प्रयागराज : महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनाई गईं फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े से निकाल दिया गया है. अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर एक्शन हुआ है, उन्हें भी पद से हटा दिया गया है. एक्ट्रेस ममता ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से ही दीक्षा ली थी. उन्होंने संगम में अपना और अपने परिवार का पिंडदान कर संन्यास धारण कर लिया था. कहा था कि अब उनका जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार लिए रहेगा. हालांकि, ममता के महामंडलेश्वर बनने के बाद अखाड़े के बाहर और भीतर उनका विरोध शुरू हो गया था. इस बीच, शुक्रवार को किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने दोनों को निष्कासित कर दिया.
नियमों को ताक पर रखकर महामंडलेश्वर बनाने का आरोप
किन्नर अखाड़े के संस्थापक होने का दावा करने वाले ऋषि अजय दास ने स्पष्ट आरोप लगाया कि, आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने निजी स्वार्थ के कारण नियमों को दरकिनार करते हुए अभिनेत्री को रातों रात महामंडलेश्वर जैसा बड़ा और प्रतिष्ठित पद दे दिया. जिस स्थान तक पहुंचने के लिए संतों को 12 साल या उससे ज्यादा तक का समय लग जाता है. कितने लोग पूरी जिंदगी धर्म की राह पर चलकर भी इस प्रतिष्ठित पद को हासिल नहीं कर पाते हैं.
अजय दास ने आरोप लगाया कि जबकि महामंडलेश्वर जैसा पद को 20 सालों से ज्यादा समय विदेश में बिताने वाली उस अभिनेत्री को दे दिया. जिसके ऊपर ड्रग्स तस्करों से लेकर अंडरवर्ल्ड तक के साथ संबंध के आरोप लगे थे. अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को 12 घंटे के भीतर महामंडलेश्वर का पद दे दिया गया. जिससे साबित होता है कि इसके पीछे कोई लालच या निजी स्वार्थ छिपा हुआ है.ऋषि अजय कुमार का यह भी कहना है कि अब जब उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को ही बाहर निकाल दिया है तो ममता कुलकर्णी स्वतः बाहर हो जाएंगी.
![महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं ममता ने संगम में खुद का पिंडदान कर दिया था.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2025/23442227_sunil07.jpg)
त्रिपाठी का है कि 13 अक्टूबर 2015 को उनके उज्जैन स्थित आश्रम अध्यात्म वाटिका में किन्नर अखाड़े का गठन किया गया था. जिसके बाद 2019 के प्रयागराज कुंभ में किन्नर अखाड़ा सुर्खियों में आ गया था. उसी समय किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े से समझौता कर लिया था और तब से लेकर अभी तक किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ है और उन्हीं कर साथ अमृत स्नान और पेशवाई में शामिल होता है. इसके साथ ही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि वो ऋषि अजय दास के ऊपर केस करेंगी और अखाड़े के साथ उनकी छवि खराब करने की सजा दिलाएंगी.
![महाकुंभ में ममता को महामंडलेश्वर बनाया गया था.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/31-01-2025/23442227_sunil06.jpg)
24 जनवरी को पकड़ी थी संन्यास की राह: महाकुंभ में बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने 24 जनवरी को संन्यास की राह पकड़ी थी. किन्नर अखाड़े ने उनको महामंडलेश्वर की पदवी दी थी. ममता ने संगम किनारे बाकायदा अपना और अपने परिवार वालों का पिंडदान कर दिया. किन्नर अखाड़े में उनका पट्टाभिषेक हुआ. अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को अखाड़े में शामिल करने और महामंडलेश्वर की पदवी देने की जानकारी देते हुए उनका नाम भी रख दिया. ममता को श्री यमाई ममता नंद गिरि का नाम दिया गया. आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा था कि ममता को वृंदावन स्थित आश्रम की जिम्मेदारी दी जाएगी. अब उनका पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित रहेगा.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मिली थीं ममता: लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने तब बताया था, 'जूना अखाड़े की महिला महामंडलेश्वर के साथ ममता कुलकर्णी उनसे मिलने के लिए आई थीं. वह सनातन धर्म के प्रति गहरी आस्था रखती हैं. वह पहले भी जूना अखाड़े की एक महामंडलेश्वर से जुड़ी हुई थीं, लेकिन उनका शरीर छोड़ने के बाद वह फिर से सनातन की राह में जूना अखाड़े के साथ आगे बढ़ना चाह रही थीं. इस दिशा में काम करते हुए उन्होंने मुझसे मुलाकात की थी, जिस पर मैंने उनका सनातन के प्रति झुकाव देखकर महामंडलेश्वर बनाने का फैसला किया. कहा कि मैंने कोई उनसे दो-तीन करोड़ रुपए नहीं लिए हैं. वह अभिनेत्री हैं, लोग यही सोचेंगे, लेकिन वह जिस श्रद्धा के साथ सनातन की सेवा करना चाह रही हैं, उसके आधार पर उन्हें इस पद के साथ सनातन से जोड़ा जा रहा है. यदि वह इस परंपरा को निभाएंगी तो ठीक नहीं तो, उन्हें निष्कासित भी किया जा सकता है.'
ममता ने कहा था- सनातन की राह में आगे बढ़ूंगी: ममता कुलकर्णी काफी बोल्ड एक्ट्रेस मानी जाती रही हैं. महाकुंभ मेले में आकर उन्होंने संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था. उनका कहना था कि उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों के दर्शन इस कुंभ में हुए. उन्होंने आदेश दिया कि वह अब शिव-पार्वती रूप किन्नर के साथ मिलकर सनातन की सेवा करें. ममता कुलकर्णी ने संन्यास लेने के बाद अगले दिन शुक्रवार को मीडिया को बताया था कि मैं अपना पूरा पिछला जीवन भूल चुकी हूं. संन्यास के दौरान आंखों में आंसू आने के सवाल पर कहा था कि मन में दुख और सुख दोनों था. आनंद की अनुभूति हो रही थी, मुझे यह लग रहा था कि मैं अब तक जो कुछ हासिल किया वह सब छोड़ा. अब मैं सनातन की राह पर आगे बढूंगी. सनातन धर्म को मजबूत करूंगी, क्योंकि मुझे मेरे गुरु ने 23 साल पहले दीक्षा दी थी.
ममता का दावा-कुंडलिनी जागृत की: महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद ममता कुलकर्णी ने कहा था, 'गुरू की दीक्षा के बल पर कठिन तपस्या की. 12 सालों तक मैंने अन्न जल को त्याग कर सिर्फ फलाहार और जल पर अपना जीवन जिया. कठिन तपस्या के बीच मैंने अपनी कुंडलिनी को जागृत किया.ममता कुलकर्णी ने कहा कि मुझे भगवान का ज्ञान हुआ. मेरे साथ मेरे गुरु का आशीर्वाद हमेशा रहा. मैं कुंभ में 2012 में आई थी और उस दौरान मुझे संन्यासियों के साथ रहने का मन करता था. उन्होंने कहा कि मैं संन्यास के तीन पथ को फॉलो करते हुए आगे बढ़ी. मध्यस्थ पंथ के तौर पर मैंने किन्नर अखाड़े को चुना. किन्नर अखाड़े को चुनने के पीछे उन्होंने वजह बताई कि यह अखाड़ा मुझे पूर्ण स्वतंत्रता देता है. मैं संन्यास लेने के बाद भी सामाजिक जीवन में बनी रह सकती हूं. अपने मन मुताबिक कार्य कर सकती हूं.'
फिल्म इंडस्ट्री में वापसी से किया था इंकार: ममता ने फिल्म इंडस्ट्री में वापसी के सवाल पर कहा था कि इसका प्रश्न ही नहीं उठता, लेकिन मुझे अगर कोई धार्मिक फिल्म या धार्मिक सीरियल में किरदार करने का मौका मिलेगा, तो मैं जरूर करूंगी. मैं लोगों को सनातन के बारे में बताने के लिए अपने पुराने प्रोफेशन को चुन सकती हूं, लेकिन बाकी कामों के लिए नहीं. वहीं उन्होंने अपने विवादों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह पिछला था, मैं सब भूल चुकी हूं. बार-बार एक ही बात को बोलना उचित नहीं है.
इसके बाद से ही ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया था. किन्नर अखाड़े में ममता को लेकर कलह शुरू हो गई. अब सात दिन बाद ममता और अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को उनके पद से हटाते हुए निष्कासित कर दिया गया है.