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उन्नाव: अस्पतालों का हो रहा अवैध संचालन, आंखे मूंदे बैठा स्वास्थ्य विभाग - उन्नाव समाचार

उन्नाव में बड़े पैमाने पर अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं. अवैध रूप से संचालित अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग आंखें मूंदे बैठा है, जो कहीं न कहीं मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.

illegal hospitals operating
उन्नाव में अवैध अस्पताल का संचालन
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Published : Sep 25, 2020, 5:21 PM IST

उन्नाव: जिले में बड़े पैमाने पर अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं, लेकिन इसकी तरफ स्वास्थ्य विभाग जरा भी ध्यान नहीं दे रहा हैं. जिले में 102 प्राइवेट अस्पताल रजिस्टर्ड रूप से संचालित हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग ने मात्र एक अस्पताल में मानक अनुरूप न होने पर कार्रवाई की है, लेकिन इसके बाद भी जिले में अवैध रूप से संचालित अन्य अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग आंखें मूंदे बैठा है, जो कहीं न कहीं मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.

जिला अस्पताल से महज कुछ दूरी पर अस्पताल रिफर व्यवस्था से संचालित हो रहे हैं, लेकिन जिले का स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों की तरफ आंख मूंदे बैठा है. स्वास्थ्य विभाग ने दिखावे के लिए हसनगंज के एक प्राइवेट अस्पताल पर कार्रवाई कर सील कर दिया. जिला प्रशासन की मिलीभगत से संचालित हो रहे ये प्राइवेट अस्पताल कहीं न कहीं मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं.

बीते दिनों प्राइवेट अस्पताल में एक की मौत के बाद एफआईआर भी डॉक्टर दंपति पर दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग आंख मूंदे बैठा है, ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर जिले का स्वास्थ्य महकमा कैसे इन अस्पतालों को संचालित होने दे रहा हैं.

उन्नाव: जिले में बड़े पैमाने पर अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं, लेकिन इसकी तरफ स्वास्थ्य विभाग जरा भी ध्यान नहीं दे रहा हैं. जिले में 102 प्राइवेट अस्पताल रजिस्टर्ड रूप से संचालित हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग ने मात्र एक अस्पताल में मानक अनुरूप न होने पर कार्रवाई की है, लेकिन इसके बाद भी जिले में अवैध रूप से संचालित अन्य अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग आंखें मूंदे बैठा है, जो कहीं न कहीं मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.

जिला अस्पताल से महज कुछ दूरी पर अस्पताल रिफर व्यवस्था से संचालित हो रहे हैं, लेकिन जिले का स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों की तरफ आंख मूंदे बैठा है. स्वास्थ्य विभाग ने दिखावे के लिए हसनगंज के एक प्राइवेट अस्पताल पर कार्रवाई कर सील कर दिया. जिला प्रशासन की मिलीभगत से संचालित हो रहे ये प्राइवेट अस्पताल कहीं न कहीं मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं.

बीते दिनों प्राइवेट अस्पताल में एक की मौत के बाद एफआईआर भी डॉक्टर दंपति पर दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग आंख मूंदे बैठा है, ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर जिले का स्वास्थ्य महकमा कैसे इन अस्पतालों को संचालित होने दे रहा हैं.

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