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बीएचयू कुलपति ने विज्ञान-गंगा के ग्यारहवें अंक का किया लोकार्पण - विज्ञान-गंगा का ग्यारहवां अंक

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने शनिवार को शोध पत्रिका ‘विज्ञान-गंगा’ के ग्यारहवें अंक का लोकार्पण किया.

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बीएचयू कुलपति ने विज्ञान-गंगा के ग्यारहवें अंक का किया लोकार्पण
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Published : Dec 20, 2020, 8:26 AM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी में प्रकाशित शोध पत्रिका विज्ञान गंगा के ग्यारहवें का अंक का लोकार्पण बीएचयू कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने किया. इस अवसर पर पत्रिका की प्रशंसा करते हुए कुलपति प्रो. भटनागर ने कहा कि आज हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि और चिकित्सा संबंधी उपयोगी जानकारियों को समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना जरूरी हो गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें विज्ञान को हिन्दी में प्रेषित करने एवं सुदृढ बनाने की अत्यन्त आवश्यकता है. इस दिशा में कोरोनाकाल के दौरान प्रकाशन समिति की सक्रियता सराहनीय है.

इस अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलगुरु और सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने कहा कि आज हमारे समाज को विज्ञान लोकप्रियकरण के माध्यम से विज्ञान की मौलिक जानकारियों को पहुंचाने की आवश्यकता है, जिससे उनका जीवन बेहतर बन सके और राष्ट्र समृद्ध हो सके. इस परिपेक्ष्य में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के आधुनिक तरीकों को माध्यम बनाकर उपयोग करना जरूरी है. यहां से हिन्दी भाषा में प्रकाशित विज्ञान-गंगा पत्रिका का वैज्ञानिक योगदान सराहनीय है.

हिन्दी प्रकाशन समिति के डी.डी.ओ. एवं संयुक्त कुलसचिव (सामान्य प्रशासन) डा. संजय कुमार ने कहा कि विज्ञान-गंगा के माध्यम से हम विज्ञान, चिकित्सा, कृषि और प्रौद्योगिकी संबन्धी उपयोगी जानकारियों को जनसामान्य तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. इस पत्रिका का प्रकाशन विज्ञान लोकप्रियकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने बताया कि इस पत्रिका के सम्पादन में हमारे उप सम्पादक डॉ. दया शंकर त्रिपाठी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

विज्ञान-गंगा का यह अंक आवरण सहित कुल 132 बहुरंगी पेजों की है. इस अंक में कुल 39 वैज्ञानिक लेख व वैज्ञानिक कविताएं प्रकाशित हैं. उन्होंने बताया कि इसमें अनेक जनोपयोगी लेखों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी पर अद्यतन जानकारीयुक्त लेख प्रकाशित किए गए हैं, जो कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में आमजन की जिज्ञासाओं का समाधान करने वाले हैं. इस पुस्तक का प्रकाशन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के आंशिक सहयोग से हुआ है.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी में प्रकाशित शोध पत्रिका विज्ञान गंगा के ग्यारहवें का अंक का लोकार्पण बीएचयू कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने किया. इस अवसर पर पत्रिका की प्रशंसा करते हुए कुलपति प्रो. भटनागर ने कहा कि आज हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि और चिकित्सा संबंधी उपयोगी जानकारियों को समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना जरूरी हो गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें विज्ञान को हिन्दी में प्रेषित करने एवं सुदृढ बनाने की अत्यन्त आवश्यकता है. इस दिशा में कोरोनाकाल के दौरान प्रकाशन समिति की सक्रियता सराहनीय है.

इस अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलगुरु और सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने कहा कि आज हमारे समाज को विज्ञान लोकप्रियकरण के माध्यम से विज्ञान की मौलिक जानकारियों को पहुंचाने की आवश्यकता है, जिससे उनका जीवन बेहतर बन सके और राष्ट्र समृद्ध हो सके. इस परिपेक्ष्य में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के आधुनिक तरीकों को माध्यम बनाकर उपयोग करना जरूरी है. यहां से हिन्दी भाषा में प्रकाशित विज्ञान-गंगा पत्रिका का वैज्ञानिक योगदान सराहनीय है.

हिन्दी प्रकाशन समिति के डी.डी.ओ. एवं संयुक्त कुलसचिव (सामान्य प्रशासन) डा. संजय कुमार ने कहा कि विज्ञान-गंगा के माध्यम से हम विज्ञान, चिकित्सा, कृषि और प्रौद्योगिकी संबन्धी उपयोगी जानकारियों को जनसामान्य तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. इस पत्रिका का प्रकाशन विज्ञान लोकप्रियकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने बताया कि इस पत्रिका के सम्पादन में हमारे उप सम्पादक डॉ. दया शंकर त्रिपाठी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

विज्ञान-गंगा का यह अंक आवरण सहित कुल 132 बहुरंगी पेजों की है. इस अंक में कुल 39 वैज्ञानिक लेख व वैज्ञानिक कविताएं प्रकाशित हैं. उन्होंने बताया कि इसमें अनेक जनोपयोगी लेखों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी पर अद्यतन जानकारीयुक्त लेख प्रकाशित किए गए हैं, जो कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में आमजन की जिज्ञासाओं का समाधान करने वाले हैं. इस पुस्तक का प्रकाशन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के आंशिक सहयोग से हुआ है.

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