वाराणसी: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में पत्नी के सिर को काटकर थाने ले जाने का मामला सामने आया था. इस घटना ने एक बार फिर से मानवता पर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर व्यक्ति किस अवस्था में ऐसा करता है. उसके मन मस्तिष्क में ऐसा क्या हो जाता है कि व्यक्ति ऐसी हरकत कर बैठता है. इन सारी बातों के विषय में जानने के लिए हमने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय गुप्ता से खास बातचीत की.
प्रोफेसर संजय गुप्ता ने बताया कि बांदा जिले में किन्नर यादव नाम के व्यक्ति ने अपनी पत्नी का फरसे से काटकर अलग कर दिया. उसके बाद थाने में ले जाकर कहता है कि मैं सबको दिखाना चाहता हूं. मन में जब शक का बीज बैठ जाता है, तो बड़े से बड़ा पागलपन हो सकता है. बड़ी से बड़ी त्रासदी हो सकती है. वह अपने इस कार्य से बार-बार यह संदेश देना चाहता है कि जो चरित्रवान नहीं है उसको जीने का कोई हक नहीं है. वह अपने आपको तवज्जो देना चाहता है. यह देखना होगा क्या सच में उसकी पत्नी दोषी थी. प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि हमने अपनी प्रैक्टिस में देखा है कि कई बार शक मन में बैठ जाता है. जिसकी वजह से इस तरह की घटना होती है. बहुत से ऐसे पेशेंट भी देखे हैं जो अपनी पत्नी पर शक करते हैं, मोबाइल चेक करते हैं और आसपास के लोगों को से भी पूछते हैं.
प्रोफेसर गुप्ता ने बताया कि मानसिक व्यक्ति का व्यवहार जब थोड़ा डिग्री के ऊपर होता है तो उसको हम लोग बीमारी की संख्या दे देते हैं. अभी यह रिसर्च करने का विषय है कि क्या वह केवल डिसऑर्डर में था या अपने आपे से बाहर हो गया था. आपे से बाहर होने को हम लोग एंगर कंट्रोल डिसऑर्डर मानते हैं. कहीं न कहीं मनोविकार के पूरे-पूरे लक्षण हैं. उन्होंने कहा कि सही सेटलमेंट मिलता है तो यह लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं. देश में इस तरह की घटनाएं घटित होनी तभी बंद होगीं जब हम इस तरह के रोग को पहचानेंगे और समय रहते ही उनका उपचार करेंगे.