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गणतंत्र दिवस के अवसर पर सेवानिवृत्त हुई 'थ्री नॉट थ्री' राइफल - वाराणसी ताजा खबर

यूपी पुलिस को कई दशकों से अपनी सेवा दे रही थ्री नॉट थ्री राइफल आज गणतंत्र दिवस के मौके पर सेवा से मुक्त हो गई. थ्री नॉट थ्री राइफल यूपी पुलिस के पास 1945 में आई थी, इससे पहले मस्कट राइफल 410 का प्रयोग होता था.

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गणतंत्र दिवस के अवसर पर थ्री नॉट थ्री राइफल हुई सेवानिवृत्त.
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Published : Jan 26, 2020, 12:25 PM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए आज बेहद ही भावुक पल था, क्योंकि कई सदी से अपनी सेवा दे रही थ्री नॉट थ्री राइफल आज सेवा से मुक्त हो गई. आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर आखरी विदाई थ्री नॉट थ्री राइफलों को दी गई. अधिकारियों का मानना है कि यह राइफल है न जाने कितने पुलिसकर्मियों की जान बचाई और न जाने कितने अपराधियों को ठिकाने भी लगाया. यह बेहद ही पुलिस विभाग के लिए भावुक पल है.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर थ्री नॉट थ्री राइफल हुई सेवानिवृत्त.
  • थ्री नॉट थ्री का इस्तेमाल 1914 में पहले विश्व युद्ध में किया गया था.
  • इसकी मारक क्षमता लगभग 2 किलोमीटर थी.
  • यूपी पुलिस के पास यह हथियार 1945 में आया, इससे पहले मस्कट राइफल 410 का प्रयोग होता था.
  • इसके बाद 80 के दशक में पुलिस को एसएलआर पुलिस को मिली.
  • एके-47 इंसास एसएलआर का प्रयोग बढ़ा तो थ्री नॉट थ्री राइफल दौड़ से बाहर होती चली गई.
  • वर्तमान स्थिति में उत्तर प्रदेश पुलिस को अत्याधुनिक 63 हजार इंसास राइफल और 23 हजार एसएलआर राइफल मिल गई है.

पुलिस विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जिस तरीके से टेक्नोलॉजी आफ ग्रेट होती चली जा रही है. कहीं न कहीं पुलिस विभाग को भी हथियारों में भी अपग्रेड होना पड़ेगा तभी जाकर अपराधियों पर लगाम पुलिस लगा सकेगी. इसी का सीधा रूप आप देख सकते हैं कि जिस तरह से दशकों से थ्री नॉट थ्री राइफल पुलिस सेवा में थी जो अब हटाई जा रही हैं.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी: गणतंत्र दिवस पर कमिश्नर ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कराया ध्वजारोहण, दिया एकता का संदेश

इस राइफल ने बहुत पुलिस वालों की जान बचाई है और कहीं न कहीं बदमाशों को सबक भी सिखाने में कामयाब रही थी. ढेरों किस्से कहानियां इस राइफल की पुलिस विभाग से जुड़ी हुई है क्योंकि जब भी पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती थी, तो इस राइफल की अहम भूमिका उस ट्रेनिंग में हुआ करती थी.
-विजय सिंह मीणा, आईजी

वाराणसी: उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए आज बेहद ही भावुक पल था, क्योंकि कई सदी से अपनी सेवा दे रही थ्री नॉट थ्री राइफल आज सेवा से मुक्त हो गई. आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर आखरी विदाई थ्री नॉट थ्री राइफलों को दी गई. अधिकारियों का मानना है कि यह राइफल है न जाने कितने पुलिसकर्मियों की जान बचाई और न जाने कितने अपराधियों को ठिकाने भी लगाया. यह बेहद ही पुलिस विभाग के लिए भावुक पल है.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर थ्री नॉट थ्री राइफल हुई सेवानिवृत्त.
  • थ्री नॉट थ्री का इस्तेमाल 1914 में पहले विश्व युद्ध में किया गया था.
  • इसकी मारक क्षमता लगभग 2 किलोमीटर थी.
  • यूपी पुलिस के पास यह हथियार 1945 में आया, इससे पहले मस्कट राइफल 410 का प्रयोग होता था.
  • इसके बाद 80 के दशक में पुलिस को एसएलआर पुलिस को मिली.
  • एके-47 इंसास एसएलआर का प्रयोग बढ़ा तो थ्री नॉट थ्री राइफल दौड़ से बाहर होती चली गई.
  • वर्तमान स्थिति में उत्तर प्रदेश पुलिस को अत्याधुनिक 63 हजार इंसास राइफल और 23 हजार एसएलआर राइफल मिल गई है.

पुलिस विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जिस तरीके से टेक्नोलॉजी आफ ग्रेट होती चली जा रही है. कहीं न कहीं पुलिस विभाग को भी हथियारों में भी अपग्रेड होना पड़ेगा तभी जाकर अपराधियों पर लगाम पुलिस लगा सकेगी. इसी का सीधा रूप आप देख सकते हैं कि जिस तरह से दशकों से थ्री नॉट थ्री राइफल पुलिस सेवा में थी जो अब हटाई जा रही हैं.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी: गणतंत्र दिवस पर कमिश्नर ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कराया ध्वजारोहण, दिया एकता का संदेश

इस राइफल ने बहुत पुलिस वालों की जान बचाई है और कहीं न कहीं बदमाशों को सबक भी सिखाने में कामयाब रही थी. ढेरों किस्से कहानियां इस राइफल की पुलिस विभाग से जुड़ी हुई है क्योंकि जब भी पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती थी, तो इस राइफल की अहम भूमिका उस ट्रेनिंग में हुआ करती थी.
-विजय सिंह मीणा, आईजी

Intro:एंकर: उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए आज बेहद ही भावुक पल था क्योंकि कई सदी से अपनी सेवा दे रही थी। थ्री नॉट थ्री राइफलये आज सेवा से मुक्त हो गई क्योंकि आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर आखरी विदाई 303 राइफल ओं को दी गई। अधिकारियों का मानना है कि यह राइफल है ना जाने कितने पुलिसकर्मियों की जान बचाई और ना जाने कितने अपराधियों को ठिकाने भी लगाया। यह बेहद ही पुलिस विभाग के लिए भावुक पल है ना जाने पुलिस विभाग के कितने किस्से कहानियां इस राइफल से जुड़ी हुई थी जिन्हें आज अलविदा कहा जा रहा है।


Body:वीओ: जानकारों की मानें तो जानकारों का कहना है कि 303 का इस्तेमाल 1914 में पहले विश्व युद्ध में किया गया था। इसकी मारक क्षमता लगभग 2 किलोमीटर थी यूपी पुलिस के पास या हथियार 1945 में आया इससे पहले मस्कट राइफल 410 का प्रयोग होता था। इसके बाद 80 के दशक में पुलिस को एसएलआर पुलिस को मिली। बाद में एके-47 इंसास एसएलआर का प्रयोग बढ़ा तो 303 राइफल ए दौड़ से बाहर होती चली गई। वर्तमान स्थिति में उत्तर प्रदेश पुलिस को अत्याधुनिक 63 हजार इंसास राइफल और 23 हजार एसएलआर राइफल मिल गई है।


Conclusion:वीओ: पुलिस विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जिस तरीके से टेक्नोलॉजी आफ ग्रेट होती चली जा रही है। कहीं ना कहीं पुलिस विभाग को भी हथियारों में भी अपग्रेड होना पड़ेगा तभी जाकर अपराधियों पर लगाम पुलिस लगा सकेगी। इसी का सीधा रूप आप देख सकते हैं कि जिस तरह से दशकों से थ्री नॉट थ्री राइफल ए पुलिस सेवा में थी जो अब हटाई जा रही हैं। इस राइफल ने बहुत पुलिस वालों की जान बचाई है और कहीं ना कहीं बदमाशों को सबक भी सिखाने में कामयाब रही थी। ढेरों किस्से कहानियां इस राइफल की पुलिस विभाग से जुड़ी हुई है क्योंकि जब भी पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती थी तो इस राइफल की अहम भूमिका उस ट्रेनिंग में हुआ करती थी।

बाइट: ब्रजभूषण एडीजी
बाइट: विजय सिंह मीणा आईजी

अमित दत्ता वाराणसी
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