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चंद्रशेखर आजाद जयंती:  इस युवा को सेंट्रल जेल में लगाए गए थे 15 कोड़े

देश के महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती के मौके पर जानें उनसे जुड़े कुछ अनसुने पहलू.

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती
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Published : Jul 23, 2019, 5:02 PM IST

Updated : Jul 23, 2019, 5:19 PM IST

वाराणसी: महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, जिनका नाम सुनने भर से ही आज भी लोगों की रगों में क्रांति का खून दौड़ने लगता है. क्रांति की अलख चंद्रशेखर सीताराम तिवारी यानि चंद्रशेखर आजाद ने जलाई थी. आज इस महान क्रांतिकारी की जयंती है, लेकिन इन सबके बीच यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर चंद्रशेखर सीताराम तिवारी, चंद्रशेखर आजाद कैसे बनें.

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती.

चंद्रशेखर सीताराम तिवारी

जालियावाला बाग हत्याकांड के बाद 1920- 21 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन छेड़ा तो क्रांतिकारियों के गढ़ वाराणसी में भी इस आंदोलन की चिंगारी भड़क उठी. जगह-जगह क्रांतिकारियों की सभाएं और अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाने का काम होने लगा. ऐसी ही एक सभा में महज 15 साल की उम्र का एक किशोर भी मौजूद था, जिसका नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था.

'जेल है मेरा घर'

1923 में हुई इस घटना में इस प्रदर्शन के दौरान क्रांतिकारियों पर लाठीचार्ज हुआ. लाठीचार्ज का आदेश देने वाले दारोगा पर चंद्रशेखर तिवारी ने पत्थर फेंका. चंद्रशेखर का निशाना इतना जोरदार था कि अधिकारी का सिर फट गया और तत्काल चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर उस वक्त के मजिस्ट्रेट खरे घाट पारसी के सामने पेश किया गया. जब मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम आजाद, मां का नाम धरती मां, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर जेल बताया.

कोड़े पड़ते रहे, वो भारत माता की जय बोलता रहा

इन बातों को सुनकर आग बबूला हो उठे मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर तिवारी को सेंट्रल जेल ले जाकर 15 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई. चंद्रशेखर तिवारी को जेल के मेन एंट्री गेट के पास ही मौजूद दीवार से बांधकर कोड़े मारे गए, लेकिन लगातार कोड़े पड़ने के बाद भी उसके मुंह से उफ नहीं निकला, बल्कि भारत माता की जय बोलता रहा.

क्रांतिकारियों ने बदला चंद्रशेखर तिवारी का नाम

पूरा दिन जेल में काटने के बाद शाम को जब चंद्रशेखर को रिहा किया गया तो ज्ञानवापी में हुई क्रांतिकारियों की बैठक में चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद कर दिया गया.

सेंट्रल जेल की दीवार पर लगी है आजाद की तस्वीर

जिस दीवार पर चंद्रशेखर आजाद को बांधकर कोड़े मारे गए थे, वह दीवार आज भी इस महान क्रांतिकारी की याद दिलाती है. सेंट्रल जेल के अंदर दीवार पर चंद्रशेखर आजाद की तस्वीर लगी है और स्मृति में एक पत्थर भी लगा हुआ है, जिस पर रोज श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं. इतना ही नहीं, इस जेल में बंद कैदी जेल के बाहर लगी चंद्रशेखर आजाद की भव्य प्रतिमा पर हर रोज माला चढ़ाते हैं.

वाराणसी: महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, जिनका नाम सुनने भर से ही आज भी लोगों की रगों में क्रांति का खून दौड़ने लगता है. क्रांति की अलख चंद्रशेखर सीताराम तिवारी यानि चंद्रशेखर आजाद ने जलाई थी. आज इस महान क्रांतिकारी की जयंती है, लेकिन इन सबके बीच यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर चंद्रशेखर सीताराम तिवारी, चंद्रशेखर आजाद कैसे बनें.

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती.

चंद्रशेखर सीताराम तिवारी

जालियावाला बाग हत्याकांड के बाद 1920- 21 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन छेड़ा तो क्रांतिकारियों के गढ़ वाराणसी में भी इस आंदोलन की चिंगारी भड़क उठी. जगह-जगह क्रांतिकारियों की सभाएं और अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाने का काम होने लगा. ऐसी ही एक सभा में महज 15 साल की उम्र का एक किशोर भी मौजूद था, जिसका नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था.

'जेल है मेरा घर'

1923 में हुई इस घटना में इस प्रदर्शन के दौरान क्रांतिकारियों पर लाठीचार्ज हुआ. लाठीचार्ज का आदेश देने वाले दारोगा पर चंद्रशेखर तिवारी ने पत्थर फेंका. चंद्रशेखर का निशाना इतना जोरदार था कि अधिकारी का सिर फट गया और तत्काल चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर उस वक्त के मजिस्ट्रेट खरे घाट पारसी के सामने पेश किया गया. जब मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम आजाद, मां का नाम धरती मां, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर जेल बताया.

कोड़े पड़ते रहे, वो भारत माता की जय बोलता रहा

इन बातों को सुनकर आग बबूला हो उठे मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर तिवारी को सेंट्रल जेल ले जाकर 15 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई. चंद्रशेखर तिवारी को जेल के मेन एंट्री गेट के पास ही मौजूद दीवार से बांधकर कोड़े मारे गए, लेकिन लगातार कोड़े पड़ने के बाद भी उसके मुंह से उफ नहीं निकला, बल्कि भारत माता की जय बोलता रहा.

क्रांतिकारियों ने बदला चंद्रशेखर तिवारी का नाम

पूरा दिन जेल में काटने के बाद शाम को जब चंद्रशेखर को रिहा किया गया तो ज्ञानवापी में हुई क्रांतिकारियों की बैठक में चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद कर दिया गया.

सेंट्रल जेल की दीवार पर लगी है आजाद की तस्वीर

जिस दीवार पर चंद्रशेखर आजाद को बांधकर कोड़े मारे गए थे, वह दीवार आज भी इस महान क्रांतिकारी की याद दिलाती है. सेंट्रल जेल के अंदर दीवार पर चंद्रशेखर आजाद की तस्वीर लगी है और स्मृति में एक पत्थर भी लगा हुआ है, जिस पर रोज श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं. इतना ही नहीं, इस जेल में बंद कैदी जेल के बाहर लगी चंद्रशेखर आजाद की भव्य प्रतिमा पर हर रोज माला चढ़ाते हैं.

Intro:चंद्रशेखर आजाद जयंती स्पेशल:

वाराणसी: महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, जिनका नाम सुनने भर से ही आज भी लोगों की रगों में क्रांति का वह खून दौड़ने लगता है जिसकी अलख चंद्रशेखर सीताराम तिवारी यानि चंद्रशेखर आजाद ने जलाई थी. आज इस महान क्रांतिकारी का जन्मदिन है, लेकिन इन सबके बीच यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर चंद्रशेखर सीताराम तिवारी, चंद्रशेखर आजाद कैसे बनें. इसके पीछे की कहानी थोड़ी लंबी है लेकिन जुड़ी है धर्मनगरी वाराणसी से, वाराणसी कि सेंट्रल जेल जिसने चंद्रशेखर सीताराम तिवारी को चंद्रशेखर आजाद बनाया. कैसे यह महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर तिवारी से चंद्रशेखर आजाद बने जानिए आज इस महान क्रांतिकारी के जन्मदिन पर इस खास खबर में.


Body:वीओ-01 दरअसल जालियावाला बाग हत्याकांड के बाद 1920- 21 में जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन छेड़ा तो क्रांतिकारियों के गढ़ वाराणसी में भी इस आंदोलन की चिंगारी भड़क उठी, जगह जगह पर क्रांतिकारियों की सभाएं और अंग्रेजो के खिलाफ रणनीति बनाने का काम होने लगा. ऐसी ही एक सभा में महज 15 साल की उम्र का एक बालक जिसका नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था वह भी मौजूद था.

- 1923 में हुई इस घटना में इस प्रदर्शन के दौरान क्रांतिकारियों पर लाठीचार्ज हुआ और लाठीचार्ज का आदेश देने वाले दरोगा पर चंद्रशेखर तिवारी ने पत्थर फेंक दिया.

- जिससे उस अधिकारी का सर फट गया और तत्काल इस 15 साल के बच्चे को गिरफ्तार कर उस वक्त के मजिस्ट्रेट खरे घाट पारसी के सामने पेश किया गया.

- जिसमें जब मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा उन्होंने आजाद बताया, मां का नाम धरती मां, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर जेल.

- इन बातों को सुनकर आग बबूला हो उठे मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर तिवारी को सेंट्रल जेल ले जाकर 15 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई और चंद्रशेखर तिवारी का जेल के मेन एंट्री गेट के पास ही मौजूद दीवार से बांधकर कोड़े मारे गए, लेकिन लगातार कोड़े पड़ने के बाद भी इस बालक के मुंह से उफ़ नहीं निकला बल्कि भारत माता की जय की बोलता रहा.

- जिसके बाद जब शाम को जब चंद्रशेखर को रिहा किया गया तो ज्ञानवापी में हुई क्रांतिकारियों की बैठक में चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद कर दिया गया.


Conclusion:सबसे बड़ी बात यह है कि जिस दीवार पर चंद्रशेखर आजाद को बांधकर कोड़े मारे गए थे वह दीवार आज भी इस महान क्रांतिकारी की याद दिलाती है. सेंट्रल जेल के अंदर दीवार पर उनकी तस्वीर लगी है और महान क्रांतिकारी की स्मृति में एक पत्थर भी लगा हुआ है. जिस पर रोज श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं और यहां बंद कैदी जेल के बाहर लगी चंद्रशेखर आजाद की भव्य प्रतिमा पर हर रोज माला चढ़ाते हैं.

बाईट- धीरेंद्र प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर, सेंट्रल जेल

गोपाल मिश्र

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Last Updated : Jul 23, 2019, 5:19 PM IST
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