वाराणसीः अप्रैल में कोरोना वाराणसी में बेकाबू हो चुका था. कोविड जांच केंद्रों पर लोगों की भीड़ लगी थी. श्मशानों में शव जलाने के लिए मुंहमांगी रकम मांगी जा रही थी. ऑक्सीजन के लिए लोग मरीज के परिजन परेशान थे. अस्पतालों में भी ऑक्सीजन का संकट था. जब लोग त्राहिमाम करने लगे तो 12 अप्रैल से कोविड-19 कमांड सेंटर को दोबारा एक्टिव किया गया. यहां पर अलग-अलग विभागों के 250 से ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती की गई. पीएमओ ने कमांड सेंटर की निगरानी शुरू की. कोरोना के मामले बढ़े तो कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर 355 कर दिया गया. प्रधानमंत्री मोदी के खास एमएलसी ए. के. शर्मा और डीएम कौशल राज शर्मा के साथ सीएमओ डॉक्टर बीवी सिंह ने भी कमांड सेंटर की निगरानी शुरू की.
क्यों बनाया गया वाराणसी का कोविड-19 कमांड सेंटर
स्मार्ट सिटी योजना के तहत वाराणसी में स्मार्ट ट्रैफिक कंट्रोल रूम बनाया गया. इस कंट्रोल रूम से सामान्य दिनों में करीब 80 से ज्यादा चौराहों और सड़कों पर ट्रैफिक की निगरानी की जाती है. कोरोना की पहली लहर के दौरान इसे पहली कोविड-19 कमांड सेंटर में बदलने का फैसला लिया गया. 2020 में कोरोना पर काबू पाने के बाद इस सेंटर में कर्मचारियों की संख्या घटा दी गई. मार्च 2021 में कोरोना ने दोबारा वाराणसी में कहर बरपाना शुरू किया. अप्रैल के पहले हफ्ते में स्थिति भयावह नजर आने लगी. इसके बाद पीएमओ ने मोर्चा संभाला. 12 अप्रैल को 200 से ज्यादा कर्माचारियों के साथ कमांड सेंटर को दोबारा शुरू किया गया.
जानिए कमांड सेंटर में कैसे होता है काम
कंट्रोल रूम के इंचार्ज डॉक्टर एस. एस. कनौजिया ने बताया कि कमांड सेंटर में हर विभाग सभी विभागों के कर्मचारी तैनात हैं. यहां शिक्षक, नागरिक सुरक्षा संगठन, पुलिस, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ की टीम तैनात की गई हैं. 21 डॉक्टर्स की टीम को टेलीमेडिसिन कॉलिंग के लिए 24 घंटे उपलब्ध होती है. यहां 40 कंप्यूटर सिस्टम लगाए गए हैं. इसके साथ 21 टेलिफोन कनेक्शन की व्यवस्था की गई है. इन फोनलाइन पर एक हॉस्पिटल यूनिट, 1 एंबुलेंस एलॉटमेंट यूनिट, 10 आइसोलेशन यूनिट लगातार मौजूद होती है. एक पुलिस की टीम भी मौजूद होती है, जो मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ तत्काल एक्शन लेती है. कमांड सेंटर से ही रोजाना सुबह 11:00 बजे और शाम को 6:00 बजे कोविड-19 की डेली रिपोर्ट अपडेट की जाती है.
मुसीबत में मददगार साबित हुआ कंट्रोल रूम
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी. वी .सिंह ने बताया कि यह कंट्रोल रूम मुसीबत की घड़ी में बड़ा मददगार साबित हुआ है. इसके जरिये होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को दवाइयां मुहैया कराई जा रही हैं. उन्हें मेडिकल रिपोर्ट के बारे में भी बताया जा रहा है. लोगों को जरूरत की अन्य जानकारियां देने के लिए के लिए इस कंट्रोल रूम में अलग टीम तैनात की गई हैं. हेल्पलाइन के जरिए एंबुलेंस एलॉटमेंट करने की व्यवस्था है. यहां मौजूद टीम हॉस्पिटलों में उपलब्ध खाली बेड और आक्सीजन का डेटा भी ऑनलाइन अपडेट करता है ताकि लोगों को सही सूचना दी जा सके.
हर दूसरे दिन पीएमओ लेता है कंट्रोल रूम की रिपोर्ट
प्राइम मिनिस्टर ऑफिस के जरिए हर दूसरे दिन कंट्रोल रूम पर होने वाली एक्टिविटी की जानकारी ली जाती है. एमएलसी ए. के. शर्मा पीएमओ से लगातार संपर्क में रहते हैं. डॉ. एस. एस. कनौजिया ने बताया कि अब तक इस कंट्रोल रूम में 8,000 से ज्यादा फोन कॉल होम आइसोलेशन में मेडिकल ट्रीटमेंट की जानकारी के लिए आई. 410 से ज्यादा लोगों ने हॉस्पिटल्स और खाली बेड के बारे में पूछताछ की. 200 से ज्यादा फोन ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य जानकारियों के लिए आए. डीआरडीओ की ओर से बनाए गए अस्थाई अस्पताल की डिटेल के लिए एक अलग यूनिट तैयार की गई है. इस कमांड सेंटर पर दूसरे जिलों से फोन करने वालों की मदद की जा रही है. अभी तक एक दिन में सर्वाधिक 853 लोगों के फोन कॉल अटेंड किए गए. अप्रैल में दोबारा शुरू होने के बाद से कंट्रोल रूम में करीब 30 हजार से ज्यादा फोन कॉल्स आई हैं.