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टूटी हड्डियों को अब पूरी तरह जोड़ देगी IIT कानपुर में बनी सिंथेटिक बोन, भेड़ों पर परीक्षण सफल - SYNTHETIC BONE MADE IN IIT KANPUR

सिंथेटिक बोन का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा, परीक्षण के दौरान नहीं मिली कोई खामी.

सिंथेटिक बोन
सिंथेटिक बोन (Video Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 1:55 PM IST

कानपुर: कुछ दिनों पहले जहां आईआईटी कानपुर के अफसरों ने पहली बार शोध करते हुए फैटी लिवर वाले मरीजों के लिए एक ऐसा स्प्रे तैयार कर दिया था, जो उनको छह माह में ही पूरी तरीके ठीक कर देगा. वहीं, अब आईआईटी कानपुर में एक सिंथेटिक बोन तैयार की गई है, जो किसी भी उस मरीज के लिए वरदान से कम ना होगी. जिनकी हड्डियां बड़े हादसे या दुर्घटनाओं के दौरान पूरी तरीके से टूट जाती हैं.

प्रोफेसर आशीष कौल, IIT, कानपुर (Photo Credit; ETV Bharat)

यही नहीं बोन संक्रमण से जूझने वाले मरीजों या बोन कैंसर के मरीजों के लिए यह सिंथेटिक बोन भी बहुत अधिक मददगार साबित होगी. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल ने बताया सिंथेटिक बोन को जब दो टूटी हड्डियों के बीच रखा जाता है तो यह दो टूटी हड्डियों को बहुत आराम से जोड़ देता है और एक से डेढ़ साल बाद मानव शरीर के अंदर पूरी तरीके से हड्डी का निर्माण हो जाता है. इसके बाद यह सिंथेटिक बोन उस स्थान से अपने आप ही हट जाती है. उन्होंने बताया आईआईटी कानपुर में सिंथेटिक बोन का थ्री डी प्रिंटेड स्ट्रक्चर तैयार किया गया है.

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल ने बताया आईआईटी कानपुर में सिंथेटिक बोन बनाने के लिए शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का भी साथ मिला. दोनों ही संस्थाओं के विशेषज्ञ ने 15 सालों के एक लंबे अंतराल के बाद सिंथेटिक बोन को तैयार किया है. आईआईटी कानपुर में जहां इसका एक सफल परीक्षण था. वहीं भेड़ों पर भी शोध करते हुए सिंथेटिक बोन से दो हड्डियों को जोड़ा गया. यही नहीं लोअर एनिमल मॉडल के दौरान भी सिंथेटिक बोन का ट्रायल पूरी तरह सफल रहा. अब कानपुर, पुणे,दिल्ली समेत अन्य अस्पतालों में इस सिंथेटिक बोन का ट्रायल जारी है.

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल ने बताया अभी भारत में जो सिंथेटिक बोन का प्रयोग किया जा रहा है. वह स्वीडन की कंपनी से मंगाई जाती हैं. जिसमें एक मरीज को लगभग 60 हजार रुपये खर्च करने होते हैं. हालांकि, आईआईटी कानपुर में जो सिंथेटिक बोन तैयार की गई है. इसमें मरीज को एक बार में महज 15 से 20 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे. मरीज के शरीर में जब यह सिंथेटिक बोन लगाई जाएगी, तो इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. परीक्षण के दौरान भी किसी तरीके का दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है.

यह भी पढ़ें: IIT कानपुर में ACP मोहसिन खान केस के बाद यौन उत्पीड़न का दूसरा मामला, महिला रिसर्चर ने सहकर्मी के खिलाफ लिखाया मुकदमा

यह भी पढ़ें: कानपुर में कोचिंग संचालक गिरफ्तार, कमीशन का झांसा देकर एक करोड़ रुपये की ठगी का आरोप

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प्रोफेसर आशीष कौल, IIT, कानपुर (Photo Credit; ETV Bharat)

यही नहीं बोन संक्रमण से जूझने वाले मरीजों या बोन कैंसर के मरीजों के लिए यह सिंथेटिक बोन भी बहुत अधिक मददगार साबित होगी. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल ने बताया सिंथेटिक बोन को जब दो टूटी हड्डियों के बीच रखा जाता है तो यह दो टूटी हड्डियों को बहुत आराम से जोड़ देता है और एक से डेढ़ साल बाद मानव शरीर के अंदर पूरी तरीके से हड्डी का निर्माण हो जाता है. इसके बाद यह सिंथेटिक बोन उस स्थान से अपने आप ही हट जाती है. उन्होंने बताया आईआईटी कानपुर में सिंथेटिक बोन का थ्री डी प्रिंटेड स्ट्रक्चर तैयार किया गया है.

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल ने बताया आईआईटी कानपुर में सिंथेटिक बोन बनाने के लिए शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का भी साथ मिला. दोनों ही संस्थाओं के विशेषज्ञ ने 15 सालों के एक लंबे अंतराल के बाद सिंथेटिक बोन को तैयार किया है. आईआईटी कानपुर में जहां इसका एक सफल परीक्षण था. वहीं भेड़ों पर भी शोध करते हुए सिंथेटिक बोन से दो हड्डियों को जोड़ा गया. यही नहीं लोअर एनिमल मॉडल के दौरान भी सिंथेटिक बोन का ट्रायल पूरी तरह सफल रहा. अब कानपुर, पुणे,दिल्ली समेत अन्य अस्पतालों में इस सिंथेटिक बोन का ट्रायल जारी है.

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल ने बताया अभी भारत में जो सिंथेटिक बोन का प्रयोग किया जा रहा है. वह स्वीडन की कंपनी से मंगाई जाती हैं. जिसमें एक मरीज को लगभग 60 हजार रुपये खर्च करने होते हैं. हालांकि, आईआईटी कानपुर में जो सिंथेटिक बोन तैयार की गई है. इसमें मरीज को एक बार में महज 15 से 20 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे. मरीज के शरीर में जब यह सिंथेटिक बोन लगाई जाएगी, तो इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. परीक्षण के दौरान भी किसी तरीके का दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है.

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