वाराणसी: कोरोना को लेकर अब तक जितने भी रिसर्च हुए हैं उसमें यह बात सामने आई है कि वैश्विक महामारी को अब तक केवल आयुर्वेदिक दवाओं से ही रोका जा सका है. प्रतिरोधक क्षमता में इनका सबसे बड़ा योगदान रहा है. ऐसे में बीएचयू के आयुर्वेद संकाय और मॉडर्न मेडिसिन के चिकित्सकों के हालिया अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि सोठ कोरोना वायरस में मददगार साबित हो सकता है.
जिले में बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर वैद्य सुशील दुबे ने बताया कि सोंठ का चूर्ण हमारे शरीर में अग्नि को और मजबूत करता है. आयुर्वेद में इस बात को माना गया है कि जब अग्नि कमजोर पड़ती है तभी हमें किसी प्रकार की व्याधि होती है.
साइंटिफिक रीजन
वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कोरोना वायरस हमारे शरीर में आने के लिए नाक और हमारे मुंह का प्रयोग करता है. हमारे शरीर में जहां भी फैक्ट मॉलिक्यूल होता है, जिसको आयुर्वेद में हम स्थान संसय कहते हैं. जब आप किसी रोग को बैठने को स्थान देंगे तभी वह आपके शरीर में स्थान पाता है. शोठ मॉलिक्यूल को हमारे शरीर में कम करता है. इसीलिए मरीज को दो ग्राम चूर्ण चूसने और एक ग्राम सुघंने को दिया गया. इससे मुंह और नाक में वायरस के टिकने की आशंका नहीं रहेगी.
900 लोगों पर किया गया प्रयोग
रेड क्रॉस सोसायटी के सहयोग से इस पर अध्ययन किया गया, जिसके लिए अगस्त के पहले सप्ताह में प्रोजेक्ट शुरू किया गया. सोठ के चूर्ण को लोगों की सहमति से भोजन के बाद सुबह-शाम दो-दो ग्राम खिलाया गया. वहीं कम मात्रा में चूर्ण को नाक के जरिए दिया गया. 900 लोगों में से 700 लोगों का 15 दिन में रिव्यु लिया गया, जिसमें से एक केस पर हल्की सी फाइंडिंग आई थी. उसके अलावा कोई भी केस नहीं मिला. इसके बाद 200 लोगों का एक महीने बाद फिर रिव्यू किया गया. इसका सकारात्मक परिणाम मिल रहा है. हमारी टीम अब इस पर नजर बनाए हुए है.
अध्ययन में यह लोग हैं शामिल
इस अध्ययन में मॉडर्न मेडिसिन आईएमएस बीएचयू के प्रोफेसर आरएन चौरसिया, ईएनटी के डॉक्टर विशंभर, डॉ. पीएन गायडगी, सर सुंदरलाल के एमएस प्रोफेसर एसके माथुर, आयुर्वेद विभाग से प्रोफेसर वाईबी त्रिपाठी और आईआईटीबीएचयू के प्रोफेसर सुनील मिश्रा शामिल हैं.