वाराणसी: बिस्मिल्ला खां की 13वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे देश ने उन्हें याद किया. जिन्होंने शाहनाई के संगीत को सुना है उन्होंने उन्हें श्रद्धांजलि भी दी. वहीं समय की मार ने उन महापुरुष की वो धरोहर जहां बिस्मिल्ला खां ने खुद को निखारने का काम किया था, वह अब जर्जर हो गई है. उस धरोहर को अब एक वारिश की तलाश है, जो उन यादगार लम्हों को बनाए रखे. गवाह वह स्थान जहां बचपन से ही बिस्मिल्ला खां घंटों बैठकर शहनाई का रियाज किया करते थे.
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जर्जर हुआ बिस्मिल्ला खां का प्राम्भिक शिक्षा का स्थान
- काशी नगरी में मशहूर शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां की 13वीं पुण्यतिथि मनाई गई.
- मैदागिन क्षेत्र में स्थित सुप्रसिद्ध मंगला गौरी के मंदिर के पास बालाजी महाराज का एक मंदिर है.
- इस मंदिर के परिसर में बैठकर बिस्मिल्ला खां अपनी शहनाई की धुन छेड़ा करते थे.
- बिस्मिल्ला खां ने यहां शहनाई की धुन की छटा बिखेर, सबका दिल जीतने का काम किया था.
- शहनाई की प्राम्भिक शिक्षा की शुरुआत उन्होंने यहीं से की थी.
- मंदिर के संरक्षक कहते है कि बचपन में उन्हें शहनाई के अभ्यास के दौरान तेज रोशनी के रूप में बालाजी महाराज ने दर्शन भी दिए थे.
- आज वो यादगार कमरे ने एक खंडहर का रूप लिया है, जिसे देख कोई भी उसके करीब जाना नहीं चाहता.
- विकास के नाम पर सरकारी अमला बेखबर है और वहां अब इमारतें गिरती हुईं दिखाई देती हैं.