आता था कि आखिर जिस किताब को वह पढ़ रही है उसे भी किसी न किसी व्यक्ति ने जरूर लिखा होगा. इसके बाद किताब पढ़ने के साथ-साथ किताब लिखने का भी ख्याल आया. कोविड के समय ज्यादातर समय घर में ही बीतता था. इस दौरान करीब 5 से 6 कहानियां लिखी थीं. मां ने देखा तो और लिखने के लिए प्रेरित किया. करीब 1 साल की कड़ी मेहनत के बाद 15 दिलचस्प लघु कहानियां के संग्रह पर आधारित "द व्हिम्सिकल फैबल्स" किताब का आकार मिला. इस किताब में हास्य, कल्पना, प्रेरणा जैसी विभिन्न शैलियों के बारे में जानकारी है. बानी की पुस्तक को दिल्ली की उपदेशक और लेखिका गुनीत कौर ने संपादित की है.
बास्केटबॉल खेलना व हाइकिंग और ट्रैकिंग पसंद : बानी ने बताया कि उसे भी दूसरे बच्चों की तरह खेलना-कूदना काफी अच्छा लगता है. बास्केटबॉल के अलावा हाइकिंग और ट्रैकिंग बेहद पसंद है. बानी का मानना है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलने और कूदना भी चाहिए, इन सब कामों के बीच आपको अपने समय प्रबंधन पर भी काम करना चाहिए.
माता-पिता बोले- बेटी ने बढ़ाया मान : बानी के पिता संदीप भाटिया ने बताया कि उन्हें काफी खुशी है कि उनकी बेटी ने केवल उन्हें ही नहीं बल्कि पूरे शहर को गौरवान्वित किया है. बानी की मां प्रिया भाटिया ने बताया कि बानी बचपन से ही किताब पढ़ने की काफी ज्यादा शौकीन है. उसने किताबों को काफी ज्यादा अच्छा संग्रह भी इकट्ठा कर लिया है. किताबों के प्रति उसका लगाव कुछ इस कदर है कि जब भी वह मार्केट या मॉल जाती है तो वहां पर खिलौने के लिए नहीं, बल्कि किताबों के लिए जिद करती है. बेटी की सफलता के बाद से उन्हें भी बेहद खुशी है.