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वाराणसीः बीएचयू के छात्रों ने ट्विटर पर शुरू किया 'फाइंड बिहार की बेटी' कैंपेन - navaruna case

यूपी के वाराणसी जिले में बीएयू के छात्रों ने ट्विटर पर बिहार में अपहरण हुई 15 साल की नाबालिग लड़की के बचाव के लिए मुहिम चलाया है. छात्रों ने बिहार सरकार से सवाल पूछे हैं कि आखिर यह बेटी कब तक मिलेगी. वहीं इस केस को देखते हुए 2012 में हुई नवरुणा हत्याकांड की याद ताजा हो जाती है.

बीएचयू के छात्रों ने फाइंड बिहार की बेटी कैंपेन की शुरूआत की
बीएचयू के छात्रों ने फाइंड बिहार की बेटी कैंपेन की शुरूआत की
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Published : Sep 10, 2020, 3:10 PM IST

वाराणसीः जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र इन दिनों ट्विटर के माध्यम से एक मुहिम चला रहे हैं. इसमें #fiandBihariBeti लिखकर बिहार सरकार से यह सवाल पूछ रहे हैं कि यह बेटी आखिर कब तक मिलेगी. बीएचयू के सैकड़ों छात्रों ने ट्विटर पर इस मुहिम को आगे बढ़ाया है और बिहार की बेटी जल्द से जल्द मिले इसलिए यह प्रयास कर रहे हैं.

  • BHU के छात्रों ने शुरू किया #FindBiharKiBeti कैंपेन.
  • 3 सितंबर को मुजफ्फरपुर से कारोबारी की 15 साल की लड़की को उठा ले गए डकैत.
  • अभी तक नहीं मिला लड़की का कोई भी सुराग.

जानें क्या है मामला
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के दिघरा थाना अंतर्गत कारोबारी शंभू पांडे के घर बदमाशों ने लूट की घटना को अंजाम दिया. आरोपी पैसे और आभूषण के साथ घर की नाबालिग 15 वर्षीय लड़की को भी उठा ले गए. इसे लेकर पूरे बिहार में आक्रोश है. लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र भी ट्विटर के माध्यम से बिहार सरकार से यह सवाल पूछ रहें हैं कि आखिर बिहार की बेटी कब तक मिलेगी.

याद आ जाता है नवरुणा कांड
कारोबारी शंभू पांडेय की बेटी के अपहरण कांड ने 8 साल पुराने नवरुणा कांड की याद ताजा कर दी. 2012 में सितंबर माह में यह घटना हुई थी. इसमें गायब हुई नवरुणा का कंकाल ही मिला था. इस घटना और उस घटना में अंतर सिर्फ इतना है कि इसमें कारोबारी की बेटी का अपहरण परिवार के सामने हुआ था, जबकि उस घटना में नवरुणा का अपहरण तब हुआ था, जब घर में सब लोग सो रहे थे.

क्या हुआ था नवरुणा के साथ
18 सितंबर 2012 की रात मुजफ्फरपुर के जवाहरलाल रोड स्थित अपने घर में सो रही नवरुणा का अपहरण हो गया था. उसके कमरे की खिड़की की ग्रिल काटकर अपहरणकर्ता उसे उठा ले गए थे. अपहरण के ढाई महीने बाद उसके घर के पास के नाले की सफाई के दौरान एक मानव कंकाल मिला था. डीएनए जांच में इस कंकाल के नवरुणा के होने की पुष्टि हुई थी. इस बहुचर्चित मामले की सबसे पहले पुलिस ने और फिर सीआईडी ने जांच की थी, लेकिन कोई भी इस केस को सुलझाने में सफल नहीं हो पाया.

CBI ने शुरू की नवरुणा केस की जांच
नवरुणा हत्याकांड मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग उठने के बाद उस वक्त की तत्कालीन बिहार सरकार ने सितंबर 2013 में इसकी जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी. बिहार सरकार की अनुशंसा के बाद भी मामले की जांच करने से सीबीआई ने मना कर दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फरवरी 2014 में इसकी जांच शुरू हुई. सीबीआई की जांच के बाद आज भी नवरुणा केस की गुत्थी अनसुलझी है.

बीएचयू के छात्र संदीप सौरव ने बताया कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 3 सितंबर को घर में डकैती पढ़ती है. इसमें जरूरी सामान के साथ बदमाश घर की 15 साल की नाबालिग लड़की को भी उठाकर ले जाते हैं. एक हफ्ता होने के बाद भी लड़की को बिहार पुलिस खोज नहीं पाई है. ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहा जाता है जो गरीबों और मजदूरों के लिए एक मजाक है. बीएचयू के छात्र पूछना चाहते हैं कि बिहार सरकार कब तक उस बेटी को खोज निकालेगी.

वाराणसीः जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र इन दिनों ट्विटर के माध्यम से एक मुहिम चला रहे हैं. इसमें #fiandBihariBeti लिखकर बिहार सरकार से यह सवाल पूछ रहे हैं कि यह बेटी आखिर कब तक मिलेगी. बीएचयू के सैकड़ों छात्रों ने ट्विटर पर इस मुहिम को आगे बढ़ाया है और बिहार की बेटी जल्द से जल्द मिले इसलिए यह प्रयास कर रहे हैं.

  • BHU के छात्रों ने शुरू किया #FindBiharKiBeti कैंपेन.
  • 3 सितंबर को मुजफ्फरपुर से कारोबारी की 15 साल की लड़की को उठा ले गए डकैत.
  • अभी तक नहीं मिला लड़की का कोई भी सुराग.

जानें क्या है मामला
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के दिघरा थाना अंतर्गत कारोबारी शंभू पांडे के घर बदमाशों ने लूट की घटना को अंजाम दिया. आरोपी पैसे और आभूषण के साथ घर की नाबालिग 15 वर्षीय लड़की को भी उठा ले गए. इसे लेकर पूरे बिहार में आक्रोश है. लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र भी ट्विटर के माध्यम से बिहार सरकार से यह सवाल पूछ रहें हैं कि आखिर बिहार की बेटी कब तक मिलेगी.

याद आ जाता है नवरुणा कांड
कारोबारी शंभू पांडेय की बेटी के अपहरण कांड ने 8 साल पुराने नवरुणा कांड की याद ताजा कर दी. 2012 में सितंबर माह में यह घटना हुई थी. इसमें गायब हुई नवरुणा का कंकाल ही मिला था. इस घटना और उस घटना में अंतर सिर्फ इतना है कि इसमें कारोबारी की बेटी का अपहरण परिवार के सामने हुआ था, जबकि उस घटना में नवरुणा का अपहरण तब हुआ था, जब घर में सब लोग सो रहे थे.

क्या हुआ था नवरुणा के साथ
18 सितंबर 2012 की रात मुजफ्फरपुर के जवाहरलाल रोड स्थित अपने घर में सो रही नवरुणा का अपहरण हो गया था. उसके कमरे की खिड़की की ग्रिल काटकर अपहरणकर्ता उसे उठा ले गए थे. अपहरण के ढाई महीने बाद उसके घर के पास के नाले की सफाई के दौरान एक मानव कंकाल मिला था. डीएनए जांच में इस कंकाल के नवरुणा के होने की पुष्टि हुई थी. इस बहुचर्चित मामले की सबसे पहले पुलिस ने और फिर सीआईडी ने जांच की थी, लेकिन कोई भी इस केस को सुलझाने में सफल नहीं हो पाया.

CBI ने शुरू की नवरुणा केस की जांच
नवरुणा हत्याकांड मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग उठने के बाद उस वक्त की तत्कालीन बिहार सरकार ने सितंबर 2013 में इसकी जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी. बिहार सरकार की अनुशंसा के बाद भी मामले की जांच करने से सीबीआई ने मना कर दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फरवरी 2014 में इसकी जांच शुरू हुई. सीबीआई की जांच के बाद आज भी नवरुणा केस की गुत्थी अनसुलझी है.

बीएचयू के छात्र संदीप सौरव ने बताया कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 3 सितंबर को घर में डकैती पढ़ती है. इसमें जरूरी सामान के साथ बदमाश घर की 15 साल की नाबालिग लड़की को भी उठाकर ले जाते हैं. एक हफ्ता होने के बाद भी लड़की को बिहार पुलिस खोज नहीं पाई है. ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहा जाता है जो गरीबों और मजदूरों के लिए एक मजाक है. बीएचयू के छात्र पूछना चाहते हैं कि बिहार सरकार कब तक उस बेटी को खोज निकालेगी.

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