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उन्नाव: वो चमत्कारी शिव मंदिर जहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है

यूपी के उन्नाव में बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे है. यह मंदिर करीब 4 सदी से आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है.

शिवलिंग की पूजा करते श्रद्धालु
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Published : Aug 13, 2019, 10:37 AM IST

उन्नाव: बांगरमऊ नगर के कटरा बिल्हौर मार्क पर बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर पर सावन के चौथे सोमवार को भक्तों की लाइन लगी रही. यह मंदिर करीब 4 सदी से आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालु की भीड़ उमड़ रही है.

जानकारी देते श्रद्धालु.

बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास:

  • सावन के चौथे सोमवार को बाबा बोधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी है, यह मंदिर कल्याणी नदी के तट पर स्थित है.
  • किले की खुदाई के दौरान प्राप्त भगवानशेष लोगों को अक्सर पुराने और भव्य नगर के प्रमाण देते रहते हैं.
  • पंचमुखी ज्योतिर्लिंग का पत्थर पाना अब दुर्लभ है और अनूठा पत्थर करीब 400 वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुका है.
  • भगवान शिव ने पुरातत्व राज नेवल के राजा को पंचमुखी शिवलिंग नंदी और नौ ग्रह स्थापित करने का बोध कराया था.
  • पंचमुखी ज्योतिर्लिंग का शिव वाहन नंदी है. मंदिर में स्थित नौ ग्रह पर पाषाण कला के पच्चीकारों ने पच्चीकारी की है.
  • ऐसी कला 15वीं शताब्दी में ही देखने को मिलती थी.
  • भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी ज्योतिर्लिंग में अक्सर नागों का जोड़ा लिपटे देखा गया है.
  • अर्ध रात्रि में दर्जनों काले सांप मंदिर के अंदर अभी भी आते हैं और पंचमुखी शिवलिंग को स्पर्श कर वापस जंगल लौट जाते हैं.
  • ऐसी मान्यता है कि पंचमुखी शिवलिंग के स्पर्श मात्र से गंभीर बीमारी से ग्रस्त हजारों रोगी पीड़ा मुक्त हो जाते हैं.

उन्नाव: बांगरमऊ नगर के कटरा बिल्हौर मार्क पर बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर पर सावन के चौथे सोमवार को भक्तों की लाइन लगी रही. यह मंदिर करीब 4 सदी से आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालु की भीड़ उमड़ रही है.

जानकारी देते श्रद्धालु.

बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास:

  • सावन के चौथे सोमवार को बाबा बोधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी है, यह मंदिर कल्याणी नदी के तट पर स्थित है.
  • किले की खुदाई के दौरान प्राप्त भगवानशेष लोगों को अक्सर पुराने और भव्य नगर के प्रमाण देते रहते हैं.
  • पंचमुखी ज्योतिर्लिंग का पत्थर पाना अब दुर्लभ है और अनूठा पत्थर करीब 400 वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुका है.
  • भगवान शिव ने पुरातत्व राज नेवल के राजा को पंचमुखी शिवलिंग नंदी और नौ ग्रह स्थापित करने का बोध कराया था.
  • पंचमुखी ज्योतिर्लिंग का शिव वाहन नंदी है. मंदिर में स्थित नौ ग्रह पर पाषाण कला के पच्चीकारों ने पच्चीकारी की है.
  • ऐसी कला 15वीं शताब्दी में ही देखने को मिलती थी.
  • भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी ज्योतिर्लिंग में अक्सर नागों का जोड़ा लिपटे देखा गया है.
  • अर्ध रात्रि में दर्जनों काले सांप मंदिर के अंदर अभी भी आते हैं और पंचमुखी शिवलिंग को स्पर्श कर वापस जंगल लौट जाते हैं.
  • ऐसी मान्यता है कि पंचमुखी शिवलिंग के स्पर्श मात्र से गंभीर बीमारी से ग्रस्त हजारों रोगी पीड़ा मुक्त हो जाते हैं.
Intro:उन्नाव बांगरमऊ नगर के दक्षिण -कटरा बिल्हौर मार्क पर स्थित बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर सावन के चौथे सोमवार को भक्तों की लाइन लगी रही बीते करीब 4 सदी के आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। करीब 3 एकड़ टीले पर फैले मंदिर प्रांगण के मध्य स्थित बाबा भोलेनाथ के पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन करते ही श्रद्धालु शिव आराधना में लीन हो जाते हैं।


Body:बांगरमऊ नगर के दक्षिण कटरा बिल्हौर- मार्क पर स्थित बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर बीते करीब 4 सदी से आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। सावन के चौथे सोमवार को भक्तों की लाइन लगी रही। पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन करते श्रद्धालु शिव आराधना में लीन हो जाते हैं।



Conclusion:उन्नाव बांगरमऊ नगर के दक्षिण -कटरा बिल्हौर मार्क पर स्थित बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर सावन के चौथे सोमवार को भक्तों की लाइन लगी रही बीते करीब 4 सदी के आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। करीब 3 एकड़ टीले पर फैले मंदिर प्रांगण के मध्य स्थित बाबा भोलेनाथ के पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन करते ही श्रद्धालु शिव आराधना में लीन हो जाते हैं। कल्याणी नदी के हरे भरे मनोरम तट पर विद्यमान भगवान बोधेश्वर महादेव मंदिर में विशेष रुप से पवित्र श्रावण मास के सोमवार को श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है भगवान भोलेनाथ की सभी श्रद्धालुओं की झोली वरदानो से भर रहे हैं। नगर के ही विख्यात पुरातत्व एम इतिहासकार तथा सुभाष इंटर कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर करुणा शंकर शुक्ल के शोध के अनुसार बाबा बोधेश्वर महादेव मंदिर चारों तरफ करीब 2 एकड़ का टीला पांच सदीपुर पूर्व किसी देवी प्रकोप से ध्वस्त बस्ती की निशान देही कर रहा है। किले की खुदाई के दौरान प्राप्त भगवानशेष लोगों को अक्सर पुराने एव भव्य नगर के प्रमाण देते रहते हैं शोध पत्र में या भी अनुमान लगाया गया है कि । पंचमुखी ज्योतिर्लिंग का पत्थर अब दुर्लभ है और या अनूठा पत्थर करीब 400 वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुका है। पंचमुखी लिंग का शिव वाहन नंदी तथा मंदिर के अंदर स्थित नौ ग्रह पर पाषाण कला के पच्चीकारों द्वारा जिस उत्कृष्टता के साथ पच्चीकारी की गई है। ऐसी कला 15 वी शताब्दी में ही विद्यमान रही थी।
जनश्रुति के अनुसार भगवान शिव ने पुरातत्व राज नेवल के राजा को पंचमुखी शिवलिंग नंदी और नौ ग्रह स्थापित करने का बोध कराया। राज्यकर्मी रथ पर रखकर सभी प्रतिमाएं ला रहे थे तभी राजधानी के प्रवेश द्वार पर रथ भूमि के अंदर धंसने लगा लाख प्रयास के बाद भी रथ निकल न जासका राजा ने उसी स्थान पर राज्य ज्योतिषयू एवं वेदचार्ययो के मंत्रोंउचार्य के साथ सभी प्रतिमामायो को इसी पवित्र स्थल पर स्थापित करा दिया नगर के प्रियदर्शी श्रद्धालुओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी लिंग में अक्सर नागों का जोड़ा लिपटे हुए देखा गया है मानयता तो यहां तक है की अर्ध रात्रि में दर्जनों काले सांप मंदिर के अंदर अभी भी आते हैं और पंचमुखी शिव लिंग को स्पर्श कर वापस जंगल लौट जाते हैं मान्यता है की पंचमुखी शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही अब तक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हजारों असाध्य रोगी पीड़ा मुक्त हो जाते हैं भगवान भोलेनाथ की महिमा इतनी प्रसिद्ध हो चुकी है कि श्रावण मास के सोमवार को श्रद्धालुओं भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है ।

बाईट:- श्रद्धालु

देवेंद्र कुमार
बांगरमऊ उन्नाव
मो०9793289765
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