प्रयागराज : संगम नगरी में चल रहे महाकुंभ मेले में राजस्थान के चुरू से आईं माता संजोगिता ने यमराज धाम के नाम से शिविर लगाया है. उन्होंने त्रिवेणी संगम से गंगाजल और गंगा जी की मिट्टी को कलश में रखा है, जिसे वह चुरू लेकर जाएंगी. वहां यमराज का भव्य मंदिर बनवाया जाएगा और इस पवित्र जल और मिट्टी को मंदिर की नींव में डाला जाएगा.
मृत्यु के देवता कहे जाने वाले यमराज का भव्य और विशाल मंदिर राजस्थान के चुरू में बनाने की तैयारी चल रही है. मंदिर का निर्माण शुरू हो उससे पहले प्रयागराज में महाकुम्भ मेले की शुरुआत हो गयी जिस कारण यमराज धाम के चुरू में निर्माण को शुरू करने से पहले संजोगिता माता ने प्रयागराज में आकर शिविर लगाया और यहां पर पवित्र त्रिवेणी संगम का जल और मिट्टी को कलश में लाकर रखा है. इसके साथ ही मेला क्षेत्र में रहकर कल्पवास किया. उनका दावा यह भी है कि यमराज का ये मंदिर भव्य और विशाल होगा. जहां पर जमीन के गर्भ के अंदर यमराज की विशाल मूर्ति स्थापित की जाएगी. सूर्य की रोशनी मूर्ति तक न पहुंच पाए इसीलिए इसे जमीन के गर्भ में बनाया जाएगा.
यमराज का दर्शन करने से कटेगा अकाल मृत्यु का संकट : महाकुंभ मेला क्षेत्र में धर्म धाम शिविर की संस्थापिका संजोगिता माता का कहना है कि उन्हें भगवान शिव ने सपने में आकर यमराज के मंदिर का निर्माण करवाने की बात कही है. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि यमराज के मंदिर में दर्शन करने वालों की अकाल मृत्यु नहीं होगी और देश में हो रहे अकाल मृत्यु की संख्या को कम करने के उद्देश्य से ही वो इस मंदिर का निर्माण करवाने जा रही हैं. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि यमराज का दर्शन करने से मृत्यु का भय भी कम होगा.
यम द्वितीया के दिन होती है पूजा : देश के कुछ हिस्सों में यम द्वितीया के दिन यमुना जी की पूजा करने के साथ यमराज की पूजा की परंपरा है और यह मान्यता है कि यम द्वितीया पर भाई बहन एक साथ हाथ पकड़कर यमुना में स्नान करते हैं तो उनका रिश्ता अटूट रहता है और यमुना मैया भाई बहन की यमराज से रक्षा करती हैं. आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में यमराज का मंदिर है. इसके साथ ही मथुरा में यमुना और यमराज का एक मंदिर है.
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