ETV Bharat / state

बापू का काशी से था खास रिश्ता, बीएचयू के स्थापना दिवस में हुए थे शामिल

आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. पूरा देश बापू को श्रद्धांजलि दे रहा है. बापू और काशी का बेहद खास रिश्ता रहा है. पहली बार 1903 में बापू काशी आए थे. उन्होंने वहां काशी विश्वनाथ के दर्शन भी किए थे.

बापू का काशी से था खास रिश्ता.
author img

By

Published : Oct 2, 2019, 10:22 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 3:11 PM IST

वाराणसी: महात्मा गांधी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय यह तीनों एक कड़ी हैं. दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. गांधी से महात्मा और स्वतंत्रता आंदोलन के एक-एक पल का गवाह रहा है काशी हिंदू विश्वविद्यालय. आज भी बीएचयू के मालवीय भवन में बीएचयू स्थापना से लेकर स्वतंत्रा आंदोलन तक के चित्रों को सहेज के रखा गया है, जिसमें महात्मा गांधी, नेहरू, एनी बेसेंट और सर्वपल्ली राधाकृष्णन शामिल हैं. भारत की महान विभूतियां आज भी मालवीय भवन में आने वाले छात्र-छात्राओं को अपने इतिहास को बयां करती हैं.

जानकारी देते प्रो. कौशल किशोर मिश्र

बीएचयू के स्थापना समारोह में शामिल हुए थे बापू

महात्मा गांधी बनारस 1903 में पहली बार आए थे और उन्होंने वहां काशी विश्वनाथ के दर्शन किए. उसके बाद महात्मा गांधी की दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई, तब वह मोहनदास करमचंद गांधी के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. वह 3 फरवरी को काशी आए और अगले दिन यानी 4 फरवरी को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना समारोह में शामिल हुए.

गांधी का बनारस प्रेम

महात्मा गांधी का बनारस से विशेष लगाव था. गांधी बनारस कई बार आए. गांधी बनारस 1903 में पहली बार आए थे. दूसरी बार 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी के दिन आए थे. तीसरी बार गांधी 20 फरवरी 1920 को बनारस आए और उन्होंने 21 फरवरी को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया. तब वह भारतीय राजनीति और भारतीय आंदोलन के क्षितिज पर छा चुके थे. चौथी यात्रा 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया.

युगांतकारी असहयोग आंदोलन प्रस्ताव पारित हुआ

गांधी जी ने चौथी यात्रा में 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया. इस बैठक में लाला लाजपत राय, लोकमान्य तिलक भी मौजूद थे, जिसमें जालियांवाला बाग कांड से आहत पंडित मोतीलाल नेहरू ने जलियांवाला नरसंहार कांड की रिपोर्ट रखी. उसके बाद गांधी ने युगांतकारी असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम पहली बार यहीं रखा जिसका प्रस्ताव पारित हुआ और गांधी ने काशी को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का साक्षी बना दिया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में 21 जनवरी 1942 को महात्मा गांधी शामिल हुए थे.

बीएचयू में गांधी जी ने कहा था

गांधी जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कहा था सत्य की खोज, सत्य का दर्शन है. मान्यता है पिछड़े वर्गों का कल्याण है दलितों का उत्थान है. गरीबों के गरीबी का उन्मूलन है. स्वच्छता अभियान है. पर्यावरण की सुरक्षा है. यह सारी बातें गांधी जी ने स्थापना के समय अपने भाषण में कही थीं.

प्रो. मिश्र ने बताया

गांधी के व्यक्तित्व को विश्वव्यापी बनाने में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का अहम योगदान है. इसको तो मानना पड़ेगा और काशी हिंदू विश्वविद्यालय पंडित मदन मोहन मालवीय आधार को लेकर जिस दर्शन को लेकर जिस संस्कार को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थापना किया था. उसी आधार को लेकर के महात्मा गांधी ने सेंट्रल स्कूल में अपना भाषण दिया.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी का संबंध वैसे ही है, जैसे पंडित मदन मोहन मालवीय और काशी हिंदू विश्वविद्यालय का है. मैं यह मानता हूं कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महात्मा गांधी को क्यों चुना बेहद खास. महात्मा गांधी जिस वक्त काशी आए थे और काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में सेंट्रल हिंदू स्कूल के स्वर्गा हाल में उन्होंने अपना भाषण दिया तो उस समय गांधी महात्मा गांधी नहीं थे.
-प्रो. कौशल किशोर मिश्र, राजनीति विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय

वाराणसी: महात्मा गांधी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय यह तीनों एक कड़ी हैं. दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. गांधी से महात्मा और स्वतंत्रता आंदोलन के एक-एक पल का गवाह रहा है काशी हिंदू विश्वविद्यालय. आज भी बीएचयू के मालवीय भवन में बीएचयू स्थापना से लेकर स्वतंत्रा आंदोलन तक के चित्रों को सहेज के रखा गया है, जिसमें महात्मा गांधी, नेहरू, एनी बेसेंट और सर्वपल्ली राधाकृष्णन शामिल हैं. भारत की महान विभूतियां आज भी मालवीय भवन में आने वाले छात्र-छात्राओं को अपने इतिहास को बयां करती हैं.

जानकारी देते प्रो. कौशल किशोर मिश्र

बीएचयू के स्थापना समारोह में शामिल हुए थे बापू

महात्मा गांधी बनारस 1903 में पहली बार आए थे और उन्होंने वहां काशी विश्वनाथ के दर्शन किए. उसके बाद महात्मा गांधी की दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई, तब वह मोहनदास करमचंद गांधी के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. वह 3 फरवरी को काशी आए और अगले दिन यानी 4 फरवरी को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना समारोह में शामिल हुए.

गांधी का बनारस प्रेम

महात्मा गांधी का बनारस से विशेष लगाव था. गांधी बनारस कई बार आए. गांधी बनारस 1903 में पहली बार आए थे. दूसरी बार 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी के दिन आए थे. तीसरी बार गांधी 20 फरवरी 1920 को बनारस आए और उन्होंने 21 फरवरी को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया. तब वह भारतीय राजनीति और भारतीय आंदोलन के क्षितिज पर छा चुके थे. चौथी यात्रा 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया.

युगांतकारी असहयोग आंदोलन प्रस्ताव पारित हुआ

गांधी जी ने चौथी यात्रा में 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया. इस बैठक में लाला लाजपत राय, लोकमान्य तिलक भी मौजूद थे, जिसमें जालियांवाला बाग कांड से आहत पंडित मोतीलाल नेहरू ने जलियांवाला नरसंहार कांड की रिपोर्ट रखी. उसके बाद गांधी ने युगांतकारी असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम पहली बार यहीं रखा जिसका प्रस्ताव पारित हुआ और गांधी ने काशी को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का साक्षी बना दिया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में 21 जनवरी 1942 को महात्मा गांधी शामिल हुए थे.

बीएचयू में गांधी जी ने कहा था

गांधी जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कहा था सत्य की खोज, सत्य का दर्शन है. मान्यता है पिछड़े वर्गों का कल्याण है दलितों का उत्थान है. गरीबों के गरीबी का उन्मूलन है. स्वच्छता अभियान है. पर्यावरण की सुरक्षा है. यह सारी बातें गांधी जी ने स्थापना के समय अपने भाषण में कही थीं.

प्रो. मिश्र ने बताया

गांधी के व्यक्तित्व को विश्वव्यापी बनाने में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का अहम योगदान है. इसको तो मानना पड़ेगा और काशी हिंदू विश्वविद्यालय पंडित मदन मोहन मालवीय आधार को लेकर जिस दर्शन को लेकर जिस संस्कार को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थापना किया था. उसी आधार को लेकर के महात्मा गांधी ने सेंट्रल स्कूल में अपना भाषण दिया.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी का संबंध वैसे ही है, जैसे पंडित मदन मोहन मालवीय और काशी हिंदू विश्वविद्यालय का है. मैं यह मानता हूं कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महात्मा गांधी को क्यों चुना बेहद खास. महात्मा गांधी जिस वक्त काशी आए थे और काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में सेंट्रल हिंदू स्कूल के स्वर्गा हाल में उन्होंने अपना भाषण दिया तो उस समय गांधी महात्मा गांधी नहीं थे.
-प्रो. कौशल किशोर मिश्र, राजनीति विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय

Intro:नॉट महात्मा गांधी की जयंती पर विशेष


वाराणसी महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय और भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय यह तीनों एक कड़ी है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। गांधी से महात्मा और स्वतंत्रता आंदोलन के एक-एक पल का गवाह रहा है काशी हिंदू विश्वविद्यालय।

आज भी बीएचयू के मालवीय भवन में बीएचयू स्थापना से लेकर स्वतंत्रा आंदोलन तक के चित्रों को सहेज के रखा गया है जिसमें महात्मा गांधी नेहरू एनी बेसेंट सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के महान विभूतियां आज भी मालवीय भवन में आने वाले छात्र छात्राओं को अपने इतिहास को बयां करती हैं।





Body:आइए हम जानते हैं कब-कब बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी आए गांधी

बनारस 1903 में पहली बार महात्मा गांधी आए थे और उन्होंने का श्री काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन किया।
उसके बाद महात्मा गांधी दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई तब वह मोहनदास करमचंद गांधी के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे, वह 3 फरवरी को काशी आए और अगले दिन यानी 4 फरवरी को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना समारोह में शामिल हुए।

तीसरी यात्रा वर्ष 20 फरवरी 1920 आए और उन्होंने 21 फरवरी को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया तब भारतीय राजनीति और और भारतीय आंदोलन के क्षितिज पर छा चुके थे। चौथी यात्रा 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लिया। बैठक की लाला लाजपत राय, लोकमान्य तिलक भी मौजूद थे जिसमें जालियांवाला बाग कांड से आहत पंडित मोतीलाल नेहरू ने जलियांवाला नरसंहार कांड की रिपोर्ट रखी उसके बाद गांधी ने युगांत कारी असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम पहली बार यही रखा प्रस्ताव पारित हुआ और गांधी ने काशी को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का साक्षी बना दिया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में 21 जनवरी 1942 को महात्मा गांधी शामिल हुए थे।










Conclusion:

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा काशी हिंदू विश्वविद्यालय और गांधी के संबंधों पर बताते हुए कहते हैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी का संबंध वैसे ही है। जैसे पंडित मदन मोहन मालवीय और काशी हिंदू विश्वविद्यालय का है। मैं यह मानता हूं कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महात्मा गांधी को क्यों चुना बेहद खास है। महात्मा गांधी जिस वक्त काशी आए थे और काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में सेंट्रल हिंदू स्कूल के स्वर्गा हाल में उन्होंने अपना भाषण दिया तो उस समय गांधी महात्मा गांधी नहीं थे। सिर्फ मोहनदास करमचंद थे सामान्य व्यक्ति के रूप में पंडित मदन मोहन मालवीय ने यहां बुलाया था मैं यह मानता हूं काशी हिंदू विश्वविद्यालय उद्घाटन समारोह में भाग लेकर के गांधी का अवतरण इस देश की राजनीति में हुआ।

प्रो मिश्र ने बताया गांधी का व्यक्तित्व बड़ा बना गांधी के व्यक्तित्व विश्वव्यापी बनाने में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का अहम योगदान है इसको तो मानना पड़ेगा और काशी हिंदू विश्वविद्यालय पंडित मदन मोहन मालवीय आधार को लेकर जिस दर्शन को लेकर जिस संस्कार को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थापना किया था उसी आधार को लेकर के महात्मा गांधी ने सेंट्रल स्कूल अपना भाषण दिया।
प्रो कौशल किशोर ने कहा गाँधी जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कहा था सत्य की खोज है सत्य का दर्शन है मान्यता है पिछड़े वर्गों का कल्याण है दलितों का उत्थान है गरीबों के गरीबी का उन्मूलन है स्वच्छता अभियान है पर्यावरण की सुरक्षा है।यह सारी बातें गांधी जी ने स्थापना के समय अपने भाषण में दिया था।


बाईट :-- प्रो कौशल किशोर मिश्र, राजनीति विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय।

नॉट महात्मा गांधी की जयंती पर विशेष

आशुतोष उपाध्याय

9005099684
Last Updated : Oct 2, 2019, 3:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.