वाराणसी: धर्म नगरी काशी में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए परिवहन विभाग ने धर्म नगरी को अयोध्या नगरी से जोड़ने का निर्णय लिया है. इसके लिए बकायदा काशी से अयोध्या तक सीधी बस सेवा शुरू की जाएगी. खास बात यह होगी कि बनारस से जौनपुर, शाहगंज, अकबरपुर, गोसाईपुर होते हुए 10 अनुबंधित बसों का संचालन किया जाएगा, जो यात्रियों को शिव की नगरी से राम की नगरी तक लेकर जाएंगे.
अब तक वाराणसी से सीधे अयोध्या के लिए बसों का संचालन नहीं किया जाता था. लेकिन, धर्म नगरी में लगातार यात्रियों और पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सड़क परिवहन निगम ने सीधी बस सेवा शुरू करने का निर्णय लिया है, जो जौनपुर अकबरपुर गोसाईपुर होते हुए अयोध्या पहुंचेगी. इस बारे में क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा ने बताया कि वाराणसी और अयोध्या दोनों ही सांस्कृतिक नगरी है. जो भी टूरिस्ट काशी आते हैं वह अयोध्या के लिए कनेक्ट करते हैं. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अब डायरेक्ट अयोध्या के लिए बसों की सुविधा अनुबंध योजना के तहत शुरू की जाने वाली हैं. जिससे कम समय में यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सके. हमारी योजना है कि यात्री एक दिन में ही अयोध्या जा और आ सके. जल्द से जल्द इस सुविधा को शुरू कर दिया जाएगा.
पहले फेज में दस बसों का होगा संचालन
उन्होंने बताया कि पहले फेज में 10 बसों का संचालन किया जाएगा, जिसमें चार एसी वातानुकूलित और 6 सामान्य बसें होंगी. इन बसों में तमाम तरीके की स्मार्ट आधुनिक सुविधाएं होंगी, जिसमें चार्जिंग पॉइंट, बेहतर सीट व अन्य सुविधाएं शामिल रहेंगी. उन्होंने कहा कि पर्यटक व यात्रियों को यात्रा के लिए एक कंफर्ट जोन देने के तहत सभी सुविधाओं को रखा जाएगा.
अब यात्री लगभग पांच घन्टे में ही तय करेंगे सफर
उन्होंने बताया कि बनारस से अयोध्या लगभग 8 घंटे का सफर है, इसे कम कर करके 5 घंटे का करने का प्रयास कर रहे हैं. जिससे 5 घंटे में यात्री वहां पहुंच जाएं और दर्शन पूजन करने, अयोध्या घूमने के बाद उसी दिन वापस वाराणसी भी आ सकें.
अब तक उपलब्ध नहीं थी बस सुविधा
अब तक बनारस से अकबरपुर के लिए एक बस जाती थी और उसके बाद अयोध्या के लिए आधा दर्जन बसें वाया सुल्तानपुर होकर जाती थीं. इस रूट से बनारस से अयोध्या की दूरी लगभग 215 किलोमीटर है, जबकि शाहगंज अकबरपुर रोड से 20 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी. सीधी बस सेवा न होने की वजह से श्रद्धालु ट्रेन व अन्य सुविधाओं के जरिए अयोध्या जाते थे, जिस वजह से कहीं न कहीं काशी और अयोध्या का पर्यटन भी प्रभावित होता है.