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बसंत पंचमी: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यताएं

मंगलवार यानि 16 फरवरी को देश भर में बसंत पचंमी का त्योहार मानाया जा रहा है. कहते हैं इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती जी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन सरस्वती जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

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बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
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Published : Feb 16, 2021, 6:45 AM IST

वाराणसी: ज्ञान की देवी माता सरस्वती जिनकी आराधना छात्रों से लेकर कलाकारों और हर उस व्यक्ति के लिए अनिवार्य मानी जाती है, जो लेखनी या कला से जुड़ा है. मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए साल में एक बार वसंत पंचमी का विशेष दिन महत्वपूर्ण माना जाता है. तिथि के अनुसार, इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रही है.

इस समय करें पूजा
बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि बसंत पंचमी का पर्व इस बार 16 फरवरी को पड़ रहा है, लेकिन पंचमी तिथि 15 फरवरी की रात्रि 3:36 से प्रारंभ हो जाएगी. 16 फरवरी को पूरा दिन पंचमी तिथि का मान होगा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पंचमी तिथि की पूजा सुबह सूर्य उदय से लेकर 9:00 बजे तक करना ही श्रेयस्कर माना जाता है. क्योंकि यह मूर्ति सबसे उत्तम मोड़ तो होता है पूजा पाठ के लिए सरस्वती मां की आराधना करने के लिए इस वक्त की गई पूजा विशेष फलदाई होती है.

बसंत पंचमी 2021
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक बसंत पंचमी के मौके पर माता सरस्वती की आराधना करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले माता सरस्वती की मिट्टी की प्रतिमा या तस्वीर जो भी उपलब्ध हो उसे एक साथ स्थान पर किसी लकड़ी के पाटे या फिर साफ स्थल पर रखें. उसके बाद जल भरे कलश में आम के पत्ते पर नरियल रखकर उस पर देवी का आवाहन करें. देवी का आवाहन करने के साथ ही माता की प्रतिमा को धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें.
इन पुष्प और फलों से करें माता की आराधना
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बसंत पंचमी एक बदले हुए मौसम की शुरुआत मानी जाती है. इसलिए इस ऋतु में उपलब्ध जो भी फल और पुष्प उपलब्ध होते हैं, वह माता सरस्वती को अर्पित करना उत्तम माना जाता है. सरसों के फूल, लाल गुड़हल का फूल, पीले गेंदे के फूल, सूरजमुखी का फूल माता को अर्पित करना लाभकारी होता है. इसके अलावा बेर, रसभरी, संतरा आदि फल माता को अर्पित करने चाहिए. इसके अलावा पीली मिष्ठान माता को चढ़ाया जाना आवश्यक होता है. इसमें पीला पेड़ा, पीली बर्फी या फिर अन्य किसी भी तरह की पीली खाद्य सामग्री शामिल की जा सकती है.
विद्यार्थी रखें इन बातों का ध्यान
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता सरस्वती की आराधना करने के लिए साल में एक दिन पड़ने वाला यह पर्व बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि बसंत पंचमी के बाद ही परीक्षाओं की शुरुआत होती है. छात्र मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए उनका पूजन और अनुष्ठान करते हैं. इसलिए कुछ बातें हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस दिन किताब और कॉपियों को अध्ययन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह माता सरस्वती की पूजा का दिन होता है.

मान्यता है कि बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है और उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन ज्ञान अर्जन के लिए माता की आराधना करनी चाहिए. मां को पुष्प, रोली, अक्षत अर्पित करने के बाद हाथ जोड़कर उनका ध्यान करना चाहिए. मां की आरती करने के साथ पुस्तकों की भी आरती उतारनी चाहिए. कमजोर छात्रों को माता सरस्वती की पूजा करने के बाद हवन भी करना चाहिए. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं.

वाराणसी: ज्ञान की देवी माता सरस्वती जिनकी आराधना छात्रों से लेकर कलाकारों और हर उस व्यक्ति के लिए अनिवार्य मानी जाती है, जो लेखनी या कला से जुड़ा है. मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए साल में एक बार वसंत पंचमी का विशेष दिन महत्वपूर्ण माना जाता है. तिथि के अनुसार, इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रही है.

इस समय करें पूजा
बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि बसंत पंचमी का पर्व इस बार 16 फरवरी को पड़ रहा है, लेकिन पंचमी तिथि 15 फरवरी की रात्रि 3:36 से प्रारंभ हो जाएगी. 16 फरवरी को पूरा दिन पंचमी तिथि का मान होगा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पंचमी तिथि की पूजा सुबह सूर्य उदय से लेकर 9:00 बजे तक करना ही श्रेयस्कर माना जाता है. क्योंकि यह मूर्ति सबसे उत्तम मोड़ तो होता है पूजा पाठ के लिए सरस्वती मां की आराधना करने के लिए इस वक्त की गई पूजा विशेष फलदाई होती है.

बसंत पंचमी 2021
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक बसंत पंचमी के मौके पर माता सरस्वती की आराधना करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले माता सरस्वती की मिट्टी की प्रतिमा या तस्वीर जो भी उपलब्ध हो उसे एक साथ स्थान पर किसी लकड़ी के पाटे या फिर साफ स्थल पर रखें. उसके बाद जल भरे कलश में आम के पत्ते पर नरियल रखकर उस पर देवी का आवाहन करें. देवी का आवाहन करने के साथ ही माता की प्रतिमा को धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें.
इन पुष्प और फलों से करें माता की आराधना
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बसंत पंचमी एक बदले हुए मौसम की शुरुआत मानी जाती है. इसलिए इस ऋतु में उपलब्ध जो भी फल और पुष्प उपलब्ध होते हैं, वह माता सरस्वती को अर्पित करना उत्तम माना जाता है. सरसों के फूल, लाल गुड़हल का फूल, पीले गेंदे के फूल, सूरजमुखी का फूल माता को अर्पित करना लाभकारी होता है. इसके अलावा बेर, रसभरी, संतरा आदि फल माता को अर्पित करने चाहिए. इसके अलावा पीली मिष्ठान माता को चढ़ाया जाना आवश्यक होता है. इसमें पीला पेड़ा, पीली बर्फी या फिर अन्य किसी भी तरह की पीली खाद्य सामग्री शामिल की जा सकती है.
विद्यार्थी रखें इन बातों का ध्यान
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता सरस्वती की आराधना करने के लिए साल में एक दिन पड़ने वाला यह पर्व बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि बसंत पंचमी के बाद ही परीक्षाओं की शुरुआत होती है. छात्र मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए उनका पूजन और अनुष्ठान करते हैं. इसलिए कुछ बातें हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस दिन किताब और कॉपियों को अध्ययन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह माता सरस्वती की पूजा का दिन होता है.

मान्यता है कि बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है और उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन ज्ञान अर्जन के लिए माता की आराधना करनी चाहिए. मां को पुष्प, रोली, अक्षत अर्पित करने के बाद हाथ जोड़कर उनका ध्यान करना चाहिए. मां की आरती करने के साथ पुस्तकों की भी आरती उतारनी चाहिए. कमजोर छात्रों को माता सरस्वती की पूजा करने के बाद हवन भी करना चाहिए. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं.

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