वाराणसी: सनातन धर्म में हर तिथि और ग्रह नक्षत्रों का योग महत्वपूर्ण माना जाता है. ग्रहण काल को शुभ न मानते हुए ईश्वर पर आने वाले कष्ट के रूप में देखा जाता है. लेकिन, अगर एक के बाद एक ग्रहण कम अंतराल में पड़े तो इसके कई नुकसान भी माने जाते हैं. 200 वर्ष पश्चात 8 नवंबर को एक ऐसी ही युति बन रही है, जो 4 ग्रहों के वक्री होने के साथ 15 दिनों के अंदर पड़ रहे दूसरे ग्रहण की साक्षी बनेगी. सबसे बड़ी बात यह है कि 25 अक्टूबर को पड़े सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण पड़ रहा है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, एक पक्ष में दो ग्रहण का पड़ना बेहद नुकसानदायक होता है. सामाजिक राजनीतिक और प्राकृतिक दृष्टि से एक पक्ष में पड़ने वाले दो ग्रहण काफी उथल-पुथल लेकर आते हैं और जनधन की हानि के साथ ही कई और भी नुकसान होते हैं. तो आइए जानते हैं 8 नवंबर को एक पक्ष में पड़ने वाले दो ग्रहण से होने वाले नुकसान के बारे में.
इस बारे में ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि ग्रहण 8 नवंबर को चंद्रमा पर लग रहा है. चंद्र ग्रहण की शुरुआत 8 नवंबर की शाम 5:10 पर होगी और इसका मोक्ष शाम 6:19 पर होगा. क्योंकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पूर्व माना जाता है. इसलिए ग्रहण की शुरुआत से 9 घंटे पूर्व सूतक काल शुरू होने के साथ ही तमाम रोग का भी पालन करना पड़ेगा.
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यह चंद्रमा का ग्रहण इसलिए भी अच्छा नहीं माना जा रहा है, क्योंकि 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ा था. एक ही पक्ष में दो ग्रहण का पड़ना बहुत सी गड़बड़ियों को लेकर आता है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस ग्रहण को विश्व पटल पर अच्छा नहीं माना जा सकता. सबसे ज्यादा नुकसान चीन समेत अन्य विदेशी देशों को उठाना पड़ सकता है. भारत के लिए भी यह ग्रहण राजनीतिक और प्राकृतिक दृष्टि से बहुत अच्छा नहीं होगा. क्योंकि, वर्तमान परिदृश्य में जिस तरह से सड़क हादसे, पुल का गिरना और अन्य तरह की आपदाएं सामने दिख रही हैं. यह 8 नवंबर के बाद और तेजी से बढ़ेंगी. साथ ही इसके लिए लोगों को जन धन दोनों की हानि उठानी पड़ेगी.
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8 नवंबर के बाद अति भयंकर समय की शुरुआत मानी जा रही है. 24 दिसंबर 2022 तक एक विनाशकारी भूकंप विश्व में आने की संभावना है. जो बड़ा नुकसान पहुंचाएगी. सूर्य लग्न सप्तम राहु आमने-सामने होंगे. जो अच्छा नहीं हैं. इसमें मंगल शनि आमने-सामने होंगे और सूर्य राहु भी आमने-सामने होंगे. इन चारों ग्रहों का आमने सामने होना कलह की वजह बनेगा और विश्व पटेल समेत भारत देश में तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. एक पक्ष अधिग्रहण का सबसे बड़ा असर दुर्भिक्ष के मामले में सामने आएगा. क्योंकि, कहा भी गया है दुर्भिक्षम जायते घोरं, धन धान्य औषधि पीड़ितम, नले च धनधानयानी, समाख्यान्त तरानाने.
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के मुताबिक, इस ग्रहण का प्रभाव विश्व भारतीय कुंडली पर अच्छा नहीं माना जा रहा है. सूर्य नीच राशि कत्तूला होने से बुध चंद्र शुक्र होने से विश्व पटल पर नवंबर का पूरा महीना अच्छा नहीं होगा सबसे ज्यादा प्रभाव भारत के उत्तरी दिशा में पड़ेगा. महाभारत कालीन ग्रहास्त सूर्यग्रहण पश्चात ग्रस्तोदित चन्द्रग्रहण, 200 वर्ष पश्चात ऐसी युति लेकर आ रहा है जिसमे चार ग्रह वक्री हो रहे हैं. भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार से एक पक्ष में दो ग्रहण का होना शुभ नहीं माना जाता है. भारतवर्ष के कुंडली में तुला राशि पर सूर्य चंद्रमा बुध और शुक्र की युति बन रही है. साथ ही शनि, कुम्भ राशि पञ्चम मिथुन राशि में नवम भाव पर मंगल की युति युद्ध जारी स्थितियों को प्रकट कर रही है.
उपरोक्त प्रणाली के माध्यम से यह विश्व पटल के लिए अच्छी युति नहीं है. चीन के लिए यह इतना भारी है कि शायद सादियों में ऐसी घटना नहीं हुई है. 8 नवंबर 2022 से अति भंयकर समय है. विश्व भारतीय कुंडली के अनुसार एक पक्ष में दो ग्रहण शुभ नहीं है. साथ ही जो सूर्यग्रहण स्वाती नक्षत्र तुला राशि नीच का सूर्यग्रहण है. तत्पश्चात चन्द्रग्रहण भरणी नक्षत्र मेष राशि में चन्द्रग्रहण होने जा रहा है. शनि मंगल आमने सामने हो रहे है.
ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि ग्रहण में षडाष्टक योग एवं नीचराजभंग योग, प्रीति योग भी बन रहा है. चार ग्रह वक्री यह भारत के उत्तरीय दिशा में नुकसान दायक है.
ग्रहण के दौरान क्या करें क्या न करें
ग्रहण के दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने से बचें.
सूतक काल के दौरान घर पर ही रहें. कोशिश करें कि ग्रहण की रोशनी आपने घर के अंदर प्रवेश ना करें.
सूर्य ग्रहण की तरह की चंद्र ग्रहण को भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए.
ग्रहण से पहले और ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए. कहा जाता है ऐसा करने से ग्रहण का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं रहता.
सूतक काल के दौरान कुछ भी खाने पीने बचें.
अगर ग्रहण से पहले कुछ भोजन बच गया है तो ग्रहण खत्म होने के बाद इसका सेवन ना करें और नया भोजन बनाकर ही उसका सेवन करें.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से बचें.
किसी भी परिस्थिति में ग्रहण को ना देखें.
ग्रहण के दौरान अपने पास दूर्वा घास रखें.इस दौरान सिलाई, कढ़ाई, बुनाई जैसा कोई भी काम ना करें.
शांति से काम लें और किसी भी प्रकार का मानसिक या फिर शारीरिक तनाव न लें.
जहां तक संभव हो ग्रहण काल में घर पर रहकर जप और ध्यान करें.
सूतक काल या फिर ग्रहण काल के दौरान घर में भगवान के मंदिर को पर्दे से या फिर भगवान को किसी लाल वस्त्र से ढके और पूजा-पाठ इस पर इत्यादि ना करें.
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
मेष राशि- आपकी राशि पर इसका प्रभाव अशुभ बताया जा रहा रहा है. उनके साथ किसी भी प्रकार की घात हो सकती है.
वृषभ राशि- आपकी राशि पर इसका प्रभाव अशुभ रहेगा. आपको किसी भी प्रकार की हानि हो सकती है.
मिथुन राशि- आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण लाभकारी है. आपको किसी भी प्रकार का लाभ हो सकता है.
कर्क राशि- आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण सुखकारी है. धन, यात्रा या अन्य किसी भी प्रकार का सुख मिल सकता है.
सिंह राशि- आपकी राशि पर यह ग्रहण अशुभ है. मान-सम्मान को क्षति पहुंच सकती है, यानी मानहानि होने की संभावना है.
कन्या राशि- आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण अशुभ है. आपको किसी भी प्रकार का मृत्युतुल्य कष्ट हो सकता है.
तुला राशि- आपकी राशि पर यह ग्रहण अशुभ है. आपको स्त्री पीड़ा हो सकती है.
वृश्चिक राशि- आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण शुभ है. यह सौख्यम अर्थात सुख देने वाला है.
धनु राशि- आपकी राशि के लिए भी यह चंद्र ग्रहण अशुभ माना जा रहा है. यह किसी प्रकार की चिंता दे सकता है.
मकर राशि- आपकी राशि पर भी यह चंद्र ग्रहण अशुभ है. आपको किसी बात को लेकर व्यथा का सामना करना पड़ सकता है.
कुंभ राशि- आपकी राशि के लिए यह ग्रहण शुभ माना जा रहा है. यह श्री यानी धन प्राप्ति का योग बना सकता है.
मीन राशि- आपकी राशि पर यह चंद्र ग्रहण अशुभ असर देने वाला माना जा रहा है. यह किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचा सकता है.
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