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वाराणसी: BHU ने इस रोग का बनाया पहला टीका, चूहों पर किया प्रयोग - स्ट्रेप्टोकोकल की वैक्सीन

वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर और जेएनयू और अंतरराष्ट्रीय संस्थान के शोधार्थियों ने बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है. स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण (गले संबंधित खतरनाक संक्रमण) के अंत के लिए टीका विकसित किया है.

banaras hindu university
स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण से हर साल लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है
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Published : Jul 16, 2020, 10:43 PM IST

वाराणसी: स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. यह संक्रमण हर वर्ष पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है. फिलहाल इस संक्रमण से इलाज के लिए कोई टीका अस्तित्व में नहीं है. यह ऐतिहासिक अध्ययन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित शोध पत्र NATURE COMMUNICATION में 15 जुलाई 2020 को प्रकाशित हुआ.

प्रोफेसर राकेश भटनागर ने बताया इस टीके का चूहों में कई सेरोटाईप के खिलाफ परीक्षण किया गया, जिसमें 70 से 90% तक प्रतिरक्षा के नतीजे सामने आए हैं. इस बारे में पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया गया है. यह टीम अब किसी कंपनी के आगे आने का इंतजार कर रही है. ताकि टीके के फ्री क्लीनिक अध्ययन व मानव परीक्षण की दिशा में काम हो और टीका बाजार तक पहुंच सके. तीन साल पहले जेएनयू के प्रोफेसर अतुल कुमार जौहरी और अन्य शोधार्थियों के साथ यह अध्ययन शुरू किया गया था. प्रोफेसर भटनागर ने कहा कि स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण पर उनके अध्ययन के नतीजे व्यापक हित के नजरिये से अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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रिवर वैक्सीनोलॉजी के प्रयोग में क्लॉक प्रोटेक्टिव वैक्सीन का पता लगाया गया है

76 से 96% तक प्रतिरक्षण
प्रोफेसर भटनागर ने बताया कि वैज्ञानिकों की टीम ने रिवर वैक्सीनोलॉजी के प्रयोग में क्लॉक प्रोटेक्टिव वैक्सीन का पता लगाया. इस प्रक्रिया में चूहों में प्रशिक्षण के दौरान बैक्टीरिया रोधी एंटीबायोटिक विकसित हुए, जिसमें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के सेरोटाईप में मौजूद(Group A Streptococcus) GAS ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकल नष्ट हुए. अध्ययन में GAS सेरोटाइप से 76 से 96% तक प्रतिरक्षण साबित हुआ. स्ट्रेप्टोकोकल पायोजीनेस गले संबंधित खतरनाक संक्रमण को जन्म देने वाला आम बैक्टीरिया है. इस बैक्टीरिया से गले में जलन, पस उत्पन्न करने वाली बीमारियां और त्वचा संक्रमण होता है, जो मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और बच्चों में पाया जाता है.

वाराणसी: स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. यह संक्रमण हर वर्ष पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है. फिलहाल इस संक्रमण से इलाज के लिए कोई टीका अस्तित्व में नहीं है. यह ऐतिहासिक अध्ययन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित शोध पत्र NATURE COMMUNICATION में 15 जुलाई 2020 को प्रकाशित हुआ.

प्रोफेसर राकेश भटनागर ने बताया इस टीके का चूहों में कई सेरोटाईप के खिलाफ परीक्षण किया गया, जिसमें 70 से 90% तक प्रतिरक्षा के नतीजे सामने आए हैं. इस बारे में पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया गया है. यह टीम अब किसी कंपनी के आगे आने का इंतजार कर रही है. ताकि टीके के फ्री क्लीनिक अध्ययन व मानव परीक्षण की दिशा में काम हो और टीका बाजार तक पहुंच सके. तीन साल पहले जेएनयू के प्रोफेसर अतुल कुमार जौहरी और अन्य शोधार्थियों के साथ यह अध्ययन शुरू किया गया था. प्रोफेसर भटनागर ने कहा कि स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण पर उनके अध्ययन के नतीजे व्यापक हित के नजरिये से अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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रिवर वैक्सीनोलॉजी के प्रयोग में क्लॉक प्रोटेक्टिव वैक्सीन का पता लगाया गया है

76 से 96% तक प्रतिरक्षण
प्रोफेसर भटनागर ने बताया कि वैज्ञानिकों की टीम ने रिवर वैक्सीनोलॉजी के प्रयोग में क्लॉक प्रोटेक्टिव वैक्सीन का पता लगाया. इस प्रक्रिया में चूहों में प्रशिक्षण के दौरान बैक्टीरिया रोधी एंटीबायोटिक विकसित हुए, जिसमें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के सेरोटाईप में मौजूद(Group A Streptococcus) GAS ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकल नष्ट हुए. अध्ययन में GAS सेरोटाइप से 76 से 96% तक प्रतिरक्षण साबित हुआ. स्ट्रेप्टोकोकल पायोजीनेस गले संबंधित खतरनाक संक्रमण को जन्म देने वाला आम बैक्टीरिया है. इस बैक्टीरिया से गले में जलन, पस उत्पन्न करने वाली बीमारियां और त्वचा संक्रमण होता है, जो मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और बच्चों में पाया जाता है.

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