वाराणसीः सावन माह की शुरुआत होने वाली है. ऐसे में शहर के ट्रैफिक को देखते हुए नई व्यवस्थाओं को लागू किया जा रहा है. इसके तहत वाराणसी के मैदागिन से गोदौलिया मार्ग को नो व्हीकल जोन में तब्दील किया जाएगा. प्रशासन का दावा है कि शहर के ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए नो व्हीकल ज़ोन जरूरी है. वहीं, काशी के कारोबारियों को चिंता है कि इस फैसले से उनका धंधा चौपट हो जाएगा.
वाराणसी वस्त्र एसोसिएशन के महामंत्री देवेंद्र मोहन पाठक ने बताया कि नो व्हीकल जोन तो अभी बाद की बात है. इससे पहले भी ट्रैफिक में बदलाव किए गए हैं. यहां पर कार वगैरह नहीं आ रही हैं. इसका असर ये है कि हमारा व्यापार आधा हो गया है. बनारसी साड़ी की पूरी मंडी ही गलियों में है. अगर कोई कस्मटर मुंबई से आ रहा है और उसके पास एक दिन का समय है तो क्या वह मैदागिन या गोदौलिया से पैदल आ सकता है? क्या यह संभव है? नो व्हीकल जोन का फैसला बिना सोचे समझे लिया गया है. यहां पर 22 किस्म के होल सेल के व्यापार हैं.
इस फैसले से 70 से 80 फीसदी व्यापार होगा प्रभावित
उन्होनें बताया कि अगर कोई बुजुर्ग दुकानदार हैं और उसे दुकान तक आना है तो किस तरीके से आएगा. काशी में पर्यटकों के आने से यहां का व्यापार जरूर बढ़ेगा लेकिन अगर कस्टमर ही नहीं आएंगे तो कैसे बढ़ेगा. रिटेल से बनारसी साड़ी की मंडी कैसे चलेगी. प्रशासन के इस फैसले से 75 से 80 फीसदी तक व्यापार खत्म हो जाएगा. अगर होल सेल के मार्केट में न माल जा पाएगा और न माल आ पाएगा तो व्यापार कैसे चलेगा. बनारसी साड़ी की मंडी बिल्कुल नहीं चल पाएगी. उन्होंने कहा कि हम इस मामले में प्रशासन से भी बात करेंगे. मेयर से भी इसपर बात करेंगे. अगर वे नहीं मानते हैं तो हम कड़े से कड़े कदम उठाएंगे. हो सकता है हम व्यापार बंद करने का आह्वान करें. रोजी-व्यापार ही सबसे प्रमुख है. अगर व्यापार ही नहीं रहेगा तो हम यहां रहकर क्या करेंगे. किस तरीके से हमारा घर-परिवार चलेगा. इसके साथ ही लाखों लोग पक्के घरों में रहते हैं. अगर कहीं किसी के घर कोई बीमार हो गया तो इमरजेंसी में हम क्या एंबुलेंस का इंतजार करेंगे. जब तक एंबुलेंस आएगी तब तक पता नहीं क्या होगा. इस फैसले पर विचार करना चाहिए.
इस फैसले से कई मंडियां खत्म हो जाएंगी
वहीं, अन्य बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रशासन के इस फैसले से बनारसी साड़ी के व्यापार के साथ ही कई तरह के व्यापार प्रभावित होंगे. उनका कहना है कि जल्द ही अन्य व्यापारिक संगठनों व नागरिकों के साथ बैठक कर इस प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी. पदाधिकारियों का कहना है कि बनारसी साड़ी, दवा मंडी, सराफा मंडी, होजरी, कागज, रेशम, जरी, सूती धागे, पीतल के बर्तन, खोवा, हार्डवेयर आदि कई मंडियां समाप्त हो जाएंगी. अगर यह नियम लागू हुआ तो व्यापारी आंदोलन करने को बाध्य होंगे.