वाराणसी: बॉलीवुड में किशोर कुमार को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिसे हर क्षेत्र में महारथ हासिल थी. 70 और 80 का वह दशक जब किशोर कुमार के गानों का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता था. उस जमाने में लोग किशोर दा के गानों के दीवाने रहते थे. आज भी किशोर दा के चाहने वालों की कमी नहीं है. आज से 34 साल पहले 13 अक्टूबर सन् 1987 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. डर्बीशायर क्लब वाराणसी के तत्वावधान में बुधवार को पितरकुण्डा के कुण्ड पर सुर सम्राट किशोर कुमार की 34वीं पुण्यतिथि मनाई गई.
डर्बीशायर क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर के नेतृत्व में मछलियों को चारा खिलाकर किशोर कुमार को श्रद्धांजलि दी गई. क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद ने बताया कि किशोर दा का जन्म 4 अगस्त 1929 में खण्डवा मध्य प्रदेश में हुआ था. मदमस्त आवाज के जादूगर किशोर दा के दिल को छू जाने वाले गीत 'गाता रहे मेरा दिल, मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू, एक चतुर नार बड़ी होशियार, मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है, जिन्दगी का सफर है ये कैसा सफर, जिन्दगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम, जिन्दगी एक सफर है सुहाना, मंजिलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह' जैसे गीत सुनकर श्रोता सबकुछ भूल जाते थे.
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उन्होंने कहा कि किशोर दा अपने खाली समय में मछलियों को चारा खिलाते थे. उन्हें मछलियों से बहुत लगाव था, इसलिये हमारा क्लब भी मछलियों को चारा खिलाकर उन्हें याद कर रहा है. शकील अहमद ने कहा किशोर दा एक सफल अभिनेता, डायरेक्टर, पटकथा, गीतकार के रूप में काफी लोकप्रिय रहे. उन्होंने अपने बेहतरीन अभिनय से लोगों को हंसाया और गमजदा भी किया.
शकील अहमद ने कहा कि इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा कि जिस तारीख को उनके बड़े भाई अशोक कुमार का जन्मदिन है, उसी तारीख को हमारे चहेते गायक इस दुनिया को रुखसत कर गए. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि किशोर कुमार के नाम से एक ट्रेन चलाई जाए.