वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जिसको बाबा विश्वनाथ और मां गंगा की वजह से जाना जाता है. विश्व के सबसे पुराने शहर में लंबे वक्त से मां गंगा बह रही हैं और आज भी लोगों के पापों को धोकर उन्हें मुक्ति देने का काम कर रही हैं. गंगा की हालत आज बद से बदतर होती जा रही है. एक तरफ जहां गंगा में तेजी से पानी कम हो रहा है. वही तेजी से गिर रहे नाले सरकारी दावों की हकीकत की पोल खोलते नजर आ रहे हैं, जिनके लिए सरकार अब तक हजारों करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने गंगा की वर्तमान स्थिति का लिया जायजा
जिले के दौरे पर पहुंचे जनशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 साल के अंदर गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल किए जाने की बात कही है. जिसके बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने भी गंगा की वर्तमान स्थिति और निर्मलता की हकीकत जानी तो सच्चाई सामने आ गई. आज भी नगवा इलाके में तेजी से एक नाला सीधे गंगा में आकर मिल रहा है. जिसके बाद गंगा निर्मली करण की सच्चाई यहीं पर खत्म होती दिख रही है. मोदी के मंत्री नवंबर तक बनारस में इन तीन नालों के गंगा में गिराए जाने से रोके जाने की बात कर रहे हैं.
गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही कमी
गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही कमी के बाद गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण का स्तर सरकार के दावों की हकीकत बताने के लिए काफी है. बनारस में लगातार गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज हुई है केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 1 सप्ताह पहले जहां वाराणसी में गंगा का जलस्तर 58.29 रिकॉर्ड हुआ था, वहीं अब यह घटकर 57.97 के लगभग पहुंच चुका है.
वही गंगा में अब जल न ही नहाने योग्य और न ही आचमन योग्य रह गया है. खुद मोदी सरकार के मंत्री भी कह रहे हैं कि हमारा पहला लक्ष्य गंगा के जल को आचमन योग्य बनाना है. वाराणसी में गंगा के जल में पॉल्यूशन लेवल की अगर बात की जाए तो वर्तमान में गंगा में टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा 8400 एमपीएन से ज्यादा है. जो निर्धारित मानक से लगभग 10 गुना से भी ज्यादा है.
लगातार बढ़ रहा है गंगा में प्रदूषण का स्तर
गंगा पर लगातार रिसर्च करने वाली अलग-अलग एजेंसियों के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो अपस्ट्रीम के अलावा डाउनस्ट्रीम खिड़कियां नाला और वरुणा के आस-पास कोई भी जलचर गंगा में अब जिंदा रहने की स्थिति में है. इसकी बड़ी वजह यह है कि d.o.b. प्रति लीटर 1, 2 व 0 है. जबकि सामान्य तौर पर या मानक के अनुसार 5 या उससे अधिक होना चाहिए. जिसका नतीजा यह है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. तीन नालों का पानी अभी भी सीधे गंगा में गिर रहा है, जो गंगा के प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हुए सरकार के दावों को हवा हवाई बताने के लिए काफी है.
गंगा की निर्मलता उसकी अविरलता पर निर्भर है, लेकिन गंगा में पानी ही नहीं है. जिस वजह से गंगा की स्थिति और बिगड़ रही है और गंगा में पानी कम होने की वजह से प्रदूषण की मात्रा भी गंगा में तेजी से बढ़ रही है.
-प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिकसरकार के मंत्री और अधिकारी झूठ न बोले यदि गंगा में नाले गिरना बंद हो गए होते तो सच में गंगा में वर्तमान स्थिति और भी दयनीय होती. क्योंकि गंगा के 98% पानी को उत्तराखंड में ही बांधों में रोक लिया जा रहा है. 2% पानी जो यहां आ रहा है वह सप्लाई और सिंचाई के लिए दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है. गंगा में गंगा का पानी है ही नहीं इन नालों की बदौलत ही गंगा की यह स्थिति काशी में देखने को मिल रही है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्री झूठ बोलकर मोदी का नाम न खराब करें.
- गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री