वाराणसी: 'भए प्रकट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी' आज प्रभु श्री राम का जन्म दिवस है. रामनवमी के इस पावन पर्व पर पूरा देश मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करता हुआ आगे बढ़ना चाहता है. राम नाम की महिमा धार्मिक ग्रंथों में भी खूब मिलती है. रामचरित मानस में भी तुलसीदास ने भी लिखा है 'कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिरि-सुमिरि नर उतरहिं पारा'.
राम नाम की इसी महिमा को देखते हुए वाराणसी का एक बैंक राम नाम का कर्ज देता है. यह 93 साल पुरानी अद्भुत और अलौकिक जगह है, जिसे राम रमापति बैंक के नाम से जाना जाता है. वैसे तो बैंक का नाम आते ही रुपए का लेन-देन, ब्याज और कर्ज जैसी चीजें ध्यान में आती हैं, लेकिन इस बैंक में कर्ज के रूप में मिलता है, डेढ़ लाख राम नाम का लोन, जिसे 250 दिन में भरना होता है. क्या हैं इस बैंक के नियम और क्यों है यह बैंक इतना खास जानिए.....
राम नाम लेखन से मिलती है सांसारिक कष्टों से मुक्ति
दरअसल, वाराणसी के डेढ़सी के पुल के पास दशाश्वमेध इलाके में संकरी गलियों के अंदर यह अद्भुत बैंक स्थापित है. इस साल इस बैंक ने 93 साल पूरे किए हैं. हालांकि कोरोना के खौफ की वजह से इस बार यहां पर होने वाला राम जन्मोत्सव का भव्य आयोजन सिर्फ परिवारजनों तक ही सिमटकर रह गया है. किसी बाहरी को इंट्री नहीं दी गई है.
93 साल का हुआ राम रमापति बैंक
इस बैंक के मैनेजर की मानें तो 93 साल पहले इस बैंक की स्थापना राम नाम की महिमा से लोगों को कष्टों से मुक्ति दिलाने और जीवन में खुशहाली लाने के उद्देश्य से की गई थी. यहां पर राम नाम के डेढ़ लाख अनुष्ठान का कर्ज दिया जाता है, जिसे 250 दिनों में पूरा करना होता है. उसका नियम भी बहुत सख्त है.
250 दिनों में डेढ़ लाख बार लिखते हैं राम-राम
डेढ़ लाख बार राम-राम लिखने के लिए कागज, पेन, दवात सब कुछ बैंक ही देता है. इसके लिए पहले ही निश्चित राशि के साथ तिथि और समय के अनुसार बैंक के नियमों का फॉर्म भरना होता है. इसके बाद इन कड़े नियमों का पालन भी करना होता है. इन 250 दिनों के दौरान प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा और किसी के झूठे भोजन को त्यागना पड़ता है. उसके बाद हर रोज सुबह 250 दिनों तक ब्रह्म मुहूर्त में नहा कर जल्दी बैठ कर राम नाम का लेखन करना होता है. राम नाम के लेखन के बाद 250 दिनों पर जब यह पुस्तक भर जाती है. इसे बैंक में लाकर जमा करवा दिया जाता है.
मिलती है मानसिक शांति
इस बैंक से जुड़े हुए लोगों का मानना है कि इस तरह राम-राम के लेखन से मानसिक शांति तो मिलती ही है साथ ही सांसारिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है. मनोकामनाएं पूरी होती हैं.