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5 हजार साल बाद महाभारत जैसा योग, धरती के लिए विनाशकारी - ज्योतिष के अनुसार कोरोना

कोरोना एक ऐसी महामारी जिसने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया. चीन से शुरू हुए इस वायरस ने सभी शक्तिशाली देशों को चुनौती दी. भारत में अभी इसकी दूसरी लहर चल रही है, जो काफी खतरनाक साबित हो रही है. दूसरी तरफ वैज्ञानिक तीसरी लहर की भी बात कर रहे हैं. इसपर ज्योतिषियों के क्या मत हैं यह जानने का ईटीवी भारत ने प्रयास किया है. पढ़ें पूरी खबर...

ज्योतिष और कोरोना
ज्योतिष और कोरोना
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Published : May 10, 2021, 2:08 PM IST

वाराणसीः 2020 की पहली लहर में भारत ने अपने आप को सुरक्षित कर लिया था और कम जनहानि हुई थी, लेकिन 2021 में इस वायरस ने सबसे बड़ी तबाही भारत में ही मचाई. चारों तरफ लाशों के ढेर, इस वायरस के शक्तिशाली होने का सबूत दे रहे हैं. जिसके बाद यह सवाल उठना जायज है कि आखिर ग्रह मंडल में ग्रह नक्षत्रों का ऐसा कौन सा योग है जो इस वायरस को शक्तिशाली बना रहा है और इसकी ताकत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आखिर कब इस वायरस का अंत होगा और कब लोगों की जिंदगी सुरक्षित होगी.

ज्योतिष के अनुसार कोरोना.

पूरे विश्व पर मंडरा रहे संकट के बादल
ज्योतिष शास्त्र के जानकार और काशी विद्वत परिषद के मंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि कोविड 19 का विश्वपटल पर असर दिख रहा है. इसमें हर कोशिश नाकाम साबित हो रही है. महामारी कब जाएगी कोई गारंटी के साथ बताने को तैयार नहीं है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि 'कालाधिनम जगत सर्वम' अर्थात सभी कार्य समय अधीन हैं और काल ज्योतिष शास्त्र के अधीन है.

खगोल मंडल में ग्रहों का खेल बढ़ा रहा संकट
पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि हिन्दी नव वर्ष 2078 के प्रवेश के साथ ही कोरोना ने विश्व में मौत का तांडव मचा दिया. श्मशानों पर लाशों को जलाने के लिए जगह का अभाव है. तीसरी लहर भी जून में भारत में आने वाली है. ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो हिन्दी नव वर्ष में खगोल मंडल में कई बुरे योग बने हुए हैं. सर्वप्रथम 2078 के जग लग्न में बना राहु, मंगल युति से अंगारक योग महामारी का एक कारण है, दूसरा इस वर्ष नव वर्ष के राजा और मंत्री मंगल हैं.

26 मई को चंद्र ग्रहण के बाद बिगड़ेंगे और हालात
शास्त्र के अनुसार जिस वर्ष राजा और मंत्री दोनों ग्रह पाप या क्रूर ग्रह हों तो वह वर्ष देश-समाज के लिए शुभ नहीं माना जाता है. तीसरा कारण 26 मई को चंद्रग्रहण जो भारत में खग्रास चंन्द्रग्रहण आंशिक रूप से भारत में सुदूर पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में कुछ भाग में दृश्य होगा. शास्त्र के अनुसार ग्रहण से पूर्व और ग्रहण लगने के 15 दिनों बाद तक इसका विशेष प्रभाव रहता है. चन्द्रग्रहण भी एक खगोलीय घटना है. इस प्रकार की खगोलीय घटनाएं समय अंतराल पर घटती रहती हैं, जिसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता रहता है.

13 दिन का पक्ष बेहद नुकसानदायक
पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक इस वर्ष 2078 में जो सबसे बड़ा बुरा योग बना है, वह संवत 2078 (21-22) में भाद्र शुक्ल पक्ष 13 दिनों का है. पंडित द्विवेदी के मुताबिक इसका वर्णन महाभारत के भीष्म पर्व में है. भीष्म पितामह कहते हैं कि 14, 15 और 16 दिनों के पक्ष तो रहते हैं इस वर्ष में इसी समय 13 दिनों का पक्ष आया है. अत: यह समय प्राणियों के लिए संहारक है. निबंधावली और स्मृतिरत्नावली ज्योतिषग्रंथों में कहा गया है कि जिस पक्ष में दो तिथियों का क्षय होता है अर्थात 13 दिनों का ही पक्ष होता है उस वर्ष में भारी जन-धन हानि और बड़ी लड़ाई होती है. यह योग 5 हजार साल बाद 8 सितंबर 2021 से प्रारंभ होकर 20 सितंबर 2021 के बीच बन रहा है.

यह भी पढ़ेंः-गंगा नदी में तैरती मिलीं दर्जनों लावारिस लाशें

जन-धन हानि के योग
देखा जाए तो 13 दिनों का पक्ष द्वापर युग के महामभारत काल में पड़ा था. अर्थात कलयुग का यह 5122 वर्ष रहा है. 5122 वर्ष पूर्व द्वापर युग था. उस समय 13 दिनों के पक्ष में महाभारत हुआ था, जिसमें भारी जन-धन हानि हुई थी. कहने का अभिप्राय यह है कि यह 2078 में कोरोना अधिकाधिक फैलकर मनुष्य को काल के गाल में ले रहा है. अंगारक योग में राजा मंत्री मंगल का होना किसी भारी आपदा, प्राकृतिक आपदा, भूकंप सुनामी को दर्शा रहा है. 13 दिन का पखवारा धरती पर बड़ी ही महामारी भारी, जन-धन की हानि को दर्शा रहा है. अत: भारत समेत विश्व पटल को 2021 तक सावधान रहने की आवश्यकता होगी.

मार्च 2022 के बाद सुधरेंगे हालत
भाद्रशुक्ल का पखवारा 8 सितंबर से प्रारंभ होकर 20 सितंबर तक रहेगा. 13 दिन के पक्ष में दो तिथियों की हानि हो रही है. इस पर ज्योतिषाचार्य ने अनुमान लगाया है कि 13 दिनों के पखवारे की वजह से महामारी चरम की ओर अग्रसर है. 13 दिनों के पखवारे के बाद इसमें सुधार हो सकता है, यानि मार्च 2022 के बाद यह संकट पूरी तरह से टल सकता है.

वाराणसीः 2020 की पहली लहर में भारत ने अपने आप को सुरक्षित कर लिया था और कम जनहानि हुई थी, लेकिन 2021 में इस वायरस ने सबसे बड़ी तबाही भारत में ही मचाई. चारों तरफ लाशों के ढेर, इस वायरस के शक्तिशाली होने का सबूत दे रहे हैं. जिसके बाद यह सवाल उठना जायज है कि आखिर ग्रह मंडल में ग्रह नक्षत्रों का ऐसा कौन सा योग है जो इस वायरस को शक्तिशाली बना रहा है और इसकी ताकत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आखिर कब इस वायरस का अंत होगा और कब लोगों की जिंदगी सुरक्षित होगी.

ज्योतिष के अनुसार कोरोना.

पूरे विश्व पर मंडरा रहे संकट के बादल
ज्योतिष शास्त्र के जानकार और काशी विद्वत परिषद के मंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि कोविड 19 का विश्वपटल पर असर दिख रहा है. इसमें हर कोशिश नाकाम साबित हो रही है. महामारी कब जाएगी कोई गारंटी के साथ बताने को तैयार नहीं है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि 'कालाधिनम जगत सर्वम' अर्थात सभी कार्य समय अधीन हैं और काल ज्योतिष शास्त्र के अधीन है.

खगोल मंडल में ग्रहों का खेल बढ़ा रहा संकट
पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि हिन्दी नव वर्ष 2078 के प्रवेश के साथ ही कोरोना ने विश्व में मौत का तांडव मचा दिया. श्मशानों पर लाशों को जलाने के लिए जगह का अभाव है. तीसरी लहर भी जून में भारत में आने वाली है. ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो हिन्दी नव वर्ष में खगोल मंडल में कई बुरे योग बने हुए हैं. सर्वप्रथम 2078 के जग लग्न में बना राहु, मंगल युति से अंगारक योग महामारी का एक कारण है, दूसरा इस वर्ष नव वर्ष के राजा और मंत्री मंगल हैं.

26 मई को चंद्र ग्रहण के बाद बिगड़ेंगे और हालात
शास्त्र के अनुसार जिस वर्ष राजा और मंत्री दोनों ग्रह पाप या क्रूर ग्रह हों तो वह वर्ष देश-समाज के लिए शुभ नहीं माना जाता है. तीसरा कारण 26 मई को चंद्रग्रहण जो भारत में खग्रास चंन्द्रग्रहण आंशिक रूप से भारत में सुदूर पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में कुछ भाग में दृश्य होगा. शास्त्र के अनुसार ग्रहण से पूर्व और ग्रहण लगने के 15 दिनों बाद तक इसका विशेष प्रभाव रहता है. चन्द्रग्रहण भी एक खगोलीय घटना है. इस प्रकार की खगोलीय घटनाएं समय अंतराल पर घटती रहती हैं, जिसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता रहता है.

13 दिन का पक्ष बेहद नुकसानदायक
पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक इस वर्ष 2078 में जो सबसे बड़ा बुरा योग बना है, वह संवत 2078 (21-22) में भाद्र शुक्ल पक्ष 13 दिनों का है. पंडित द्विवेदी के मुताबिक इसका वर्णन महाभारत के भीष्म पर्व में है. भीष्म पितामह कहते हैं कि 14, 15 और 16 दिनों के पक्ष तो रहते हैं इस वर्ष में इसी समय 13 दिनों का पक्ष आया है. अत: यह समय प्राणियों के लिए संहारक है. निबंधावली और स्मृतिरत्नावली ज्योतिषग्रंथों में कहा गया है कि जिस पक्ष में दो तिथियों का क्षय होता है अर्थात 13 दिनों का ही पक्ष होता है उस वर्ष में भारी जन-धन हानि और बड़ी लड़ाई होती है. यह योग 5 हजार साल बाद 8 सितंबर 2021 से प्रारंभ होकर 20 सितंबर 2021 के बीच बन रहा है.

यह भी पढ़ेंः-गंगा नदी में तैरती मिलीं दर्जनों लावारिस लाशें

जन-धन हानि के योग
देखा जाए तो 13 दिनों का पक्ष द्वापर युग के महामभारत काल में पड़ा था. अर्थात कलयुग का यह 5122 वर्ष रहा है. 5122 वर्ष पूर्व द्वापर युग था. उस समय 13 दिनों के पक्ष में महाभारत हुआ था, जिसमें भारी जन-धन हानि हुई थी. कहने का अभिप्राय यह है कि यह 2078 में कोरोना अधिकाधिक फैलकर मनुष्य को काल के गाल में ले रहा है. अंगारक योग में राजा मंत्री मंगल का होना किसी भारी आपदा, प्राकृतिक आपदा, भूकंप सुनामी को दर्शा रहा है. 13 दिन का पखवारा धरती पर बड़ी ही महामारी भारी, जन-धन की हानि को दर्शा रहा है. अत: भारत समेत विश्व पटल को 2021 तक सावधान रहने की आवश्यकता होगी.

मार्च 2022 के बाद सुधरेंगे हालत
भाद्रशुक्ल का पखवारा 8 सितंबर से प्रारंभ होकर 20 सितंबर तक रहेगा. 13 दिन के पक्ष में दो तिथियों की हानि हो रही है. इस पर ज्योतिषाचार्य ने अनुमान लगाया है कि 13 दिनों के पखवारे की वजह से महामारी चरम की ओर अग्रसर है. 13 दिनों के पखवारे के बाद इसमें सुधार हो सकता है, यानि मार्च 2022 के बाद यह संकट पूरी तरह से टल सकता है.

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