उन्नाव: जिले के असोहा थाना इलाके में 17 फरवरी को संदिग्ध अवस्था में मिली तीन लड़कियों में से बुधवार की रात दो की मौत हो गई थी. दोनों लड़िकियों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. वहीं तीसरी का इलाज रीजेंसी हॉस्पिटल में चल रहा है. दोनों लड़कियों का शव का पोस्टमार्टम होने के बाद गांव लाया गया था, जहां परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर रहे थे. उनकी मांग थी कि उनकी बच्चियों के हत्यारों को पकड़ा जाए. शुक्रवार को उन्नाव से लखनऊ तक के सभी अधिकारियों ने काफी मानमनौव्वल कर परिजनों को समझा बुझाकर अंतिम संस्कार के लिए राजी कर लिया और घटनास्थल के पास ही दोनों का अंतिम संस्कार किर दिया गया गया.
उन्नाव में मृतका के भाई ने बताया घटनाक्रम
अंतिम संस्कार के बाद मृतका के भाई ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि तीनों लड़कियां रोज की भांति उसदिन भी घास लेने खेत गईं थीं, जहां तीनों लड़कियां बेहोसी की हालत में मिलीं थीं. मृतका के भाई ने बताया कि "मैं प्रशासन से पूरी तरह संतुष्ट है. किसी पर कोई आरोप नहीं है. किसने घटना को अंजाम दिया है यह अभी तक पता नहीं चल पाया है."
पोस्टमार्टम में जहर की हुई पुष्टि
17 फरवरी को दोनों लड़कियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था. पोस्टमार्टम में जहर की पुष्टि हुई है, लेकिन आधिकारिक रूप से किसी भी डॉ. ने कुछ भी कहने से मना कर दिया. वहीं पैनल में मौजूद डॉ. तन्मय कक्कड़ ने बताया कि "पोस्टमार्टम हो गया है. विसरा प्रिजर्व करके सैंपल जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया है. जांच रिपोर्ट के आने के बाद ही कुछ स्थित साफ हो सकेगी."
पुलिस के लिए घटना बनी टेढ़ी खीर
इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन लगातार गांव में डेरा डाले हुए है. लखनऊ तक के अधिकारी इस घटना का खुलासा जल्द से जल्द करने की कोशिश में लगे हुए हैं. गांव में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. वहीं इस घटना में अभी पुलिस को कोई भी सबूत नहीं मिल सका है. पुलिस के लिए घटना का सफल अनावरण करना अभी भी टेढ़ी खीर बना हुआ है.
घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम
घटनास्थल पर जांच के लिए 9 सदस्यीय फारेंसिक टीम डॉग स्क्वायड के साथ पहुंचकर घटना से संबंधित साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है. फॉरेंसिक टीम घटनास्थल के आस-पास के क्षेत्र का निरीक्षण कर घटना के बारे में जांच कर रही है. फारेंसिक टीम एक-एक बिंदु की गहनता से जांच कर रही है.
पूरे घटना पर विपक्ष रहा हावी
इस घटना में जहां सूबे की सरकार पर विपक्ष ने जमकर सरकार को घेरा. वहीं सरकार ने गंभीर हालत में भर्ती रोशनी के इलाज के पूरे खर्च की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री राहत कोष से उठाने की बात कही है. समाजवादी पार्टी से लेकर बसपा और कांग्रेस ने सूबे की सरकार की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया.