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भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: जानें इसके फायदे, चुनौतियां और आगे की प्लानिंग - GREEN HYDROGEN REVOLUTION

एनटीपीसी ने ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट की घोषणा की है. आइए हम आपको ग्रीन हाइड्रोजन और इसे बनाने के बारे में पूरी डिटेल बताते हैं.

Model of the proposed Green Hydrogen facility shared by NTPC
एनटीपीसी द्वारा शेयर किए गए प्रस्तावित ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट का मॉडल (फोटो - ETV Bharat/NTPC)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : Feb 6, 2025, 3:27 PM IST

By Pradeep Karuturi

एनटीपीसी ने हाल ही में एक बड़ी योजना की घोषणा की है, जिसमें वे हरित हाइड्रोजन यानी ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) बनाने के लिए ₹1.85 लाख करोड़ का निवेश करेंगे. एनटीपीसी का यह ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट भारत की एनर्जी ट्रांजिशन वाले फेज़ के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है. अगर आप नहीं जानते हैं, तो हम आपको बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन एक ऐसा ईंधन है, जो पर्यावरण के लिए काफी अच्छा होता है क्योंकि यह किसी भी प्रकार का प्रदूषण पैदान नहीं करता है. इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश के पुडिमडाका में एक बहुत बड़ा प्लांट बनाया जाएगा, जहां पर बड़ी मात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण कार्य चलेगा. यह प्रॉजेक्ट भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के मामले में टॉप देशों में से एक बना सकता है. आइए जानते हैं कि ग्रीन हाइड्रोजन का इतना महत्व क्यों है और यह प्रॉजेक्ट भारत की सुरक्षा के लिए क्यों एक माइलस्टोन बन सकता है?

ग्रीन हाइड्रोजन क्यों महत्वपूर्ण है?

ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) को रिन्यूबेल एनर्जी (हवा, सूरज और पानी आदि द्वारा प्रॉड्यूस की गई बिजली) को तोड़कर यानी इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) करके बनाया जाता है. ग्रे हाइड्रोजन और ब्लू हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) पर निर्भर करती है और इसलिए काफी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज़ करती है, जो पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक होता है, लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन लगभग पूरी तरह से ही प्रदूषण मुक्त है और इसलिए यह पर्यावरण के लिए काफी साफ और सुरक्षित भी है. यही कारण है कि ग्रीन हाइड्रोजन हमारे पर्यावरण को बचाने और खुद को सेहदमंद रखने के लिए काफी जरूरी है.

ग्रीन हाइड्रोजन की जरूरत उन जगहों पर सबसे ज्यादा होती है, जहां कार्बन उत्सर्जन को रोकना या कम करना काफी मुश्किल होता है. उदाहरण के तौर पर स्टील फैक्ट्रियों में, खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों में, तेल शुद्ध करने वाली रिफाइनरी फैक्ट्रियों में और ट्रांसपोर्टेशन यानी गाड़ियों और बसों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन काफी जरूरी है. भारत ने 2070 तक प्रदूषण मुक्त होने का संकल्प लिया है और उसके लिए ग्रीन हाइड्रोजन एक बढ़िया तरीका है. ऐसे में भारत जैसे देशों के लिए ग्रीन हाइड्रोज़न प्रॉजेक्ट काफी महत्वपूर्ण हैं. ग्रीन हाइड्रोज़न जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल आदि) पर निर्भरता को कम करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन (Climate change) को भी कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है.

NTPC का प्रॉजेक्ट होगा गेम चेंजर

एनटीपीसी का यह ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट हब 1,600 एकड़ के क्षेत्र में फैला होगा. इसमें रिन्यूएबल एनर्जी प्रॉजेक्ट, इलेक्ट्रोलिसर (Electrolysers), ग्रीन केमिकल प्रोडक्शन (Green Chemical Production) और सपोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे डिसैलिनेशन प्लांट (Desalination Plant) और ट्रांसमिशन कॉरिडोर (Transmission Corridor) शामिल होंगे. इसका वार्षिक लक्ष्य 1,500 टन ग्रीन हाइड्रोजन और 7,500 टन डेरिवेटिव्स (Derivatives) जैसे ग्रीन मिथेनॉल (Green Methanol) और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (Sustainable Aviation Fuel) का उत्पादन करना है.

Infographic for India's Green Hydrogen Revolution
Infographic for India's Green Hydrogen Revolution (ETV Bharat)

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

भारत का नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2023 में शुरू हुआ था और यह भारत की उर्जा परिवर्तन (Energy Transition) यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस मिशन का लक्ष्य 2030 तक हर साल पांच मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना, ₹8 लाख करोड़ से ज्यादा इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करना, करीब 6 लाख नौकरियां पैदा करना और ₹1 लाख करोड़ के जीवाश्म ईंधन आयात को कम करना है. इस मिशन को सफल बनाने के लिए SIGHT (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition) फंड की स्थापना की गई है, जिसमें 13,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इसका मकसद ग्रीन हाइड्रोजन की मांग को बढ़ाना और इसकी लागत को कम करना है, ताकि भारत को ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉडक्शन के मामले में ग्लोबल लीडर बनाया जा सके. इसे आसान शब्दों में समझें तो ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट सिर्फ पर्यावरण को साफ और सुरक्षित बनाने के लिए ही नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी भारत के भविष्य को बेहतर, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

Infographic for India's Green Hydrogen Revolution
Infographic for India's Green Hydrogen Revolution (ETV Bharat)

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में आने वाली बधाएं

ग्रीन हाइड्रोजन भारत और विश्व के भविष्य के लिए काफी जरूरी तो है और एनटीपीसी ने इसके लिए एक बड़े प्रॉजेक्ट का ऐलान भी कर दिया है, लेकिन जरिए तय किए गए मिशन्स और लक्ष्यों को पूरा करना आसान नहीं है. इसमें कुछ बाधाएं भी हैं.

ज्यादा कीमत: वर्तमान में, ग्रीन हाइड्रोजन को बनाने के लिए लगने वाली लागत काफी ज्यादा है, जो $3.5 से $5.5 (₹305 से ₹480) प्रति किलोग्राम तक हो सकती है, जबकि ग्रे या ब्लू हाइड्रोजन की लागत $1.9 से $2.4 (₹166 से ₹209) प्रति किलोग्राम तक होती है.

इलेक्ट्रोलिसर टेक्नोलॉजी: इलेक्ट्रोलिसर (Electrolyser) टेक्नोलॉजी के लिए भी काफी ज्यादा पैसे खर्ज करने पड़ते हैं, जो ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए काफी जरूरी है. वर्तमान में, इलेक्ट्रोलिसर टेक्नोलॉजी की कीमत $500 से $1,800 (₹43,690 से ₹1,57,286) प्रति किलोवाट तक हो सकती है.

घरेलू उत्पादन क्षमता: इलेक्ट्रोलिसर और अन्य जरूरी कंपोनेंट्स जैसे कि मेम्ब्रेन, कंप्रेसर और कंट्रोल यूनिट्स के घरेलू उत्पादन (Domestic Manufacturing) की कमी भी, ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट के लिए एक बड़ी समस्या है. भारत में इन चीजों का उत्पादान काफी कम होता है और इसलिए हमें इनके आयात पर निर्भर रहना पड़ता है.

निवेशकों की चुनौतियां: ऐसे में इस प्रॉजेक्ट में पैसा लगाने वाले निवेशकों को बड़ा रिस्क उठाने की जरूरत होगी, क्योंकि उन्हें बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि उनके द्वारा निवेश किया गया बहुत सारा पैसा अव्यवसायिक संपत्तियों में फंसा रह जाए. ऐसे में निवेशकों को इस प्रॉजेक्ट के लिए आकर्षित करना भी एक बड़ी चुनौती है.

पहले करने में आने वाली समस्या

किसी को भी किसी भी चीज की सबसे पहले शुरुआत करने पर कुछ ऐसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है, जिनकी उन्हें उम्मीद भी नहीं होती है. इसका मतलब है कि हमें प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाने के लिए सावधानीपूर्वक नीति योजना और रिस्क मैनेजमेंट की जरुरत है. हालांकि, जो लोग किसी चीज की पहल करते हैं तो उनके पास उसके बारे में जल्दी और तेजी से नई बातों को जानने और सीखने का भी मौका है, जिसके कारण उस पहल की अधिक सुविधाएं उन्हें मिल सकती है. ऐसे में अगर भारत ग्रीन हाइड्रोजन की पहल कर रहा है तो निश्चित तौर पर कई तरह की चुनौतियों और जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन उससे होने वाली सुविधाओं का सबसे ज्यादा फायदा भी भारत को ही हो सकता है.

इन समस्याओं का समाधान क्या है?

ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट में सफलता हासिल करने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हर समस्या का हल भी होता है. उदाहरण के तौर पर भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में आने वाली आर्थिक समस्या का एक हल SIGHT फंड के रूप में निकाला है. इसी तरह के कुछ और खास कदमों को उठाकर इस मिशन की आर्थिक समस्या का हल तो निकल सकता है. इसके अलावा लंबे समय के लिए हाइड्रोजन परचेज़ एग्रीमेंट, पार्शिल लोन गारंटी और टारगेटेड सब्सिडी और इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भाग लेने के लिए आकर्षित करने से, इस मिशन में आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.

Infographic for India's Green Hydrogen Revolution
Infographic for India's Green Hydrogen Revolution (ETV Bharat)

भारत के लिए अवसर

ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत रिन्यूएबल एनर्जी की पड़ती है, क्योंकि इस एनर्जी के अंदर आने वाली सोलर और विंड एनर्जी का यूज़ करके ही ग्रीन हाइड्रोजन को आसानी से बनाया जा सकता है. भारत के पास भरपूर मात्रा में रिन्यूएबल एनर्जी है और उसके साथ-साथ स्किल्ड वर्कफोर्स है, जिनकी मदद से हमारा देश ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन में ग्लोबल लीडर बन सकता है. इस कारण भारत के पास एक शानदार असवर है.

इसके अलावा अगर सरकार ग्रीन स्टील (जो पर्यावरण के लिए बेहतर है) खरीदे और हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी का विस्तार करने की कोशिश करें तो इस क्षेत्र में और भी मजबूत स्थिति बनाई जा सकती है. इसे आसान शब्दों में समझाएं तो भारत के पास बहुत सारा ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. भारत कम लागत में ग्रीन हाइड्रोजन बना सकता है और देश के एनर्जी एरिया को बेहतर कर सकता है.

ग्रीन हाइड्रोजन को बनाने के बाद भारत ना सिर्फ अपने देश के पर्यावरण को बेहतर कर सकता है, बल्कि पूरी दुनिया अपने क्षेत्र के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए भारत के ग्रीन हाइड्रोजन पर निर्भर हो सकती है. ऐसे में भारत के पास ग्रीन हाइड्रोजन बनाकर, उसे बड़ी मात्रा में, कई देशों को निर्यात करने का भी मौका भी मिल सकता है. जो देश अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करना चाहते हैं, वो भारत की ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन क्षमताओं पर निर्भर हो सकते हैं. ग्लोबल मार्केट में ग्रीन स्टील, अमोनिया और टिकाऊ विमान ईंधन की मांग बढ़ रही है, जिससे शुरुआत में भारत को काफी मुनाफा हो सकता है. आसान शब्दों में समझाएं तो इससे भारत में ग्रीन हाइड्रोजन और उससे बने प्रोडक्ट्स का एक फायदेमंद मार्केट बन सकता है. ऐसे में इस मिशन के जरिए भारत के पास अपनी अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने का भी असवर है.

ग्रीन हाइड्रोजन और एनर्जी सिक्योरिटी

जैसा कि हमने आपको अपने इस आर्टिकल में पहले भी बताया कि भारत अपनी जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की जरूरत का 80% हिस्सा आयात करता है, जिसके लिए ना सिर्फ भारत दूसरे देशों पर निर्भर रहता है बल्कि काफी पैसा भी खर्च करना पड़ता है. ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन एक घरेलू मेड-इन-इंडिया एनर्जी बन सकती है, जो दूसरे देशों से आयात करने वाले जीवाश्म ईंधन का एक नया और शानदार विकल्प बन सकता है. इससे न सिर्फ भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि पैसे खर्च करने की जगह भारत ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात करके खुद काफी पैसे कमा सकता है.

इसके अलावा हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEVs) में बदलाव करके भी शहरी क्षेत्रों के पर्यावरण और एयर क्वालिटी को बेहतर किया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान में इससे निकलने वाले हानिकारक कण और गैस जैसे- नाइट्रोजन ऑक्साइड को खत्म किया जा सकता है. इसके अलावा ग्रीन हाइड्रोजन स्टील और सीमेंट सेक्टर को भी बेहतर कर सकता है. सरल शब्दों में भारत ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के जरिए अपनी एनर्जी सिक्योरिटी को बढ़ा सकता है और शहरों की एयर क्वालिटी को भी काफी बेहतर कर सकता है.

मिशन के लिए जरूरी बातें

भारत को अपने इस अति-महत्वपूर्ण ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को पूरा करने के लिए कई चीजों में संयुक्त प्रयास करने की जरूरत है, जो निम्नलिखित हैं:

रिन्यूएबल एनर्जी बढ़ाना: 2030 तक पांच मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए करीब 100-125GW एक्स्ट्रा रिन्यूएबल एनर्जी की जरूरत पड़ेगी. इस वजह से भारत को सोलर और विंड प्रॉजेक्ट्स की तेजी से पूरा करने की जरूरत है.

घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग का निर्माण: इलेक्ट्रोलाइजर्स और अन्य हाइड्रोजन टेक्नोलॉज़ीस के लिए लोकल मैन्यूफैक्चरिंग सुविधाओं को चालू करने से, ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की लागत कम हो सकती है और भारत की खुद पर आत्मनिर्भरता भी बढ़ सकती है.

पॉलिसी और रेगुलेटरी सपोर्ट: पॉलिसी और रेगुलेटरी सपोर्ट का मतलब है कि सरकार इन परियोजनाओं को तेजी और सुचारू रूप से पूरा करने में मदद कर सकती है. इसके लिए वो सुव्यवस्थित एप्रुवल्स, क्लियर लैंड यूज़ पॉलिसीज़, निर्यात करने की प्लानिंग करने जैसे जरूरी कदम उठा सकती है.

पब्लिक-प्राइवेट कॉलेबरेशन: सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच साझेदारी करने और इसे बढ़ावा देने से ग्रीन हाइड्रोजन जैसे इनोवेटिव मिशन को मजबूती मिल सकती है और इसके प्रोडक्शन में बढ़ोतरी भी हो सकती है.

Infographic for India's Green Hydrogen Revolution
Infographic for India's Green Hydrogen Revolution (ETV Bharat)

रिसर्च एंड डेवलपमेंट का फायदा उठाना: नई टेक्नोलॉज़ीस का इस्तेमाल करने के लिए सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग में पैसा लगाना चाहिए ताकि इलेक्ट्रोलाइजर्स और स्टोरेज सॉल्यूशन की लागत कम हो सके और इससे ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन सस्ता और फायदेमंद हो सकता है.

निष्कर्ष

NTPC का ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट, भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि ही नहीं बल्कि देश के स्थाई और स्वच्छ भविष्य के लिए एक गंभीर प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है. ग्रीन हाइड्रोजन की मदद से, भारत अपनी एनर्जी सिक्योरिटी की समस्याओं को सुलझा सकता है, अपने लिए कई नए आर्थिक असवर पैदा कर सकता है और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में विश्व का ग्लोबल लीडर बन सकता है. दुनिया जैसे-जैसे स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसे भारत के ये महत्वपूर्ण कदम, उसे विश्व के एनर्जी ट्रांजिशन में सबसे आगे लेकर जा सकते हैं. इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण के साथ बेहतर भविष्य सुनिश्चित हो सकेगा.

(डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. यहां व्यक्त किए गए फैक्ट्स और ओपनियन्स ईटीवी भारत का दृष्टिकोण नहीं दर्शाती है.)

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By Pradeep Karuturi

एनटीपीसी ने हाल ही में एक बड़ी योजना की घोषणा की है, जिसमें वे हरित हाइड्रोजन यानी ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) बनाने के लिए ₹1.85 लाख करोड़ का निवेश करेंगे. एनटीपीसी का यह ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट भारत की एनर्जी ट्रांजिशन वाले फेज़ के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है. अगर आप नहीं जानते हैं, तो हम आपको बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन एक ऐसा ईंधन है, जो पर्यावरण के लिए काफी अच्छा होता है क्योंकि यह किसी भी प्रकार का प्रदूषण पैदान नहीं करता है. इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश के पुडिमडाका में एक बहुत बड़ा प्लांट बनाया जाएगा, जहां पर बड़ी मात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण कार्य चलेगा. यह प्रॉजेक्ट भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के मामले में टॉप देशों में से एक बना सकता है. आइए जानते हैं कि ग्रीन हाइड्रोजन का इतना महत्व क्यों है और यह प्रॉजेक्ट भारत की सुरक्षा के लिए क्यों एक माइलस्टोन बन सकता है?

ग्रीन हाइड्रोजन क्यों महत्वपूर्ण है?

ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) को रिन्यूबेल एनर्जी (हवा, सूरज और पानी आदि द्वारा प्रॉड्यूस की गई बिजली) को तोड़कर यानी इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) करके बनाया जाता है. ग्रे हाइड्रोजन और ब्लू हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) पर निर्भर करती है और इसलिए काफी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज़ करती है, जो पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक होता है, लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन लगभग पूरी तरह से ही प्रदूषण मुक्त है और इसलिए यह पर्यावरण के लिए काफी साफ और सुरक्षित भी है. यही कारण है कि ग्रीन हाइड्रोजन हमारे पर्यावरण को बचाने और खुद को सेहदमंद रखने के लिए काफी जरूरी है.

ग्रीन हाइड्रोजन की जरूरत उन जगहों पर सबसे ज्यादा होती है, जहां कार्बन उत्सर्जन को रोकना या कम करना काफी मुश्किल होता है. उदाहरण के तौर पर स्टील फैक्ट्रियों में, खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों में, तेल शुद्ध करने वाली रिफाइनरी फैक्ट्रियों में और ट्रांसपोर्टेशन यानी गाड़ियों और बसों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन काफी जरूरी है. भारत ने 2070 तक प्रदूषण मुक्त होने का संकल्प लिया है और उसके लिए ग्रीन हाइड्रोजन एक बढ़िया तरीका है. ऐसे में भारत जैसे देशों के लिए ग्रीन हाइड्रोज़न प्रॉजेक्ट काफी महत्वपूर्ण हैं. ग्रीन हाइड्रोज़न जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल आदि) पर निर्भरता को कम करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन (Climate change) को भी कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है.

NTPC का प्रॉजेक्ट होगा गेम चेंजर

एनटीपीसी का यह ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट हब 1,600 एकड़ के क्षेत्र में फैला होगा. इसमें रिन्यूएबल एनर्जी प्रॉजेक्ट, इलेक्ट्रोलिसर (Electrolysers), ग्रीन केमिकल प्रोडक्शन (Green Chemical Production) और सपोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे डिसैलिनेशन प्लांट (Desalination Plant) और ट्रांसमिशन कॉरिडोर (Transmission Corridor) शामिल होंगे. इसका वार्षिक लक्ष्य 1,500 टन ग्रीन हाइड्रोजन और 7,500 टन डेरिवेटिव्स (Derivatives) जैसे ग्रीन मिथेनॉल (Green Methanol) और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (Sustainable Aviation Fuel) का उत्पादन करना है.

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नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

भारत का नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2023 में शुरू हुआ था और यह भारत की उर्जा परिवर्तन (Energy Transition) यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस मिशन का लक्ष्य 2030 तक हर साल पांच मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना, ₹8 लाख करोड़ से ज्यादा इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करना, करीब 6 लाख नौकरियां पैदा करना और ₹1 लाख करोड़ के जीवाश्म ईंधन आयात को कम करना है. इस मिशन को सफल बनाने के लिए SIGHT (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition) फंड की स्थापना की गई है, जिसमें 13,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इसका मकसद ग्रीन हाइड्रोजन की मांग को बढ़ाना और इसकी लागत को कम करना है, ताकि भारत को ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉडक्शन के मामले में ग्लोबल लीडर बनाया जा सके. इसे आसान शब्दों में समझें तो ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट सिर्फ पर्यावरण को साफ और सुरक्षित बनाने के लिए ही नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी भारत के भविष्य को बेहतर, सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में आने वाली बधाएं

ग्रीन हाइड्रोजन भारत और विश्व के भविष्य के लिए काफी जरूरी तो है और एनटीपीसी ने इसके लिए एक बड़े प्रॉजेक्ट का ऐलान भी कर दिया है, लेकिन जरिए तय किए गए मिशन्स और लक्ष्यों को पूरा करना आसान नहीं है. इसमें कुछ बाधाएं भी हैं.

ज्यादा कीमत: वर्तमान में, ग्रीन हाइड्रोजन को बनाने के लिए लगने वाली लागत काफी ज्यादा है, जो $3.5 से $5.5 (₹305 से ₹480) प्रति किलोग्राम तक हो सकती है, जबकि ग्रे या ब्लू हाइड्रोजन की लागत $1.9 से $2.4 (₹166 से ₹209) प्रति किलोग्राम तक होती है.

इलेक्ट्रोलिसर टेक्नोलॉजी: इलेक्ट्रोलिसर (Electrolyser) टेक्नोलॉजी के लिए भी काफी ज्यादा पैसे खर्ज करने पड़ते हैं, जो ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए काफी जरूरी है. वर्तमान में, इलेक्ट्रोलिसर टेक्नोलॉजी की कीमत $500 से $1,800 (₹43,690 से ₹1,57,286) प्रति किलोवाट तक हो सकती है.

घरेलू उत्पादन क्षमता: इलेक्ट्रोलिसर और अन्य जरूरी कंपोनेंट्स जैसे कि मेम्ब्रेन, कंप्रेसर और कंट्रोल यूनिट्स के घरेलू उत्पादन (Domestic Manufacturing) की कमी भी, ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट के लिए एक बड़ी समस्या है. भारत में इन चीजों का उत्पादान काफी कम होता है और इसलिए हमें इनके आयात पर निर्भर रहना पड़ता है.

निवेशकों की चुनौतियां: ऐसे में इस प्रॉजेक्ट में पैसा लगाने वाले निवेशकों को बड़ा रिस्क उठाने की जरूरत होगी, क्योंकि उन्हें बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि उनके द्वारा निवेश किया गया बहुत सारा पैसा अव्यवसायिक संपत्तियों में फंसा रह जाए. ऐसे में निवेशकों को इस प्रॉजेक्ट के लिए आकर्षित करना भी एक बड़ी चुनौती है.

पहले करने में आने वाली समस्या

किसी को भी किसी भी चीज की सबसे पहले शुरुआत करने पर कुछ ऐसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है, जिनकी उन्हें उम्मीद भी नहीं होती है. इसका मतलब है कि हमें प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाने के लिए सावधानीपूर्वक नीति योजना और रिस्क मैनेजमेंट की जरुरत है. हालांकि, जो लोग किसी चीज की पहल करते हैं तो उनके पास उसके बारे में जल्दी और तेजी से नई बातों को जानने और सीखने का भी मौका है, जिसके कारण उस पहल की अधिक सुविधाएं उन्हें मिल सकती है. ऐसे में अगर भारत ग्रीन हाइड्रोजन की पहल कर रहा है तो निश्चित तौर पर कई तरह की चुनौतियों और जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन उससे होने वाली सुविधाओं का सबसे ज्यादा फायदा भी भारत को ही हो सकता है.

इन समस्याओं का समाधान क्या है?

ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट में सफलता हासिल करने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हर समस्या का हल भी होता है. उदाहरण के तौर पर भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में आने वाली आर्थिक समस्या का एक हल SIGHT फंड के रूप में निकाला है. इसी तरह के कुछ और खास कदमों को उठाकर इस मिशन की आर्थिक समस्या का हल तो निकल सकता है. इसके अलावा लंबे समय के लिए हाइड्रोजन परचेज़ एग्रीमेंट, पार्शिल लोन गारंटी और टारगेटेड सब्सिडी और इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भाग लेने के लिए आकर्षित करने से, इस मिशन में आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.

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भारत के लिए अवसर

ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत रिन्यूएबल एनर्जी की पड़ती है, क्योंकि इस एनर्जी के अंदर आने वाली सोलर और विंड एनर्जी का यूज़ करके ही ग्रीन हाइड्रोजन को आसानी से बनाया जा सकता है. भारत के पास भरपूर मात्रा में रिन्यूएबल एनर्जी है और उसके साथ-साथ स्किल्ड वर्कफोर्स है, जिनकी मदद से हमारा देश ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन में ग्लोबल लीडर बन सकता है. इस कारण भारत के पास एक शानदार असवर है.

इसके अलावा अगर सरकार ग्रीन स्टील (जो पर्यावरण के लिए बेहतर है) खरीदे और हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी का विस्तार करने की कोशिश करें तो इस क्षेत्र में और भी मजबूत स्थिति बनाई जा सकती है. इसे आसान शब्दों में समझाएं तो भारत के पास बहुत सारा ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. भारत कम लागत में ग्रीन हाइड्रोजन बना सकता है और देश के एनर्जी एरिया को बेहतर कर सकता है.

ग्रीन हाइड्रोजन को बनाने के बाद भारत ना सिर्फ अपने देश के पर्यावरण को बेहतर कर सकता है, बल्कि पूरी दुनिया अपने क्षेत्र के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए भारत के ग्रीन हाइड्रोजन पर निर्भर हो सकती है. ऐसे में भारत के पास ग्रीन हाइड्रोजन बनाकर, उसे बड़ी मात्रा में, कई देशों को निर्यात करने का भी मौका भी मिल सकता है. जो देश अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करना चाहते हैं, वो भारत की ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन क्षमताओं पर निर्भर हो सकते हैं. ग्लोबल मार्केट में ग्रीन स्टील, अमोनिया और टिकाऊ विमान ईंधन की मांग बढ़ रही है, जिससे शुरुआत में भारत को काफी मुनाफा हो सकता है. आसान शब्दों में समझाएं तो इससे भारत में ग्रीन हाइड्रोजन और उससे बने प्रोडक्ट्स का एक फायदेमंद मार्केट बन सकता है. ऐसे में इस मिशन के जरिए भारत के पास अपनी अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने का भी असवर है.

ग्रीन हाइड्रोजन और एनर्जी सिक्योरिटी

जैसा कि हमने आपको अपने इस आर्टिकल में पहले भी बताया कि भारत अपनी जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की जरूरत का 80% हिस्सा आयात करता है, जिसके लिए ना सिर्फ भारत दूसरे देशों पर निर्भर रहता है बल्कि काफी पैसा भी खर्च करना पड़ता है. ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन एक घरेलू मेड-इन-इंडिया एनर्जी बन सकती है, जो दूसरे देशों से आयात करने वाले जीवाश्म ईंधन का एक नया और शानदार विकल्प बन सकता है. इससे न सिर्फ भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि पैसे खर्च करने की जगह भारत ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात करके खुद काफी पैसे कमा सकता है.

इसके अलावा हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों (FCEVs) में बदलाव करके भी शहरी क्षेत्रों के पर्यावरण और एयर क्वालिटी को बेहतर किया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान में इससे निकलने वाले हानिकारक कण और गैस जैसे- नाइट्रोजन ऑक्साइड को खत्म किया जा सकता है. इसके अलावा ग्रीन हाइड्रोजन स्टील और सीमेंट सेक्टर को भी बेहतर कर सकता है. सरल शब्दों में भारत ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के जरिए अपनी एनर्जी सिक्योरिटी को बढ़ा सकता है और शहरों की एयर क्वालिटी को भी काफी बेहतर कर सकता है.

मिशन के लिए जरूरी बातें

भारत को अपने इस अति-महत्वपूर्ण ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को पूरा करने के लिए कई चीजों में संयुक्त प्रयास करने की जरूरत है, जो निम्नलिखित हैं:

रिन्यूएबल एनर्जी बढ़ाना: 2030 तक पांच मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए करीब 100-125GW एक्स्ट्रा रिन्यूएबल एनर्जी की जरूरत पड़ेगी. इस वजह से भारत को सोलर और विंड प्रॉजेक्ट्स की तेजी से पूरा करने की जरूरत है.

घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग का निर्माण: इलेक्ट्रोलाइजर्स और अन्य हाइड्रोजन टेक्नोलॉज़ीस के लिए लोकल मैन्यूफैक्चरिंग सुविधाओं को चालू करने से, ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की लागत कम हो सकती है और भारत की खुद पर आत्मनिर्भरता भी बढ़ सकती है.

पॉलिसी और रेगुलेटरी सपोर्ट: पॉलिसी और रेगुलेटरी सपोर्ट का मतलब है कि सरकार इन परियोजनाओं को तेजी और सुचारू रूप से पूरा करने में मदद कर सकती है. इसके लिए वो सुव्यवस्थित एप्रुवल्स, क्लियर लैंड यूज़ पॉलिसीज़, निर्यात करने की प्लानिंग करने जैसे जरूरी कदम उठा सकती है.

पब्लिक-प्राइवेट कॉलेबरेशन: सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच साझेदारी करने और इसे बढ़ावा देने से ग्रीन हाइड्रोजन जैसे इनोवेटिव मिशन को मजबूती मिल सकती है और इसके प्रोडक्शन में बढ़ोतरी भी हो सकती है.

Infographic for India's Green Hydrogen Revolution
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रिसर्च एंड डेवलपमेंट का फायदा उठाना: नई टेक्नोलॉज़ीस का इस्तेमाल करने के लिए सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग में पैसा लगाना चाहिए ताकि इलेक्ट्रोलाइजर्स और स्टोरेज सॉल्यूशन की लागत कम हो सके और इससे ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन सस्ता और फायदेमंद हो सकता है.

निष्कर्ष

NTPC का ग्रीन हाइड्रोजन प्रॉजेक्ट, भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि ही नहीं बल्कि देश के स्थाई और स्वच्छ भविष्य के लिए एक गंभीर प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है. ग्रीन हाइड्रोजन की मदद से, भारत अपनी एनर्जी सिक्योरिटी की समस्याओं को सुलझा सकता है, अपने लिए कई नए आर्थिक असवर पैदा कर सकता है और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में विश्व का ग्लोबल लीडर बन सकता है. दुनिया जैसे-जैसे स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसे भारत के ये महत्वपूर्ण कदम, उसे विश्व के एनर्जी ट्रांजिशन में सबसे आगे लेकर जा सकते हैं. इससे आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ और स्वच्छ पर्यावरण के साथ बेहतर भविष्य सुनिश्चित हो सकेगा.

(डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. यहां व्यक्त किए गए फैक्ट्स और ओपनियन्स ईटीवी भारत का दृष्टिकोण नहीं दर्शाती है.)

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