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Varanasi के इस बैंक में रखे जाएंगे अस्थि कलश, सीएम योगी ने दी प्रोजेक्ट को मंजूरी

वाराणसी में देश के दूर-दराज से लोग अपनों के अंतिम संस्कार के लिए उनके शव को लेकर वाराणसी पहुंचते हैं. लेकिन दाह संस्कार के दौरान चिता की आग ठंडी होने तक रुक नहीं पाते, ताकि अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जा सके. अब वाराणसी नगर निगम ने इसका हल निकाला है. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हरी झंडी दे दी है.

asthi bank in Varanasi
asthi bank in Varanasi
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Published : Mar 4, 2023, 9:21 AM IST

वाराणसी में बनेगा अस्थि बैंक

वाराणसी: मां गंगा के पावन तट पर बसी नगरी काशी को मोक्ष नगरी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शंकर यहां मृत्यु पाने वाले हर प्राणी को स्वयं कानों में तारक मंत्र देते हैं. ऐसी मान्यता है कि यदि काशी में प्राण टूटते हैं, तो फिर शिवलोक की प्राप्ति होती है. ऐसे में जो लोग काशी में अपनों के प्राण न त्यागे जाने के बाद मोक्ष की कामना के साथ उनके अंतिम संस्कार के लिए यहां पहुंचते हैं, ताकि उनका क्रियाक्रम गंगा घाट पर कराकर उन्हें मोक्ष दिला सके.

काशी के मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार की प्रक्रिया 24 घंटे चलती रहती है. यही वजह है कि वाराणसी में पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों के अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग अपनों के शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं. विदेशों से भी शवों को अंतिम संस्कार के लिए काशी लाया जाता है. इस दौरान अंतिम संस्कार की प्रक्रिया तो विधि विधान से पूर्ण होती है, लेकिन कई बार अंतिम संस्कार के बाद काफी देर तक चिता की आग ठंडी नहीं होती.

ऐसे में परिजन अंतिम संस्कार पूर्ण होने तक भी नहीं रुक पाते और वह वापस लौट जाते हैं. ऐसी स्थिति में चिता की आग ठंडी होने के बाद बची हुई अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा का निर्वहन नहीं हो पाता. मोक्ष मान्यताओं के अनुरूप धर्म शास्त्रों में माना गया है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना होता है.

ऐसे में अब सरकार ने इस समस्या का हल निकाला है. काशी में अपनों को लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले लोगों को उनकी अस्थियों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. इनको सुरक्षित रखने से लेकर इनको प्रवाहित करने तक की जिम्मेदारी भी सरकारी तंत्र उठाएगा. वाराणसी नगर निगम के सहयोग से महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर यूपी का पहला अस्थि कलश बैंक (asthi kalash bank in Varanasi) बनने जा रहा है, जहां लोगों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को सुरक्षित रखने का काम किया जाएगा.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एनपी सिंह ने बताया कि मणिकर्णिका घाट पर अस्थि कलश बैंक का कांसेप्ट तैयार किया गया है. इसे लेकर पूरा प्लान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने भी रखा गया और उसे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अनुमति भी दे दी है. स्मार्ट सिटी के सहयोग से वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अस्थि कलश बैंक बनाया जाएगा. यहां पर नॉमिनल रेट पर अस्थियों को सुरक्षित रखने का काम किया जाएगा. यह एक बड़ी समस्या है, जो लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए काशी आते हैं. वह उनकी अस्थियों को सुरक्षित नहीं रख पाते या फिर कुछ दिन रुक कर उन्हें हरिद्वार या प्रयागराज में ले जाकर प्रवाहित नहीं कर पाते हैं.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यह कार्य वाराणसी नगर निगम पूरा करेगा, दाह संस्कार प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद लोग अस्थि बैंक में पर्ची कटाकर कर अपनों की अस्थि कलश को सुरक्षित रख सकेंगे. इसके बाद वह जब वह चाहेंगे तब इन्हें अस्थियों को विधिवत गंगा में प्रवाहित करवाने का कार्य संपन्न करवाया जाएगा. फिलहाल इसके लिए जगह चिन्हित करने के साथ ही अन्य कार्यों के सर्वे शुरू कर दिया गया है और आने वाले कुछ दिनों के अंदर यह कार्य धरातल पर भी दिखना लगेगा.

ये भी पढ़ेंः Holi 2023: काशी में होली का धमाल, हिंदू-मुस्लिम महिला ने साथ मिलकर उड़ाया गुलाल

वाराणसी में बनेगा अस्थि बैंक

वाराणसी: मां गंगा के पावन तट पर बसी नगरी काशी को मोक्ष नगरी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शंकर यहां मृत्यु पाने वाले हर प्राणी को स्वयं कानों में तारक मंत्र देते हैं. ऐसी मान्यता है कि यदि काशी में प्राण टूटते हैं, तो फिर शिवलोक की प्राप्ति होती है. ऐसे में जो लोग काशी में अपनों के प्राण न त्यागे जाने के बाद मोक्ष की कामना के साथ उनके अंतिम संस्कार के लिए यहां पहुंचते हैं, ताकि उनका क्रियाक्रम गंगा घाट पर कराकर उन्हें मोक्ष दिला सके.

काशी के मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार की प्रक्रिया 24 घंटे चलती रहती है. यही वजह है कि वाराणसी में पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों के अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग अपनों के शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं. विदेशों से भी शवों को अंतिम संस्कार के लिए काशी लाया जाता है. इस दौरान अंतिम संस्कार की प्रक्रिया तो विधि विधान से पूर्ण होती है, लेकिन कई बार अंतिम संस्कार के बाद काफी देर तक चिता की आग ठंडी नहीं होती.

ऐसे में परिजन अंतिम संस्कार पूर्ण होने तक भी नहीं रुक पाते और वह वापस लौट जाते हैं. ऐसी स्थिति में चिता की आग ठंडी होने के बाद बची हुई अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा का निर्वहन नहीं हो पाता. मोक्ष मान्यताओं के अनुरूप धर्म शास्त्रों में माना गया है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना होता है.

ऐसे में अब सरकार ने इस समस्या का हल निकाला है. काशी में अपनों को लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले लोगों को उनकी अस्थियों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. इनको सुरक्षित रखने से लेकर इनको प्रवाहित करने तक की जिम्मेदारी भी सरकारी तंत्र उठाएगा. वाराणसी नगर निगम के सहयोग से महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर यूपी का पहला अस्थि कलश बैंक (asthi kalash bank in Varanasi) बनने जा रहा है, जहां लोगों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को सुरक्षित रखने का काम किया जाएगा.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एनपी सिंह ने बताया कि मणिकर्णिका घाट पर अस्थि कलश बैंक का कांसेप्ट तैयार किया गया है. इसे लेकर पूरा प्लान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने भी रखा गया और उसे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अनुमति भी दे दी है. स्मार्ट सिटी के सहयोग से वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अस्थि कलश बैंक बनाया जाएगा. यहां पर नॉमिनल रेट पर अस्थियों को सुरक्षित रखने का काम किया जाएगा. यह एक बड़ी समस्या है, जो लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए काशी आते हैं. वह उनकी अस्थियों को सुरक्षित नहीं रख पाते या फिर कुछ दिन रुक कर उन्हें हरिद्वार या प्रयागराज में ले जाकर प्रवाहित नहीं कर पाते हैं.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यह कार्य वाराणसी नगर निगम पूरा करेगा, दाह संस्कार प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद लोग अस्थि बैंक में पर्ची कटाकर कर अपनों की अस्थि कलश को सुरक्षित रख सकेंगे. इसके बाद वह जब वह चाहेंगे तब इन्हें अस्थियों को विधिवत गंगा में प्रवाहित करवाने का कार्य संपन्न करवाया जाएगा. फिलहाल इसके लिए जगह चिन्हित करने के साथ ही अन्य कार्यों के सर्वे शुरू कर दिया गया है और आने वाले कुछ दिनों के अंदर यह कार्य धरातल पर भी दिखना लगेगा.

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