वाराणसी: संतान प्राप्ति के लिए लोलार्क षष्ठी पर इस वर्ष श्रद्धालु लोलार्क कुंड में स्नान से वंचित रहेंगे. जिला प्रशासन ने लोलार्क छठ पर होने वाले स्नान और मेले पर रोक लगा दी है. लिहाजा, कुंड में स्नान के लिए लोगों को अगले साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. इस वर्ष लोलार्क षष्ठी पर्व 12 सितंबर मनाया जाना है.
मान्यता है कि शिव की नगरी काशी के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में भाद्रपद शुक्ल षष्ठी पर स्नान करने से नि:संतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति की मान्यता के चलते हर साल इस कुंड में डुबकी लगाने के लिए लाखों की संख्या में भक्त इकट्ठा होते हैं. लेकिन, इस बार भी कोरोना महामारी के कारण श्रद्धालुओं को कुंड में स्नान की अनुमति नहीं है. ऐसे में भक्तों को एक वर्ष और इंतजार करना पड़ेगा. भक्तों को रोकने के लिए सूचना जनहित में जारी की गई है. उसके साथ ही जगह-जगह पर बैरिकेडिंग की जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को कुंड तक जाने से रोका जा सके.
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भगवान सूर्य ने स्थापित किया शिवलिंग
लोलार्क कुंड के प्रधान पुजारी रमेश कुमार पांडेय ने बताया इस बार लोलार्क छठ का मेला नहीं लग रहा है. कोविड-19 की वजह से पिछले वर्ष भी स्नान प्रतिबंध था. इस बार भी प्रतिबंधित है. हम प्रशासन के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. लाखों की संख्या में लोग पुत्र प्राप्ति और संतान प्राप्ति के लिए कुंड में स्नान करते हैं. इसी वजह से स्नान प्रतिबंधित है. भगवान सूर्य का विशेष स्थान है. यहीं पर उनका रथ का चक्र गिरा था. तभी से यह कुंड उत्पन्न हुआ है. सूर्य भगवान ने ही शिवलिंग स्थापना की है, जिसे लोलारकेश्वर महादेव कहते हैं. इनका अरघा पूरब की तरफ है जो पूरे विश्व में ऐसा अरघा नहीं है. स्नान के बाद भगवान शिव और भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
मंदिर के प्रधान पुजारी ने बताया कि स्नान करते समय दंपति एक विशेष प्रकार का फल हाथ में लेता है और पांच बार स्नान करता है. एक निष्ठा यह भी है कि उस फल को फिर जीवन भर वह ग्रहण नहीं करता है. उसका पूजन पाठ करके संकल्प लेते हैं. उस फल का त्याग करने से ही भगवान प्रसन्न होते हैं और संतान प्रदान करते हैं. मंदिर के प्रधान पुजारी के अनुसार पश्चिम बंगाल (उन दिनों बिहार) स्थित कूच बिहार स्टेट के राजा चर्म रोग से पीड़ित और निसंतान थे. यहां स्थान करने से न केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ बल्कि, उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई. इसके बाद उन्होंने इस कुंड का निर्माण कराया और जो वर्तमान समय में कुंड का स्वरूप है. पूजा पाल ने बताया कि मैंने भी यहां पर 5 साल पहले स्नान किया था. मुझे पुत्र प्राप्त हुआ. आज हम उसका मुंडन कराने आए हैं.
चंदौली के पीठाधीश्वर अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी ने समस्त भक्त जनों से अपील की है कि भक्त गण धैर्य धारण करें और अपने घर पर रहकर ही बाबा कीनाराम की षष्ठी मनाएं. आश्रम शाखा कार्यालय में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही मनाएं. आपको बता दें कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए विश्वविख्यात अघोरपीठ में हर वर्ष मनाया जाने वाला अघोर परम्परा का विख्यात पर्व - 'लोलार्क षष्ठी'- पिछली बार (2020) की तरह ही इस बार भी सांकेतिक रूप में ही मनाया जाएगा. सभी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों व वैचारिक गोष्ठियों का आयोजन निरस्त कर दिया गया है