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सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह सहित अन्य को बरी करने के खिलाफ अपील पर निर्णय सुरक्षित

गुरुवार को सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह सहित अन्य को बरी करने के खिलाफ अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित (Allahabad High Court on Brijesh Singh) कर लिया.

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Etv Bharat Allahabad High Court Allahabad High Court on Brijesh Singh सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 10, 2023, 8:09 AM IST

प्रयागराज: गुरुवार को सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह सहित अन्य को बरी करने के खिलाफ अपील पर निर्णय सुरक्षित कर लिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने वाराणसी जिले के 37 साल पुराने सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह सहित अन्य आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई पूरी होने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट पिछले एक सप्ताह से लगातार सुनवाई कर रही थी. हीरावती और राज्य सरकार की ओर से दाखिल आपराधिक अपील में सिकरौरा के सामूहिक नर संहार में सभी 13 आरोपियों को बरी करने के वाराणसी सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है.

सात लोगों की हत्या की घटना 1986 में हुई थी. सुनवाई के अंतिम दिन याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप गुप्ता, एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने कहा कि घटना की रात बृजेश सिंह को पुलिस ने गड़ासे के साथ पकड़ा था. विवेचना करने वाले पहले जांच अधिकारी के बयान से भी यह बात साबित है. चश्मदीद गवाहों ने भी अपने बयान में इसकी पुष्टि की है. हालांकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि निचली अदालत ने हर पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोई ठोस साक्ष्य न मिलने पर ही आरोपियों को बरी किया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया.

ये भी पढ़ें- 'धन के देवता' कुबेर का दिन है धनतेरस, जानें किस मुहूर्त में पूजा करना होगा शुभ

प्रयागराज: गुरुवार को सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह सहित अन्य को बरी करने के खिलाफ अपील पर निर्णय सुरक्षित कर लिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने वाराणसी जिले के 37 साल पुराने सिकरौरा कांड में बाहुबली बृजेश सिंह सहित अन्य आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई पूरी होने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट पिछले एक सप्ताह से लगातार सुनवाई कर रही थी. हीरावती और राज्य सरकार की ओर से दाखिल आपराधिक अपील में सिकरौरा के सामूहिक नर संहार में सभी 13 आरोपियों को बरी करने के वाराणसी सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है.

सात लोगों की हत्या की घटना 1986 में हुई थी. सुनवाई के अंतिम दिन याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप गुप्ता, एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने कहा कि घटना की रात बृजेश सिंह को पुलिस ने गड़ासे के साथ पकड़ा था. विवेचना करने वाले पहले जांच अधिकारी के बयान से भी यह बात साबित है. चश्मदीद गवाहों ने भी अपने बयान में इसकी पुष्टि की है. हालांकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि निचली अदालत ने हर पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोई ठोस साक्ष्य न मिलने पर ही आरोपियों को बरी किया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया.

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