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निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले इन मंदिरों का स्कंद पुराण में है जिक्र

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Published : Jul 19, 2020, 12:24 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 3:31 PM IST

विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य के चलते आस-पास के कई घरों को तोड़ा जा रहा है. इस दौरान अब तक 62 ऐसे मंदिर सामने आए हैं, जिनमें से कुछ पुरातन काल के बताए जा रहे हैं. इनमें शामिल कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जिनका जिक्र स्कंद पुराण में मिलता है. आइए देखते हैं इन विशेष मंदिरों के बारे में एक स्पेशल रिपोर्ट...

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले 62 पुरातन काल के मंदिर
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले पुरातन काल के मंदिर

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के काम में अब तेजी दिख रही है. मंदिर के विकास और विस्तार के लिए आस-पास के कई घरों को खरीदा गया है, जिन्हें अब तोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. इन घरों में बने अनोखे एक से बढ़कर एक मंदिर देखने को मिल रहे हैं. तोड़े गए भवनों में अब तक लगभग 62 मंदिर सामने आए हैं, जिनमें से कुछ पुरातन काल के बताए जा रहे हैं. इनमें मुख्य दया समुद्र मंथन मंदिर, काशी विश्वनाथ जैसा हूबहू निर्मित दूसरा शिव मंदिर और कई अन्य पुरातन मंदिर भी सामने आए हैं.

18 वीं शताब्दी के अद्भुत मंदिर
जानकारों की मानें तो इनमें से कुछ मंदिर 18वीं से 19वीं शताब्दी के बीच के हैं. अब इन मंदिरों का न सिर्फ इतिहास जुटाया जाएगा, बल्कि नेशनल म्यूजियम और बीएचयू के इतिहास और कला विभाग की मदद से इन मंदिरों की पौराणिकता और इतिहास का पता लगाकर, इनका डिजिटल डाटा भी तैयार किया जाएगा.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता, उनकी विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता की जानकारी भी जुटाएगा. इस कार्य के लिए मंदिर प्रशासन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला इतिहास विभाग और भारत सरकार के नेशनल म्यूजियम विभाग का सहयोग लेगा. बीएचयू के कला इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रदोष मिश्रा ने इस कार्य को करने को लेकर अपनी रूपरेखा तैयार की है.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले पुरातन काल के मंदिर.

तैयार किया जाएगा वर्चुअल म्यूजियम
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी ने कहा कि मंदिरों की कलाकारी किस काल की है, यह मंदिर कितने पुराने हैं, इन मंदिरों को बनाने में जिस वास्तुकला का प्रयोग किया गया है, उसका नामकरण करने के साथ ही इन मंदिरों का निर्माण किन शासकों और राजाओं के कार्यकाल में कराया गया, जैसी विस्तृत जानकारी एकत्र करने की जरूरत है. इससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु, रिसर्च स्कॉलर, पर्यटकों को मंदिरों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक वर्चुअल म्यूजियम भी तैयार किया जाएगा, जहां लोंगों को एक क्लिक पर सभी तरह की जानकारी मिल सकेगी. साथ ही उनका इतिहास और प्राचीनता को जाना और पढ़ा जा सकेगा.

पत्थर तराशकर की गई शानदार नक्काशी
श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिए खरीदे गए 300 भवनों में अब तक करीब 62 मंदिर मिले हैं. इनमें से लगभग एक दर्जन मंदिरों की वास्तुकला बहुत ही अद्भुत है. पत्थरों को तराशकर इतनी शानदार नक्काशी उकेरी गई है, जो इनकी विशेषता को प्रदर्शित करती है. इनमें लगभग 30 ऐसे मंदिर हैं, जिनका जिक्र स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है. इसलिए श्री काशी विश्वनाथ धाम में इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना अति आवश्यक है.

बीएचयू के इतिहास और कला विभाग के प्रो. डॉ. प्रदोष मिश्रा ने बताया कि इस संरक्षण के कार्य में विश्वविद्यालय और संस्कृति मंत्रालय की टीम को जिस प्रकार के सहयोग की आवश्यकता होगी, वह उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए एक संयुक्त टीम तैयार की जाएगी, जो इस कार्य को पूरा कराने का काम करेगी.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के काम में अब तेजी दिख रही है. मंदिर के विकास और विस्तार के लिए आस-पास के कई घरों को खरीदा गया है, जिन्हें अब तोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. इन घरों में बने अनोखे एक से बढ़कर एक मंदिर देखने को मिल रहे हैं. तोड़े गए भवनों में अब तक लगभग 62 मंदिर सामने आए हैं, जिनमें से कुछ पुरातन काल के बताए जा रहे हैं. इनमें मुख्य दया समुद्र मंथन मंदिर, काशी विश्वनाथ जैसा हूबहू निर्मित दूसरा शिव मंदिर और कई अन्य पुरातन मंदिर भी सामने आए हैं.

18 वीं शताब्दी के अद्भुत मंदिर
जानकारों की मानें तो इनमें से कुछ मंदिर 18वीं से 19वीं शताब्दी के बीच के हैं. अब इन मंदिरों का न सिर्फ इतिहास जुटाया जाएगा, बल्कि नेशनल म्यूजियम और बीएचयू के इतिहास और कला विभाग की मदद से इन मंदिरों की पौराणिकता और इतिहास का पता लगाकर, इनका डिजिटल डाटा भी तैयार किया जाएगा.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता, उनकी विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता की जानकारी भी जुटाएगा. इस कार्य के लिए मंदिर प्रशासन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला इतिहास विभाग और भारत सरकार के नेशनल म्यूजियम विभाग का सहयोग लेगा. बीएचयू के कला इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रदोष मिश्रा ने इस कार्य को करने को लेकर अपनी रूपरेखा तैयार की है.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मिले पुरातन काल के मंदिर.

तैयार किया जाएगा वर्चुअल म्यूजियम
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी ने कहा कि मंदिरों की कलाकारी किस काल की है, यह मंदिर कितने पुराने हैं, इन मंदिरों को बनाने में जिस वास्तुकला का प्रयोग किया गया है, उसका नामकरण करने के साथ ही इन मंदिरों का निर्माण किन शासकों और राजाओं के कार्यकाल में कराया गया, जैसी विस्तृत जानकारी एकत्र करने की जरूरत है. इससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु, रिसर्च स्कॉलर, पर्यटकों को मंदिरों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक वर्चुअल म्यूजियम भी तैयार किया जाएगा, जहां लोंगों को एक क्लिक पर सभी तरह की जानकारी मिल सकेगी. साथ ही उनका इतिहास और प्राचीनता को जाना और पढ़ा जा सकेगा.

पत्थर तराशकर की गई शानदार नक्काशी
श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिए खरीदे गए 300 भवनों में अब तक करीब 62 मंदिर मिले हैं. इनमें से लगभग एक दर्जन मंदिरों की वास्तुकला बहुत ही अद्भुत है. पत्थरों को तराशकर इतनी शानदार नक्काशी उकेरी गई है, जो इनकी विशेषता को प्रदर्शित करती है. इनमें लगभग 30 ऐसे मंदिर हैं, जिनका जिक्र स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है. इसलिए श्री काशी विश्वनाथ धाम में इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना अति आवश्यक है.

बीएचयू के इतिहास और कला विभाग के प्रो. डॉ. प्रदोष मिश्रा ने बताया कि इस संरक्षण के कार्य में विश्वविद्यालय और संस्कृति मंत्रालय की टीम को जिस प्रकार के सहयोग की आवश्यकता होगी, वह उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए एक संयुक्त टीम तैयार की जाएगी, जो इस कार्य को पूरा कराने का काम करेगी.

Last Updated : Jul 19, 2020, 3:31 PM IST
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