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उन्नाव पुलिस पैरोल पर जेल से छूटे कैदियों पर रखेगी नजर

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Published : Apr 3, 2020, 12:46 PM IST

कोरोना वायरस की वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जेल में बंद विचाराधीन बंदियों व सजायाफ्ता कैदियों को अग्रिम जमानत देकर रिहा किया जा रहा है. पैरोल पर रिहा हुए कैदियों पर पुलिस पैनी निगाह बनाए हुए है.

lockdown in unnao
जेल से छूटे कैदियों पर रहेगी नजर

उन्नाव: 7 साल से कम सजा की धाराओं में सजा काट रहे जेल से छूटने वाले विचाराधीन बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों पर पुलिस की पैनी निगाह रहेगी. पुलिस पैरोल पर घर आए कैदियों पर लगातार नजर रखेगी और उन्हें घर पर ही रहने की चेतावनी भी देती रहेगी. वहीं पैरोल पर छूटे बंदियों की पैरोल पूरी होने से पहले ही हाजिर होने की याद भी पुलिस उन्हें दिलाएगी.

कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार बढ़ने के चलते सरकारों के साथ सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हो गई थी. इसके चलते कोर्ट ने बीते सप्ताह देश की जेलों में विचाराधीन बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों की भीड़ कम करने की मंशा से 7 साल से कम सजा की धाराओं में निरुद्ध कैदियों को पैरोल देने का फैसला लिया था. आदेश के बाद जिला जेल में बीते रविवार से मानकों के अनुरूप आने वाले बंदियों व कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का काम शुरू किया गया.

इन लोगों को 8 हफ्ते का समय दिया गया है. बताया गया है कि इसके बाद उन्हें खुद ही कोर्ट में हाजिर होना होगा. लेकिन जेल प्रशासन द्वारा इनमें से बड़ी संख्या में लोगों के खुद वापस ना आने की आशंका से संबंधित थाना कोतवाली पुलिस को भी इसकी सूचना भेजी है.

पुलिस उन पर लगातार निगाह बनाए रखेगी और इनमें से अगर कोई समय पर हाजिर नहीं होता है तो पुलिस उसे पकड़ेगी. वहीं पैरोल खत्म होने से पहले भी बीच-बीच में संबंधित बीट के सिपाही, उस बंदी की भी जानकारी लेते रहेंगे.

जेलर बृजेंद्र सिंह ने बताया कि जो बंदी रिहा किए जा रहे हैं उनसे संबंधित थाना पुलिस को भी इसकी सूचना दी जा रही है, जिससे उस पर निगाह रखी जा सके. सदर व गंगा घाट कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले लगभग 93 बंदियों को 8 सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया गया है. इनमें सबसे अधिक सदर व गंगा घाट कोतवाली क्षेत्र के निवासी हैं. वहीं बांगरमऊ, पुरवा बिहार थाना क्षेत्र के बंदियों की संख्या काफी अधिक है. इसके अलावा अन्य थाना क्षेत्रों के बंदियों की संख्या काफी कम है.

उन्नाव: 7 साल से कम सजा की धाराओं में सजा काट रहे जेल से छूटने वाले विचाराधीन बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों पर पुलिस की पैनी निगाह रहेगी. पुलिस पैरोल पर घर आए कैदियों पर लगातार नजर रखेगी और उन्हें घर पर ही रहने की चेतावनी भी देती रहेगी. वहीं पैरोल पर छूटे बंदियों की पैरोल पूरी होने से पहले ही हाजिर होने की याद भी पुलिस उन्हें दिलाएगी.

कोरोनावायरस का संक्रमण लगातार बढ़ने के चलते सरकारों के साथ सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हो गई थी. इसके चलते कोर्ट ने बीते सप्ताह देश की जेलों में विचाराधीन बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों की भीड़ कम करने की मंशा से 7 साल से कम सजा की धाराओं में निरुद्ध कैदियों को पैरोल देने का फैसला लिया था. आदेश के बाद जिला जेल में बीते रविवार से मानकों के अनुरूप आने वाले बंदियों व कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का काम शुरू किया गया.

इन लोगों को 8 हफ्ते का समय दिया गया है. बताया गया है कि इसके बाद उन्हें खुद ही कोर्ट में हाजिर होना होगा. लेकिन जेल प्रशासन द्वारा इनमें से बड़ी संख्या में लोगों के खुद वापस ना आने की आशंका से संबंधित थाना कोतवाली पुलिस को भी इसकी सूचना भेजी है.

पुलिस उन पर लगातार निगाह बनाए रखेगी और इनमें से अगर कोई समय पर हाजिर नहीं होता है तो पुलिस उसे पकड़ेगी. वहीं पैरोल खत्म होने से पहले भी बीच-बीच में संबंधित बीट के सिपाही, उस बंदी की भी जानकारी लेते रहेंगे.

जेलर बृजेंद्र सिंह ने बताया कि जो बंदी रिहा किए जा रहे हैं उनसे संबंधित थाना पुलिस को भी इसकी सूचना दी जा रही है, जिससे उस पर निगाह रखी जा सके. सदर व गंगा घाट कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले लगभग 93 बंदियों को 8 सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया गया है. इनमें सबसे अधिक सदर व गंगा घाट कोतवाली क्षेत्र के निवासी हैं. वहीं बांगरमऊ, पुरवा बिहार थाना क्षेत्र के बंदियों की संख्या काफी अधिक है. इसके अलावा अन्य थाना क्षेत्रों के बंदियों की संख्या काफी कम है.

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