उन्नाव: देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन उन्नाव में यह योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चल रही हैं. शायद यही वजह है कि अभी भी जिले में हजारों मासूम कुपोषण की गिरफ्त में हैं.
हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार-
- कुपोषण मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2016 में जिले के अधिकारियों ने गांवों को गोद लिया था.
- अभियान चलाकर कुपोषण मुक्त जिले का दावा भी किया गया था.
- इन सबके बावजूद अभी भी हजारों की तादाद में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
- सरकारी आकड़ों पर गौर करें तो लगभग 50 हजार बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार हैं.
- वहीं इन सबके बावजूद अधिकारी जमीन पर काम करने की बजाय सिर्फ कागजी दावे ही कर रहे हैं.
- उन्नाव में कुपोषण पर नकेल लगाने में जिले के अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं.
- न ही गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और न ही सरकारी योजनाओं का किसी को लाभ मिला है.
जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह की माने तो पिछले साल की तुलना में उन्हें काफी कामयाबी मिली है और आंशिक कुपोषित बच्चों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 24 हजार बच्चों की कमी आई है. वहीं अति कुपोषित में 9,000 की कमी आई है.