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काशी के राजेंद्र प्रसाद घाट पर हुआ महामूर्ख मेला का आयोजन, खूब लगे ठहाके

धर्मनगरी काशी में 1 अप्रैल मूर्ख दिवस के रुप में मनाया गया. इस आयोजन मे कवियों ने अपनी हास्य कविताओं से सबको ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया. दुल्हा और दुल्हन का पोशाक में सजे लोगों ने जहां शमां बांधा वहीं लोगों ने काशी के अध्यात्म से लबरेज घाट पर हास्यरस का जमकर मजा लिया.

1 अप्रैल मूर्ख दिवस
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Published : Apr 2, 2019, 9:54 AM IST

वाराणसी : काशी में हर दिन त्यौहार होता है और वह अपने ही ढंग से मनाया जाता है. ऐसे में 1 अप्रैल यानी मूर्ख दिवस वैसे तो इस दिन आपके अपने आपको जरूर बेवकूफ बनाते होंगे, लेकिन बनारस में इस दिन आयोजन होता है एक समारोह का जिसमें पूरा शहर मूर्ख बनने आता है. इस अनोखे आयोजन और अनोखे महामूर्ख मेले में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. परंपराओं की नगरी काशी पिछले कुछ दशकों से ऐसी अनोखी परंपरा को निभा रही है, जिसको सुनकर आप भी मस्ती में झूम उठेंगे. इस बार का महामूर्ख मेला को चौकीदार का नाम दिया गया.

काशी के राजेंद्र प्रसाद घाट पर हुआ महामूर्ख मेला का आयोजन, खूब लगे ठहाके

वाराणसी के घाट जहां मंत्रों के उच्चारण सुनाई देते हैं, वहीं देर रात काशी का घाट हंसी और ठहाकों से गूंज उठा. महामूर्ख मेला के आयोजन करने वाले इस महफिल में शिवकाशी की मस्ती और अपनेपन की झलकती है बल्कि इस महफिल में कई ऐसे मूर्ख शामिल होते हैं, जो देश के कई मुद्दों पर अपने व्यंग भरे शब्दों से प्रहार करते हैं. इस बार देश की राजनीति को जिस मुद्दे ने सबसे अधिक हवा दी है वह है चौकीदार. तो भला मूर्खों की महफिल कहां से इसमें दूर रह सकती है. वहीं कवियों के हास्यरस के सामने हजारों की संख्या से भरे घाट की सीढ़ियां खुद को हंसी को रोक नहीं पा रही थी. वहीं बार-बार हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ कवियों का हौसला बढ़ाया जा रहा था.

महामूर्ख मेला में कुछ उल्टा पुल्टा होता है. सम्मेलन की शुरुआत महामूर्ख आदिराज की बारात से होती है. इसमें गधे की आवाज और चित्रकार के साथ शादी में दुल्हन की बारात ले दूल्हा को विदा कराने पहुंच जाते हैं. दूल्हे की करतूत सुन शादी की पहली ही रात दोनों का तलाक भी हो जाता है. कुछ ऐसी ही बेतुके कारनामों के साथ ही इस महामेला की शुरूआत किया जाता है और महामुर्ख की पदवी दी जाती है. महामूर्ख मेले में दुल्हन के पात्र बने अजय ने बताया 50 साल से यह आयोजन हो रहा है. हमेशा अलग-अलग लोग इसमें दूल्हा दुल्हन का किरदार निभाते हैं. पत्नी इसमें दूल्हा बनी है और मैं दुल्हन बना हूं. काशी में यह आयोजन बेहद प्रसिद्ध है.

वाराणसी : काशी में हर दिन त्यौहार होता है और वह अपने ही ढंग से मनाया जाता है. ऐसे में 1 अप्रैल यानी मूर्ख दिवस वैसे तो इस दिन आपके अपने आपको जरूर बेवकूफ बनाते होंगे, लेकिन बनारस में इस दिन आयोजन होता है एक समारोह का जिसमें पूरा शहर मूर्ख बनने आता है. इस अनोखे आयोजन और अनोखे महामूर्ख मेले में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. परंपराओं की नगरी काशी पिछले कुछ दशकों से ऐसी अनोखी परंपरा को निभा रही है, जिसको सुनकर आप भी मस्ती में झूम उठेंगे. इस बार का महामूर्ख मेला को चौकीदार का नाम दिया गया.

काशी के राजेंद्र प्रसाद घाट पर हुआ महामूर्ख मेला का आयोजन, खूब लगे ठहाके

वाराणसी के घाट जहां मंत्रों के उच्चारण सुनाई देते हैं, वहीं देर रात काशी का घाट हंसी और ठहाकों से गूंज उठा. महामूर्ख मेला के आयोजन करने वाले इस महफिल में शिवकाशी की मस्ती और अपनेपन की झलकती है बल्कि इस महफिल में कई ऐसे मूर्ख शामिल होते हैं, जो देश के कई मुद्दों पर अपने व्यंग भरे शब्दों से प्रहार करते हैं. इस बार देश की राजनीति को जिस मुद्दे ने सबसे अधिक हवा दी है वह है चौकीदार. तो भला मूर्खों की महफिल कहां से इसमें दूर रह सकती है. वहीं कवियों के हास्यरस के सामने हजारों की संख्या से भरे घाट की सीढ़ियां खुद को हंसी को रोक नहीं पा रही थी. वहीं बार-बार हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ कवियों का हौसला बढ़ाया जा रहा था.

महामूर्ख मेला में कुछ उल्टा पुल्टा होता है. सम्मेलन की शुरुआत महामूर्ख आदिराज की बारात से होती है. इसमें गधे की आवाज और चित्रकार के साथ शादी में दुल्हन की बारात ले दूल्हा को विदा कराने पहुंच जाते हैं. दूल्हे की करतूत सुन शादी की पहली ही रात दोनों का तलाक भी हो जाता है. कुछ ऐसी ही बेतुके कारनामों के साथ ही इस महामेला की शुरूआत किया जाता है और महामुर्ख की पदवी दी जाती है. महामूर्ख मेले में दुल्हन के पात्र बने अजय ने बताया 50 साल से यह आयोजन हो रहा है. हमेशा अलग-अलग लोग इसमें दूल्हा दुल्हन का किरदार निभाते हैं. पत्नी इसमें दूल्हा बनी है और मैं दुल्हन बना हूं. काशी में यह आयोजन बेहद प्रसिद्ध है.

Intro:वाराणसी में हर दिन त्यौहार होता है और वह अपने ही ढंग से मनाया जाता है ऐसे में 1 अप्रैल यानी मूर्ख दिवस वैसे तो इस दिन आपके अपने आपको जरूर बेवकूफ बनाते होंगे लेकिन बनारस में इस दिन आयोजन होता है एक समारोह का जिसमें पूरा शहर आता है और मूर्ख बनने सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा और यह सब होता है मां गंगा की राम में तत्पर आइए आज हम आपको शामिल कर आते हैं इस अनोखे आयोजन और अनोखे महामूर्ख मेले में क्योंकि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं परंपराओं की नगरी काशी पिछले कुछ दशकों से ऐसी अनोखी परंपरा को निभा रही है जिसको सुनकर देख कर आप भी मस्ती में झूम उठेंगे. इस बार का महामूर्ख मेला भी चौकीदार का नाम दिया गया।

वाराणसी के घाट यहां मंत्रों के उच्चारण सुनाई देते हैं वहीं देर रात हंसी और ठरको से गूंज उठता है। देर रात चलने वाले इस कार्यक्रम का अपना ही महत्व है और यह लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है जिससे लोग अपने स्थान से उठते नहीं और वही जमे रहते हैं।


Body:महामूर्ख मेला के आयोजन करने वाले इस महफिल में ना शिवकाशी की मस्ती और अपन झलकती है बल्कि इस महफिल में कई ऐसे मूर्ख शामिल होते हैं जो देश के कई जो लंच मुद्दों पर अपने तरीके से प्रहार करते हैं इस बार देश की राजनीति को जिस मुद्दे ने सबसे अधिक हवा दी है वह है चौकीदार तो भला मूर्खों की महफिल कहां से इसमें दूर रह सकती है।

वहीं कवियों के हास्य कवि के सामने हजारों की संख्या से भरे घाट की सीढ़ियां खुद को हंसी को रोक नहीं पा रही थी वही बार-बार हर हर महादेव के उद्घोष के साथ कवियों का हौसला बढ़ाया जा रहा था।

महामूर्ख मेला में कुछ उल्टा पुल्टा होता है सम्मेलन की शुरुआत महा मूर्ख आदिराज की बारात से होती है इसमें गधे की आवाज और चित्रकार के साथ शादी में दुल्हन की बारात ले दूल्हा को विदा कराने पहुंची जाते हैं दूल्हे की करतूत सुन शादी की पहली ही रात दोनों का तलाक भी हो जाता है कुछ ऐसी ही उल्लू लुलू कारनामों के साथ ही इस महा मेला का शुरूआत किया जाता है और मुर्गा राज की पदवी भी दी जाती है।


Conclusion:महामूर्ख मेले में दुल्हन के पात्र बने अजय ने बताया 50 साल से यह आयोजन हो रहा है हमेशा अलग अलग लोग इसमें दूल्हा दुल्हन का किरदार निभाते हैं पत्नी इसमें दूल्हा बनी है मैं दुल्हन बना हूं काशी में यह वर्ल्ड प्रचलित है यह पूरे वर्ल्ड में दिखाया जाता है हर जगह की चर्चा होती है बनारसी अंदाज में बनारस का अंदाज ही निराला है और काशी नगरी में छाप छोड़ती है महा मूर्खता सम्मेलन कराकर पूरे काशी को गौरवान्वित करती है।

संबंधित खबर एफटीपी फोल्डर नेम Varanasi Maha murkh mela से प्रेषित किया गया है।
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