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उन्नाव: हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार, बेअसर हो रही अधिकारियों की पहल

कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के लिए भले ही जिले के अधिकारियों ने कुपोषित गांवों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त बनाने के दावे किए थे, लेकिन वो सभी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. अधिकारियों की यह पहल सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गई है.

अभी भी कुपोषण की गिरफ्त में उन्नाव.
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Published : Jul 21, 2019, 4:34 PM IST

उन्नाव: देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन उन्नाव में यह योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चल रही हैं. शायद यही वजह है कि अभी भी जिले में हजारों मासूम कुपोषण की गिरफ्त में हैं.

जानकारी देते जिला कार्यक्रम अधिकारी.

हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार-

  • कुपोषण मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2016 में जिले के अधिकारियों ने गांवों को गोद लिया था.
  • अभियान चलाकर कुपोषण मुक्त जिले का दावा भी किया गया था.
  • इन सबके बावजूद अभी भी हजारों की तादाद में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
  • सरकारी आकड़ों पर गौर करें तो लगभग 50 हजार बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार हैं.
  • वहीं इन सबके बावजूद अधिकारी जमीन पर काम करने की बजाय सिर्फ कागजी दावे ही कर रहे हैं.
  • उन्नाव में कुपोषण पर नकेल लगाने में जिले के अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं.
  • न ही गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और न ही सरकारी योजनाओं का किसी को लाभ मिला है.

जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह की माने तो पिछले साल की तुलना में उन्हें काफी कामयाबी मिली है और आंशिक कुपोषित बच्चों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 24 हजार बच्चों की कमी आई है. वहीं अति कुपोषित में 9,000 की कमी आई है.

उन्नाव: देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन उन्नाव में यह योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चल रही हैं. शायद यही वजह है कि अभी भी जिले में हजारों मासूम कुपोषण की गिरफ्त में हैं.

जानकारी देते जिला कार्यक्रम अधिकारी.

हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार-

  • कुपोषण मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2016 में जिले के अधिकारियों ने गांवों को गोद लिया था.
  • अभियान चलाकर कुपोषण मुक्त जिले का दावा भी किया गया था.
  • इन सबके बावजूद अभी भी हजारों की तादाद में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
  • सरकारी आकड़ों पर गौर करें तो लगभग 50 हजार बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार हैं.
  • वहीं इन सबके बावजूद अधिकारी जमीन पर काम करने की बजाय सिर्फ कागजी दावे ही कर रहे हैं.
  • उन्नाव में कुपोषण पर नकेल लगाने में जिले के अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं.
  • न ही गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और न ही सरकारी योजनाओं का किसी को लाभ मिला है.

जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह की माने तो पिछले साल की तुलना में उन्हें काफी कामयाबी मिली है और आंशिक कुपोषित बच्चों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 24 हजार बच्चों की कमी आई है. वहीं अति कुपोषित में 9,000 की कमी आई है.

Intro:उन्नाव:-देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हो लेकिन उन्नाव में सिर्फ कागजो पर ही ये योजनाएं चल रही है शायद यही वजह है कि अभी भी हज़ारो मासूम बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में है कुपोषण मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2016 में जिले के अधिकारियों ने गांवों को गोद लिया था और अभियान चलाकर कुपोषण को मार भगाने का दावा भी किया गया था लेकिन इन सबके बावजूद अभी भी हज़ारो की तादाद में बच्चे कुपोषण का शिकार है।सरकारी आकड़ो पर गौर फरमाएं तो लगभग 50 हज़ार बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार है वही इन सबके बावजूद अधिकारी जमीन पर काम करने की बजाय सिर्फ कागजी दावे ही कर रहे है।






Body:उन्नाव में कुपोषण पर नकेल लगाने में जिले के अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे है कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के लिए भले ही जिले के अधिकारियों ने कुपोषित गांवों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त बनाने के दावे किए थे लेकिन वो सभी दावे हवा हवाई साबित हुए और योजनाएं सिर्फ कागजो पर ही सिमटकर रह गयी हालात ये है कि ना तो उन गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और ना ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिला शायद यही वजह है कि आज भी 50 हज़ार बच्चे कुपोषण का शिकार है और जिला अस्पताल के राहत और पुनर्वास वार्ड में कुपोषण से मुक्ति पाने की जद्दोजहद कर रहे है।


Conclusion:वही हैरानी की बात तो ये है कि जिले के अधिकारी कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने की बजाय सिर्फ कागजी दलील देने में ही व्यस्त है जिला कार्यक्रम अधिकारी सर्वेश सिंह की माने तो पिछले साल की तुलना में उन्हें काफी कामयाबी मिली है और आंशिक कुपोषित बच्चों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 24 हज़ार बच्चों की कमी आई है वही अति कुपोषित में 9000 की कमी आई है।

बाईट--दुर्गेश प्रताप सिंह (जिला कार्यक्रम अधिकारी)

वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000

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