वाराणसी : इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस की तरफ से खेलने वाले सूर्यकुमार यादव का चयन इंग्लैड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए हुआ है. इससे वाराणसी में जश्न का माहौल है. मूलरूप से गाजीपुर जिले के हथौड़ा गांव के रहने वाले सूर्यकुमार के बचपन का काफी वक्त अपने चाचा के सिगरा स्थित नानक नगर कॉलोनी में गुजरा है. यहीं से उन्होंने क्रिकेट के सफर की शुरुआत की. सूर्यकुमार के चाचा विनोद कुमार बताते हैं कि उनकी कामयाबी में उनके माता -पिता का बहुत योगदान है.
सूर्यकुमार यादव के चाचा से खास बातचीत. मुंबई में क्रिकेट एकडेमी में हुए शामिल चाचा विनोद ने बताया कि सूर्यकुमार को भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होने पर पूरा गांव मोहल्ला खुशी मना रहा है. उन्होंने कहा कि बचपन में सूर्यकुमार यहीं रहा करते थे और उनको स्टेडियम में ले जाने का काम उनका होता था. सूर्यकुमार के अंदर क्रिकेट की रूचि थी. हम लोग उसको बढ़ाने का काम किए. सूर्यकुमार बचपन के बाद मुंबई चले गए और वहां पर उन्होंने क्रिकेट एकेडमी में शामिल होकर क्रिकेट खेलना शुरू किया.
गली से स्टेडियम तक का सफर
सूर्यकुमार के विषय में बताते हुए उनके चाचा विनोद ने बताया कि सबका सफर घर से ही शुरु होता है. उसी तरह सूर्यकुमार का भी सफर घर से ही शुरू हुआ है. वह गली से क्रिकेट खेलना शुरू किए. फिर उसके बाद स्टेडियम तक पहुंचे.
सचिन और सहवाग हैं आदर्श
सूर्यकुमार के अंदर शुरू से ही क्रिकेट का जोश था. आप कह सकते हैं कि उन्हें यह गॉड गिफ्ट मिला है. क्रिकेट बचपन से ही उनके मन में था. सूर्यकुमार सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग को अपना आदर्श मानते हैं. अपनी मेहनत से उन्होंने आज ये मुकाम हासिल किया है.
बचपन से ही जुनूनी हैं सूर्यकुमार
सूर्यकुमार से जुड़ी बचपन की चीजों को याद करते हुए विनोद ने बताया कि जब उनको हम लोग बॉल करते थे तो उन्हें चोट लग जाती थी. थोड़ी देर बाद वे फिर खेलने के लिए तैयार हो जाते. पिता जी मना करते थे कि चोट लग जाएगी पर सूर्यकुमार किसी की नहीं सुनते थे. उसके अंदर एक जुनून था, जो आज दिखने लगा है.सूर्यकुमार यादव और एमएस धोनी. कई कीर्तिमान कर चुके हैं स्थापित विनोद ने बताया कि सूर्यकुमार यादव ने 2013 में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट मैच में 1000 रन बनाने का भी रिकॉर्ड बनाया था. इसमें उन्हें एमएच चिदंबरम ट्रॉफी का खिताब भी हासिल हुआ था. सन 2013 में इंडिया टीम के कप्तान होने के बाद उन्होंने अमेजिंग एशिया कप जीतने का रिकॉर्ड भी अपनी कप्तानी में बनाया था. लगातार 3 सालों से आईपीएल खेल रहे सूर्यकुमार लगातार चार बार से अनकैप्ड खिलाड़ी रहे हैं. मुंबई इंडियंस को दो बार कप दिलाने में सूर्यकुमार यादव का अहम योगदान रहा है.
2013 में इंडिया ए टीम में हुआ चयन
पहला ब्रेक थ्रू के सवाल पर उनके चाचा विनोद ने बताया कि 2013 में लगा कि वह इंडिया टीम में जाएगा. न्यूजीलैंड के खिलाफ इंडिया ए टीम में उसका चयन भी हुआ था. न्यूजीलैंड दौरे से लौटने के बाद चोट लगने की वजह से वे टीम से बाहर हो गए. सन 2015-16 में फिर वापसी की. अच्छा परफॉर्मेंस किया. घर में योगदान के सवाल पर विनोद कुमार ने कहा कि परिवार में सबका सहयोग था, जिसमें माता-पिता का अहम योगदान था. सूर्यकुमार के पिता बचपन से ही उनके साथी के रूप में काम किए हैं. वह एकेडमी ले जाने और ले आने में मेहनत किए हैं. रमाकांत आचरेकर गुरु ने सूर्यकुमार की परफॉर्मेंस देख कर उनके पिता से मांग की थी कि अपने बेटे को मुझे दे दीजिए. पर पिता ने कहा कि मेरा एक ही पुत्र है. मैं देने में असमर्थ हूं. 10 सालों तक उनके एकडेमी में ट्रेनिंग ली.
पूर्वांचल के पहले प्लेयर बने सूर्यकुमार
चाचा विनोद ने बताया कि पूर्वांचल का पहला प्लेयर होने के नाते परिवार के सदस्यों को खुशी होती है कि वह बहुत आगे तक जाए. अब हम चाहते हैं कि इंग्लैंड के खिलाफ जो सीरीज शुरू हो रही है, उसमें वह अच्छा परफॉर्मेंस करें और वर्ल्ड कप में इसका चयन हो. यही उम्मीद है. चाचा विनोद ने बताया कि सूर्यकुमार का फिटनेस बहुत अच्छा है. मेहनत करने में बहुत अच्छा है. वह क्रिकेट को भगवान मानता है.