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वाराणसीः स्पेशल कोर्स में फीस माफी को लेकर बीएचयू के छात्रों ने वीसी को दिया ज्ञापन - बीएचयू के छात्रों ने वीसी को दिया ज्ञापन

वाराणसी जिले में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सोमवार को छात्रों ने फीस माफी को लेकर वीसी राकेश भटनागर को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान छात्रों ने कहा कि स्पेशल कोर्स के नाम पर जो फीस ली जा रही है, उसे कोरोना काल में माफ कर दिया जाए.

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बीएचयू वीसी को ज्ञापन
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Published : Aug 31, 2020, 4:42 PM IST

वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने सोमवार को कुलपति के नाम फीस माफी को लेकर ज्ञापन सौंपा. हालांकि कार्यालय में कुलपति के न रहने पर छात्रों ने उनसे संबंधित अधिकारी को ज्ञापन दिया. छात्रों की मांग है कि जो स्पेशल कोर्स के नाम पर फीस ली जा रही है, उसे कोरोना काल में माफ कर दिया जाए.

बीएचयू और साउथ कैंपस में तमाम स्पेशल कोर्स चलाए जाते हैं, जिनकी फीस 50,000 से लेकर लाखों रुपये तक है. ऐसे में वैश्विक महामारी के दौर में जहां छात्रों की कक्षाएं भी नहीं चलीं, उसके बाद भी उन्हें फीस देनी पड़ रही है. छात्रों का कहना है कि वह बेहद ही गरीब घर से आते हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा ली जा रही फीस या तो माफ कर दी जाए या तो उसमें कुछ रियायत दी जाए.

छात्रों ने मांग की कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन निर्देश जारी करे कि छात्रों की फीस जो स्पेशल कोर्स के नाम पर है, वह करोना काल में माफ की जाती है. छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर यह शुल्क माफी नहीं होती तो छात्र आंदोलन के रास्ते पर जाने को मजबूर होंगे.

शोध छात्र मृत्युंजय तिवारी आजाद ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा कि कोरोनावायरस के इस काल में छात्रों से इतनी मोटी रकम वसूलना कतई न्याय संगत नहीं है. इसीलिए विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों का शुल्क माफ करना चाहिए, जिसकी वजह से छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित न होने पाएं. छात्रों ने मांग किया कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांग पूरी करे.

वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने सोमवार को कुलपति के नाम फीस माफी को लेकर ज्ञापन सौंपा. हालांकि कार्यालय में कुलपति के न रहने पर छात्रों ने उनसे संबंधित अधिकारी को ज्ञापन दिया. छात्रों की मांग है कि जो स्पेशल कोर्स के नाम पर फीस ली जा रही है, उसे कोरोना काल में माफ कर दिया जाए.

बीएचयू और साउथ कैंपस में तमाम स्पेशल कोर्स चलाए जाते हैं, जिनकी फीस 50,000 से लेकर लाखों रुपये तक है. ऐसे में वैश्विक महामारी के दौर में जहां छात्रों की कक्षाएं भी नहीं चलीं, उसके बाद भी उन्हें फीस देनी पड़ रही है. छात्रों का कहना है कि वह बेहद ही गरीब घर से आते हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा ली जा रही फीस या तो माफ कर दी जाए या तो उसमें कुछ रियायत दी जाए.

छात्रों ने मांग की कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन निर्देश जारी करे कि छात्रों की फीस जो स्पेशल कोर्स के नाम पर है, वह करोना काल में माफ की जाती है. छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर यह शुल्क माफी नहीं होती तो छात्र आंदोलन के रास्ते पर जाने को मजबूर होंगे.

शोध छात्र मृत्युंजय तिवारी आजाद ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा कि कोरोनावायरस के इस काल में छात्रों से इतनी मोटी रकम वसूलना कतई न्याय संगत नहीं है. इसीलिए विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों का शुल्क माफ करना चाहिए, जिसकी वजह से छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित न होने पाएं. छात्रों ने मांग किया कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांग पूरी करे.

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