वाराणसी: शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने और लोगों को सहूलियत देने के उद्देश्य से शहर में फ्लाईओवर का जाल बिछाने की तैयारी की गई. लगातार एक के बाद एक कई फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हुआ. लगभग 200 दिन पहले चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर की शुरुआत करते हुए पब्लिक की मुसीबतों को कम करने का प्रयास हुआ, लेकिन यह प्रयास 200 दिन में ही औंधे मुंह गिर गया. हालात यह हैं कि अब चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर की हालत खस्ता हो गई है. बनारस में इस नवनिर्मित फ्लाईओवर पर गड्ढे ही गड्ढे हैं. चारों तरफ गड्ढे न केवल भ्रष्टाचार की कहानी को बयां कर रहे हैं, बल्कि पब्लिक की मुसीबतों को कम करने की जगह बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
महत्तवपूर्ण बातें-
- 200 दिन में गड्ढों में तब्दील हुआ चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर.
- पीएम मोदी ने किया था लोकार्पण.
- 171 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था फ्लाईओवर.
इस फ्लाईओवर पर चलना इस वक्त खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि जगह-जगह बने गड्ढों ने तेज रफ्तार वाहनों की गति को धीमा ही नहीं किया है, बल्कि एक नई समस्या को पैदा कर दिया है. गड्ढों की बढ़ रही संख्या तेज रफ्तार वाहनों की रफ्तार को अचानक से न सिर्फ धीमा करती है, बल्कि किसी तेज रफ्तार वाहन के पीछे आ रहे दूसरे वाहन को भी खतरे में भी डाल रही है. 1710 मीटर के फ्लाईओवर, सर्विस रोड और एप्रोच मार्ग की हालत बेहद खराब है. यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार वाराणसी का दौरा कर विकास कार्यों और तमाम योजनाओं का जायजा स्वयं ले रहे हैं. सड़कों की मॉनिटरिंग सीधे केंद्र सरकार की तरफ से की जा रही है. इसके बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को इस नए फ्लाईओवर का लोकार्पण किया था. 171 करोड़ों की लागत से तैयार हुए इस फ्लाईओवर के बनने के बाद समस्याएं कम होने की जगह अब बढ़ती ही जा रही हैं. गड्ढे और खराब पिच रोड यह बयां कर रहे हैं कि फ्लाईओवर का निर्माण और इसके पीछे सड़क का निर्माण किस खराब सामग्री से किया गया है. पहली मानसूनी बारिश में ही इस पूरे फ्लाईओवर की सड़क उधड़ चुकी है, जो बड़े हादसे को दावत दे रही है. पब्लिक भी परेशान है. वो इसके लिए सीधे-सीधे प्रशासन को जिम्मेदार मान रही है.
वहीं इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक रोहित मिश्रा का कहना है कि जो भी खराब स्थिति है, गड्ढे हैं, उनको ठीक करने के लिए कहा गया है. ठेकेदार को इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है और माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में ठेकेदार या कार्यदायी संस्था के कुछ नीचे के लोग कार्रवाई की जद में आ सकते हैं.
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