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बनारस में जल्द शुरू होंगे नार्को जैसे बड़े परीक्षण, फोरेंसिक टीम बनेगी मजबूत

योगी सरकार वाराणसी के फॉरेंसिक साइंस लैब को और अपग्रेड करने जा रही है. यहां आने वाले समय में, लाई डिटेक्टिंग (नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग), एकॉस्टिक (आवाज) टेस्ट, डीएनए, फोरेंसिक इंजिनयरिंग, बैलिस्टिक (बंदूक सम्बंधित ), एंथ्रोपॉलजी (कंकाल संबधित), क्राइम सीन मैनेजमेंट, मेडिको लीगल और विस्टफोक की भी जांच हो सकेगी.

फोरेंसिक टीम बनेगी मजबूत
फोरेंसिक टीम बनेगी मजबूत
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Published : Aug 5, 2021, 9:21 AM IST

वाराणसी: अपराधियों के मंसूबे तब कमजोर पड़ने लगते हैं जब अपराध स्थल पर फॉरेंसिक टीम बेहतर तरीके से काम करने के बाद उन तक पहुंचने और उन्हें पकड़ने के बाद उन्हें सजा दिलाने के लिए पुख्ता सबूत इकट्ठा कर लेती है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जिले में अपराधियों की कमर तोड़ने और अपराधियों तक पहुंचने के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट बेहतर काम कर सकें. यही वजह है कि अब पूर्वांचल में फॉरेंसिक कार्यों को बेहतर दिशा देने के लिए वाराणसी में चीजें बेहतर होंगी और नई फॉरेंसिक बिल्डिंग भी तैयार होगी. वाराणसी के रामनगर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला को अब ए-ग्रेड का दर्जा मिल चुका. एफएसएल के लिए नई बिल्डिंग बनेगी फिर इस फोरेंसिक साइंस लैब में नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग, लाई डिटेक्टिंग, एकॉस्टिक टेस्ट, डीएनए, फोरेंसिक इंजिनयरिंग और विस्टफोक की भी जांच हो सकेगी.



योगी सरकार वाराणसी के फॉरेंसिक साइंस लैब को और अपग्रेड करने जा रही है. इसके लिए वाराणसी के रामनगर स्थित विधि विज्ञान शाला को ए ग्रेड का दर्जा पहले ही मिल चुका है. पूर्वांचल में हुए अपराध को बेनकाब करने के लिए वाराणसी की फॉरेंसिक साइंस लैब का अहम किरदार है. इस लैब में कई तरह के अपराध से जुड़े मामले परीक्षण के लिए आते हैं. सभी तरह के परीक्षण की सुविधा पूर्वांचल के अन्य फोरेंसिक लैब में नहीं है. वाराणसी विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डिप्टी डायरेक्टर आलोक शुक्ला ने बताया कि इस फोरेंसिक साइंस लैब को ए-ग्रेड का दर्जा मिल गया है. जिसके लिए नई बिल्डिंग बनना प्रस्तावित है. नई फोरेंसिक लैब स्थापित होने के बाद वैज्ञानिक आधार पर 16 तरह की और परीक्षण हो पाएंगे. अभी तक इस लैब में मात्र आठ तरह का ही परीक्षण हो पाता था.



आने वाले समय में, लाई डिटेक्टिंग (नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग), एकॉस्टिक (आवाज) टेस्ट, डीएनए, फोरेंसिक इंजिनयरिंग, बैलिस्टिक (बंदूक सम्बंधित ), एंथ्रोपॉलजी (कंकाल संबधित), क्राइम सीन मैनेजमेंट, मेडिको लीगल और विस्टफोक की भी जांच हो सकेगी. जबकि पहले से यहां साइबर फोरेंसिक, टॉक्सीलाजी (विष सम्बंधित), सीरोलॉजी (खून), बायोलॉजी (रेप जैसे मामले, स्पर्म आदि), फिजिक्स (डुप्लीकेसी, टेम्परिंग ), रसायन (शराब नार्कोटिक्स ), फोटो आदि का परीक्षण पहले से चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि इस एफएसल को अपग्रेड करने से सभी परीक्षण यहीं होने लगेगा. जिससे रिपोर्ट जल्दी आएंगी और वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर सजा दिलाना आसान होगा.

वाराणसी: अपराधियों के मंसूबे तब कमजोर पड़ने लगते हैं जब अपराध स्थल पर फॉरेंसिक टीम बेहतर तरीके से काम करने के बाद उन तक पहुंचने और उन्हें पकड़ने के बाद उन्हें सजा दिलाने के लिए पुख्ता सबूत इकट्ठा कर लेती है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जिले में अपराधियों की कमर तोड़ने और अपराधियों तक पहुंचने के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट बेहतर काम कर सकें. यही वजह है कि अब पूर्वांचल में फॉरेंसिक कार्यों को बेहतर दिशा देने के लिए वाराणसी में चीजें बेहतर होंगी और नई फॉरेंसिक बिल्डिंग भी तैयार होगी. वाराणसी के रामनगर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला को अब ए-ग्रेड का दर्जा मिल चुका. एफएसएल के लिए नई बिल्डिंग बनेगी फिर इस फोरेंसिक साइंस लैब में नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग, लाई डिटेक्टिंग, एकॉस्टिक टेस्ट, डीएनए, फोरेंसिक इंजिनयरिंग और विस्टफोक की भी जांच हो सकेगी.



योगी सरकार वाराणसी के फॉरेंसिक साइंस लैब को और अपग्रेड करने जा रही है. इसके लिए वाराणसी के रामनगर स्थित विधि विज्ञान शाला को ए ग्रेड का दर्जा पहले ही मिल चुका है. पूर्वांचल में हुए अपराध को बेनकाब करने के लिए वाराणसी की फॉरेंसिक साइंस लैब का अहम किरदार है. इस लैब में कई तरह के अपराध से जुड़े मामले परीक्षण के लिए आते हैं. सभी तरह के परीक्षण की सुविधा पूर्वांचल के अन्य फोरेंसिक लैब में नहीं है. वाराणसी विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डिप्टी डायरेक्टर आलोक शुक्ला ने बताया कि इस फोरेंसिक साइंस लैब को ए-ग्रेड का दर्जा मिल गया है. जिसके लिए नई बिल्डिंग बनना प्रस्तावित है. नई फोरेंसिक लैब स्थापित होने के बाद वैज्ञानिक आधार पर 16 तरह की और परीक्षण हो पाएंगे. अभी तक इस लैब में मात्र आठ तरह का ही परीक्षण हो पाता था.



आने वाले समय में, लाई डिटेक्टिंग (नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग), एकॉस्टिक (आवाज) टेस्ट, डीएनए, फोरेंसिक इंजिनयरिंग, बैलिस्टिक (बंदूक सम्बंधित ), एंथ्रोपॉलजी (कंकाल संबधित), क्राइम सीन मैनेजमेंट, मेडिको लीगल और विस्टफोक की भी जांच हो सकेगी. जबकि पहले से यहां साइबर फोरेंसिक, टॉक्सीलाजी (विष सम्बंधित), सीरोलॉजी (खून), बायोलॉजी (रेप जैसे मामले, स्पर्म आदि), फिजिक्स (डुप्लीकेसी, टेम्परिंग ), रसायन (शराब नार्कोटिक्स ), फोटो आदि का परीक्षण पहले से चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि इस एफएसल को अपग्रेड करने से सभी परीक्षण यहीं होने लगेगा. जिससे रिपोर्ट जल्दी आएंगी और वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर सजा दिलाना आसान होगा.

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