वाराणसी: शहर में एक दो नहीं बल्कि 3500 साल से भी ज्यादा पुराने शिल्पग्राम का पता चला है. बीएचयू की एक टीम ने प्राचीन ग्रंथों में दर्ज शिल्प ग्रामों में से एक इस पुराने गांव की पड़ताल शुरू कर दी है. वाराणसी से लगभग 17 किलोमीटर दूर आराजी लाइन ब्लॉक के बभानियाव गांव में प्रारंभिक सर्वेक्षण करने वाले विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने कहा कि उसे एक ऐसी बस्ती के निशान मिले हैं, जिसका वाराणसी से संबंधित साहित्य में जिक्र मिलता है.
बीएचयू के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर ओंकारनाथ सिंह ने बताया कि बीएचयू से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बभनियाव गांव में मंदिर के अवशेष मिले हैं. साथ ही 1800 साल पुरानी लिपि की जानकारी भी मिली है. अभी उत्खनन का कार्य चल रहा है और जल्द ही भारतीय पुरातत्व विभाग के सहयोग से उत्खनन कराया जाएगा.
इस पूरे मामले की पड़ताल कर रहे बीएचयू के प्रोफेसर्स की माने तो वाराणसी के पास होने के कारण इसका खास महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वाराणसी को 5,000 साल पहले हिंदू देवता भगवान शिव ने स्थापित किया था. जानकारों का कहना है कि यह संभव हो सकता है कि बाभनियाव स्थल वाराणसी का एक छोटा उप-केंद्र हो सकता है, जो एक शहरी शहर के रूप में विकसित हुआ है.
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डॉक्टर अशोक कुमार सिंह का कहना है कि पंचक्रोशी मार्ग पर सर्वेक्षण के दौरान जो पुरावशेष मिले हैं, उसमें ब्राम्ही लिपि के आलेख भी शामिल हैं. इसको देखने से दो हजार साल पुराना होने की संभावनाएं हैं, हालांकि इस बारे में जानकारों का कहना है कि जो लिपि मिली है उसमें काफी पत्थर टूट गए हैं और लिपि मिट भी गई है. जिसकी वजह से इसकी पड़ताल करने में थोड़ा समय लग रहा है. जांच के बाद ही सही पता चल सकेगा. इसमें कुछ पत्थर ऐसे हैं जो आधा गढ़े हैं, शिवलिंग बन गए हैं, शिवलिंग के ऊपर ही आलेख है.
बीएचयू के प्राचीन इतिहास विभाग की ओर से अब तक सारनाथ, चंदौली सहित कई जगहों पर खुदाई कर चुकी है. सर्वेक्षण के दौरान मातृदेवी की प्रतिमा, नार्दन ब्लैक पालिश के बर्तन मिलने की भी जांच कर रही टीम को मिले हैं फिलहाल इन सभी चीजों की पड़ताल कर अभी सही आकलन करने का प्रयास किया जा रहा है.