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वाराणसी: जापान-जर्मनी समेत 15 देशों के विशेषज्ञों ने दिया आइकिडो प्रशिक्षण

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में बीएचयू के एमपी थ्रियेटर ग्राउंड इंदौर स्टेडियम में तीन दिवसीय वर्ल्ड समिट के तहत आइकिडो मार्शल आर्ट वर्कशॉप का आयोजन हुआ. इस दौरान करीब 15 देशों से विशेषज्ञ ट्रेनिंग देने के लिए पहुंचे हैं.

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बीएचयू पहुंचे जापान-जर्मनी समेत 15 देशों के आइकिडो.
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Published : Feb 8, 2020, 3:29 PM IST

वाराणसी: देश में जिस तरह से लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है, उन्हें सेल्फ डिफेंस की जरूरत ऐसे में ज्यादा पड़ती है. जापान, जर्मनी, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर से आइकिडो मार्शल आर्ट के विशेषज्ञ छात्राओं को ट्रेनिंग देने के लिए इंडिया पहुंचे हैं. तीन दिवसीय वर्ल्ड समिट के दूसरे दिन भी छात्राओं को ट्रेनिंग दी गई, जिसके तहत कल दो दिनों में जो कुछ सीखा उसका प्रदर्शन करेंगे.

बीएचयू पहुंचे जापान-जर्मनी समेत 15 देशों के आइकिडो.

जब मार्शल आर्ट के बारे में सर्च कर रहे थे, तो हमें पता चला कि योग, संगीत और मार्शल आर्ट के जनक भगवान शिव हैं. इसलिए महादेव को समर्पित करते हुए हम लोगों ने ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट, आइकिडो वेल्ड मीट 2020 कराया है. इससे पहले लड़कियों के साथ जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, इसको लेकर हमने वाराणसी में 5000 लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी है.
डी.बी. राय, चेयरमैन आइकिडो, इंडिया

आइकिडो आत्मरक्षा के साथ-साथ जीवन के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह सेल्फ कॉन्फिडेंस को बढ़ाता है और कमिटमेंट बनाता है और प्रेजेंस ऑफ माइंड बनाता है. लड़ाई करना अलग बात है, लेकिन सबसे खास बात है कि अवेयर रहें.
क्षेमा, ट्रेनर

वाराणसी: देश में जिस तरह से लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है, उन्हें सेल्फ डिफेंस की जरूरत ऐसे में ज्यादा पड़ती है. जापान, जर्मनी, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर से आइकिडो मार्शल आर्ट के विशेषज्ञ छात्राओं को ट्रेनिंग देने के लिए इंडिया पहुंचे हैं. तीन दिवसीय वर्ल्ड समिट के दूसरे दिन भी छात्राओं को ट्रेनिंग दी गई, जिसके तहत कल दो दिनों में जो कुछ सीखा उसका प्रदर्शन करेंगे.

बीएचयू पहुंचे जापान-जर्मनी समेत 15 देशों के आइकिडो.

जब मार्शल आर्ट के बारे में सर्च कर रहे थे, तो हमें पता चला कि योग, संगीत और मार्शल आर्ट के जनक भगवान शिव हैं. इसलिए महादेव को समर्पित करते हुए हम लोगों ने ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट, आइकिडो वेल्ड मीट 2020 कराया है. इससे पहले लड़कियों के साथ जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, इसको लेकर हमने वाराणसी में 5000 लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी है.
डी.बी. राय, चेयरमैन आइकिडो, इंडिया

आइकिडो आत्मरक्षा के साथ-साथ जीवन के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह सेल्फ कॉन्फिडेंस को बढ़ाता है और कमिटमेंट बनाता है और प्रेजेंस ऑफ माइंड बनाता है. लड़ाई करना अलग बात है, लेकिन सबसे खास बात है कि अवेयर रहें.
क्षेमा, ट्रेनर

Intro:स्पेशल

विश्व की सबसे प्राचीनतम नगरी काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है।ऐसा माना जाता है। योग संगीत आत्मरक्षा के जनक भी भगवान नटराज को माना जाता है। ऐसे में सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाली काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एमपी थ्रियेटर एटर ग्राउंड इंदौर स्टेडियम में तीन दिवसीय वर्ल्ड सम्मिट के तहत आईकीड़ों मार्शल आर्ट का वर्कशॉप का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भगवान शिव को समर्पित रहा इसमें लगभग 15 देशों के विशेषज्ञ छात्रों और अन्य व्यक्तियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।


Body:भारत में जिस तरह लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है उन्हें सेल्फ डिफेंस की जरूरत ऐसे में जापान,जर्मनी, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर से आईकीडो मार्शल आर्ट के विशेषज्ञ छात्राओं को ट्रेनिंग दे रहा है। तीन दिवसीय वर्ल्ड सम्मिट के दूसरे दिन भी छात्राओं को ट्रेनिंग दिया गया जिसके तहत कल 2 दिनों में जो कुछ सीखा उसका प्रदर्शन करेंगे।


Conclusion:डी बी राय ने बताया जब मार्शल आर्ट के बारे में सर्च कर रहे थे तो हमें पता चला की योग संगीत और मार्शल आर्ट के जनक भगवान शिव हैं। इसलिए महादेव को समर्पित करते हुए हम लोगों ने ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट आईकीड़ो वेल्ड मीट 2020 कराया गया। इससे पहले लड़कियों पर जिस तरह की घटना हो रही है हमने बनारस में पांच हज़ार लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दिया है। जैसा कि आप सब जानते हैं कि वर्ल्ड मीट है तो इसमें अलग-अलग कंट्री से लोग हैं जापान, जर्मनी, अमेरिका,यूएस फ्रांस, वह लोग भी आए हुए हैं और ट्रेनिंग दे रहे हैं।

बाईट :-- डी बी राय, चेयरमैन ईकीड़ो, इंडिया

क्षेमा ने बातया आईकीड़ो आत्मरक्षा के साथ-साथ जीवन के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाता है। डिसिप्लिन बनाता है। कमेंट मैंट बनाता है। एक प्रेजेंस ऑफ माइंड बनाता है। लड़ाई करना अलग बात है।लेकिन सबसे खास बात है। अवेयर रहना तो हमें यह भी रहना सिखाता है। रामायण युग की वह पद्धति है जो बाली के पास थी लोग कैसे थे।बाली के सामने जाने से किसी का भला आधा हो जाता था बल्कि ऐसा नहीं था बाली के सामने जाने से बाली उन्हीं के बल का प्रयोग अपने लिए करता था तो यह वही विधा है।जो कि नारी के पास बल कम होता है और वह दूसरों के बल से खुद को किसी भी विषम परिस्थिति में बचा सकती है।

बाईट :-- क्षेमा, ट्रेनर इंडिया

आशुतोष उपाध्याय

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