लखनऊ: योगी सरकार ने 'उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण' के गठन को हरी झंडी दे दी है. राज्य में वाटर ट्रांसपोर्टेशन और वाटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इस अथॉरिटी का गठन किया जा रहा है. योगी कैबिनेट ने 'उत्तर प्रदेश जलमार्ग प्राधिकरण नियमावली 2025' को सहमति प्रदान कर दी है. इससे आने वाले दिनों में यूपी की नदियों में क्रूट, टूरिस्ट बोट्स के संचालन को गति मिलेगी.
जल परिवहन- सस्ता और सुविधाजनक ऑप्शन: देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किए गए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना सहित कुल 11 राष्ट्रीय जलमार्ग मौजूद हैं. जलमार्गों के जरिए परिवहन को किफायती और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से इस प्राधिकरण की स्थापना की जा रही है. सरकार का मानना है कि जल परिवहन प्रणाली विकसित होने से यातायात के अन्य साधनों पर दबाव कम होगा. व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा.
मुख्य पदों पर होगी एक्सपर्ट्स तैनात: प्राधिकरण का नेतृत्व मुख्यमंत्री की तरफ से नामित परिवहन मंत्री या अंतर्देशीय जलमार्ग, शिपिंग, नेविगेशन, पोर्ट्स और मैरीटाइम मामलों के विशेषज्ञ की तरफ से किया जाएगा. उपाध्यक्ष के रूप में ऐसे ही विशेषज्ञ व्यक्तियों में से किसी एक को राज्य सरकार नियुक्त करेगी. इसके अलावा, वित्त, लोक निर्माण, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन और वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव इस प्राधिकरण के पदेन सदस्य होंगे. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के अध्यक्ष की तरफ से नामित एक प्रतिनिधि भी सदस्य के रूप में शामिल होगा. उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त इस प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे.
प्राधिकरण के कार्य और संरचना: प्राधिकरण में महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल किया गया है. इनमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की शक्तियां और कर्तव्य, आवासीय व्यवस्था, यात्रा भत्ता, बैठकों की प्रक्रिया, कोरम, सलाहकार समितियों का गठन, कार्य संचालन की प्रक्रिया, सदस्यों का कार्यकाल, विशेषज्ञों का पैनल, बजट, लेखा और लेखा परीक्षा से जुड़े नियमों को शामिल किया गया है. इसके अलावा, वार्षिक लेखा रिपोर्ट, आरक्षित निधि, भूमि और संपत्ति में प्रवेश करने से संबंधित प्रावधान भी निर्धारित किए गए हैं.
जल पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा: उत्तर प्रदेश सरकार जल परिवहन के साथ-साथ जल पर्यटन को भी विकसित करने की योजना बना रही है. इस प्राधिकरण के माध्यम से विभिन्न पर्यटन स्थलों को जलमार्ग से जोड़ने और उन्हें आकर्षक बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे. इससे पर्यटकों को एक नया अनुभव मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.