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बीएचयू में पढ़ाएं जाएंगे महामना, दो वर्षीय कोर्स का होगा शुभारंभ

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय को अब छात्र कोर्स के रूप में पढ़ेंगे. इसके लिए एक समिति गठित की गई है, जो पूरी रूपरेखा तैयार करेगी. यह कोर्स दो वर्षीय डिग्री के रूप में पढ़ाया जाएगा.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय.
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Published : Nov 28, 2020, 1:14 PM IST

वाराणसी: पूर्वांचल की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय को छात्र अब एक कोर्स के रूप में पड़ेंगे. दो वर्ष के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में छात्रों को डिग्री भी मिलेगी. मालवीय स्टडीज एंड स्टडी ऑफ काशी का पाठ्यक्रम तैयार करने में समिति गठित की गई है. सब कुछ ठीक रहा तो नए सत्र से दो वर्षीय पीजी कोर्स का प्रारंभ हो जाएगा.


काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 में मदन मोहन मालवीय ने की थी. इस विश्वविद्यालय को 104 साल पूरे हो गए हैं. महामना पंडित मदन मालवीय को बतौर विषय पढ़ने की तैयारी बीएचयू में की जा रही है. विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के मालवीय स्टडी एंड स्टडी ऑफ काशी के नाम से दो वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स की रूपरेखा तैयार करने का दायित्व समिति को मिला है.

भिक्षा मांगकर की स्थापना
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना 1916 में की गई. मालवीय जी ने एक संकल्प के साथ भिक्षा मांग कर इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया. 1360 एकड़ में बसाया गया आवासीय विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है. वेद, विज्ञान, संस्कृत संगीत, हिन्दी, साहित्य, गणित और चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई यहां पर होती है. विश्वविद्यालय की हरियाली देखकर लगता है कि स्वयं विश्वकर्मा ने इसे बसाया है.

'महामना का पुजारी हूं'
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित मदन मोहन मालवीय एक-दूसरे के प्रेरणा स्रोत हैं, लेकिन गांधीजी ने अपने एक लेख में कहा है कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी आना उनके लिए एक तीर्थ के समान है और वह महामना के पुजारी हैं.


बनाई गई कमेटी
नए कोर्स की रूपरेखा तैयार करने के लिए संकाय स्तर पर कमेटी बनाई गई है. रूपरेखा तैयार होने के बाद कमेटी इस संकाय की पब्लिक प्लानिंग कमेटी के समक्ष रखेगी. इसलिए विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल के एग्जिट काउंसिल अध्ययन के बाद ही इस पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी.

महामना को करीब से जानेगा देश
सामाजिक विज्ञान संकाय डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि 104 साल विश्वविद्यालय की स्थापना के पूरा हो गए हैं. भले ही महामना को लोग जानते हैं, लेकिन नई पीढ़ी महामना के योगदान को देश के प्रति उनके कर्तव्य को व उनके राजनीतिक चिंतन को कैसे जानेगी. इसके लिए हम लोग इस कोर्स को प्रारंभ करने जा रहे हैं. काशी के बारे में विदेशी पुस्तकें लिख रहे हैं. पूरे देश में महामना पर शुरू होने वाला यह पहला कोर्स होगा. इसके पहले लोग किताबों में ही महामना को पढ़ते थे, लेकिन जल्द ही कोर्स के रूप में महामना को पढ़ सकेंगे.

वाराणसी: पूर्वांचल की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय को छात्र अब एक कोर्स के रूप में पड़ेंगे. दो वर्ष के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में छात्रों को डिग्री भी मिलेगी. मालवीय स्टडीज एंड स्टडी ऑफ काशी का पाठ्यक्रम तैयार करने में समिति गठित की गई है. सब कुछ ठीक रहा तो नए सत्र से दो वर्षीय पीजी कोर्स का प्रारंभ हो जाएगा.


काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 में मदन मोहन मालवीय ने की थी. इस विश्वविद्यालय को 104 साल पूरे हो गए हैं. महामना पंडित मदन मालवीय को बतौर विषय पढ़ने की तैयारी बीएचयू में की जा रही है. विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के मालवीय स्टडी एंड स्टडी ऑफ काशी के नाम से दो वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स की रूपरेखा तैयार करने का दायित्व समिति को मिला है.

भिक्षा मांगकर की स्थापना
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना 1916 में की गई. मालवीय जी ने एक संकल्प के साथ भिक्षा मांग कर इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया. 1360 एकड़ में बसाया गया आवासीय विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है. वेद, विज्ञान, संस्कृत संगीत, हिन्दी, साहित्य, गणित और चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई यहां पर होती है. विश्वविद्यालय की हरियाली देखकर लगता है कि स्वयं विश्वकर्मा ने इसे बसाया है.

'महामना का पुजारी हूं'
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित मदन मोहन मालवीय एक-दूसरे के प्रेरणा स्रोत हैं, लेकिन गांधीजी ने अपने एक लेख में कहा है कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी आना उनके लिए एक तीर्थ के समान है और वह महामना के पुजारी हैं.


बनाई गई कमेटी
नए कोर्स की रूपरेखा तैयार करने के लिए संकाय स्तर पर कमेटी बनाई गई है. रूपरेखा तैयार होने के बाद कमेटी इस संकाय की पब्लिक प्लानिंग कमेटी के समक्ष रखेगी. इसलिए विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल के एग्जिट काउंसिल अध्ययन के बाद ही इस पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी.

महामना को करीब से जानेगा देश
सामाजिक विज्ञान संकाय डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि 104 साल विश्वविद्यालय की स्थापना के पूरा हो गए हैं. भले ही महामना को लोग जानते हैं, लेकिन नई पीढ़ी महामना के योगदान को देश के प्रति उनके कर्तव्य को व उनके राजनीतिक चिंतन को कैसे जानेगी. इसके लिए हम लोग इस कोर्स को प्रारंभ करने जा रहे हैं. काशी के बारे में विदेशी पुस्तकें लिख रहे हैं. पूरे देश में महामना पर शुरू होने वाला यह पहला कोर्स होगा. इसके पहले लोग किताबों में ही महामना को पढ़ते थे, लेकिन जल्द ही कोर्स के रूप में महामना को पढ़ सकेंगे.

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