उन्नाव: कहते हैं जल ही जीवन है यदि आज हम लोगों ने जल का संचयन नहीं किया तो कल आने वाला युद्ध जल का होगा.वहीं कई भविष्यवाणियां ऐसी हो चुकी है जिसमें पानी के प्रति आने वाले समय में गंभीर समस्याएं खड़ी हो सकती हैं, यदि कल के लिए आज का पानी हम लोगों ने नहीं बचाया तो आने वाली पीढ़ी पानी के लिए लाइन में ही नहीं बल्कि लडाई पर भी आमदा हो जाएगी.
यदि बात उन्नाव की की जाए तो उन्नाव में पहले से ही फैक्ट्रियों ने पानी इतना प्रदूषित कर रखा है कि फैक्ट्रियों के आस-पास कई किलोमीटर के दायरे में बसे गांव में पानी इतना प्रदूषित है कि आप पानी पीने की बात तो दूर यदि उस पानी से नहा भी लें तो खुजली शुरू हो जाएगी. पानी की इतनी बुरी स्थिति के बावजूद भी उन्नाव में बारिश के पानी को संजोने के लिए कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है.
पानी के संकट से जूझता उन्नाव:
औद्योगिक विकास के बाद जिले की जीडीपी तो बढ़ी उसका नाम भी हुआ लेकिन लोगों के जीवन की जो अहम जरूरत है वह पानी प्रदूषित हो गया वहीं कहीं पर यह पानी इतना कम हो गया कि शुद्ध पानी की बूंद अमृत सी हो गई है. अब इस संकट से केवल उन्नाव को जल संचयन ही उबार सकता है. सरकारी मशीनरी से लेकर हर विभाग को इसके लिए आगे आना होगा. प्रदूषित पानी का हाल यह है कि जिले में सैकड़ों गांव खारा पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. जिले में धरती की दूसरी स्टेटस का पानी पूरी तरह से अशुद्ध हो गया है. इसके लिए हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बदहाल अवस्था :
वहीं यदि जल संचयन की बात की जाए तो उन्नाव के सरकारी भवनों में बने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बिल्कुल बदहाल अवस्था में है जिन की सुध लेने वाला कोई नहीं है. धरती में पानी को सहेजने के लिए जो सरकारी इंतजाम अभी तक किए गए वह खरे नहीं उतरे हैं. वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कलेक्ट्रेट निराला प्रेक्षागृह और विकास भवन में सिस्टम लगाए गए थे, लेकिन देखरेख के अभाव में यह खत्म हो गए हैं. हाल यह है कि पानी बरसता है और वह नालियों में बह जाता है.जिला मुख्यालय 2.5 हजार वर्ग मीटर में फैला है जिसमें 45 विभाग है.
कलेक्ट्रेट सबसे अधिक 800 वर्ग मीटर में बना है तो विकास भवन 400 वर्ग मीटर में निराला प्रेक्षागृह 300 वर्ग मीटर में. बेसिक शिक्षा विभाग 400 वर्ग मीटर में कचहरी 400 वर्ग मीटर में है. इसमें कलेक्ट्रेट विकास भवन निराला प्रेक्षागृह में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हैं. वहीं बेसिक शिक्षा विभाग और कचहरी में बारिश के पानी को संजोने की कोई व्यवस्था नहीं है, यदि सभी जगह पानी के संरक्षण की व्यवस्था कर दी जाए तो हर साल बारिश का 20 से 25 लाख लीटर से अधिक पानी को नालियों में बहने से बचाया जा सकता है.
वहीं पानी इतनी मात्रा में संचित हो सकता है कि लगभग ढाई हजार घरों के लिए पूरे साल पानी मुहैया कराया जा सकता है.शहर में हर व्यक्ति को 120 लीटर पानी की जरूरत है लेकिन 70 लीटर उसके द्वारा नहाने और अन्य वजह से बर्बाद कर दिया जाता है. हर व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से केवल 20 लीटर पानी पर्याप्त है.
अंडर ग्राउंड वाटर डिस्चार्ज सिस्टम यदि सही से काम करने लगे तो इस तरीके से पानी को शोषित करेगा:
- 100 वर्ग मीटर 120 हजार लीटर पानी.
- 200 वर्ग मीटर दो लाख लीटर पानी.
- 300 वर्ग मीटर 3.4 लाख लीटर पानी.
- 500 वर्ग मीटर 4.5 लाख लीटर पानी.
- 1000 वर्ग मीटर 10 लाख लीटर पानी.
यदि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम चालू कर दिया जाए तो सरकारी विभाग के द्वारा बताए गए पानी का आंकड़ा इस तरह है:
- कलेक्ट्रेट जो 800 वर्ग मीटर में बना .है वहीं इसमें 8.5 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है.
- विकास भवन 400 वर्ग मीटर में बना है, जिसके द्वारा 4.5 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है.
- निराला प्रेक्षागृह 300 वर्ग मीटर में बना है, जिसमें 3.5 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है
- शिक्षा विभाग 400 वर्ग मीटर में बना है, जिसमें 4.5 लाख लीटर पानी को बचाया जा सकता है.
- 350 वर्ग मीटर में बनी है, जिससे चार लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है.