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वाराणसी: वेबिनार में बोले आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि कर रहा जनमानस की सेवाभाव से कार्य - वाराणसी की खबरें

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक वेबिनार का आयोजन किया गया. इसमें देश के विभिन्न आयुर्वेद विद्वानों ने हिस्सा लिया. इस दौरान विद्वानों ने 'आयुर्वेद के द्वारा कोविड की चिकित्सा संपूर्णता एवं संभावना' के विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया.

वेबमीनार का आयोजन.
वेबमीनार का आयोजन.
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Published : Jun 26, 2020, 8:06 PM IST

वाराणासी: जिले के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुष मंत्रालय भारत सरकार की प्रोजेक्ट टीम, क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र, टेली मेडिसिन एवं आयुर्वेद नेटवर्क ने संयुक्त रूप से एक वेबिनार प्रसारित किया. इसका शीर्षक ‘आयुर्वेद के द्वारा कोविड की चिकित्सा सम्पूर्णता एवं सम्भावना’ था. यह वेबिनार चिकित्सा विज्ञान संस्थान के टेली मेडिसिन केन्द्र से प्रसारित किया गया.


वेबिनार का उद्घाटन करते हुए पतंजलि विश्व विद्यालय के कुलपति आचार्य बाल कृष्ण ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान का संवर्धन हमारे जीवन का उद्देश्य है. इस ज्ञान को आधुनिक दुनिया की भाषा में समझाने के लिए हमें प्राचीन भारतीय ज्ञान विशेषकर आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के मापदंडों पर खरा उतारकर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को वैश्विक बनाना है. उन्होंने कहा कि पतंजलि को गर्व एवं गौरव है कि उसने कोरोना के रोगियों के चिकित्सार्थ श्वासारी रस एवं अश्वगन्धा, गिलोय और तुलसी पर वैज्ञानिक शोध किए. कोरोना किट तो बॉक्स के ऊपर छपा हुआ है, उसके लाइसेंस की आवश्यकता नहीं. अन्य दवाओं का लाइसेंस पतंजलि को विधि के मानकों के अनुसार मिला हुआ है. आचार्य बाल कृष्ण ने पतंजलि में कोरोनिल के विषय में किए गए सभी शोध कार्यों को विस्तार से बताया और बल देकर कहा कि पतंजलि जन मानस की सेवाभाव से कार्य कर रही है और करती रहेगी.

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ला ने कोरोना वायरस के संक्रमण पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन चार तरह की कार्य प्रणाली पर बनाई जा सकती है. भारतीय वैज्ञानिक इसके लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कुल 2465 कोविड के रोगियों की चिकित्सा की गई है, जिनमें 42 को आईसीयू की जरूरत पड़ी, उनमें से 37 स्वस्थ हुए.

वाराणासी: जिले के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुष मंत्रालय भारत सरकार की प्रोजेक्ट टीम, क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र, टेली मेडिसिन एवं आयुर्वेद नेटवर्क ने संयुक्त रूप से एक वेबिनार प्रसारित किया. इसका शीर्षक ‘आयुर्वेद के द्वारा कोविड की चिकित्सा सम्पूर्णता एवं सम्भावना’ था. यह वेबिनार चिकित्सा विज्ञान संस्थान के टेली मेडिसिन केन्द्र से प्रसारित किया गया.


वेबिनार का उद्घाटन करते हुए पतंजलि विश्व विद्यालय के कुलपति आचार्य बाल कृष्ण ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान का संवर्धन हमारे जीवन का उद्देश्य है. इस ज्ञान को आधुनिक दुनिया की भाषा में समझाने के लिए हमें प्राचीन भारतीय ज्ञान विशेषकर आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के मापदंडों पर खरा उतारकर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को वैश्विक बनाना है. उन्होंने कहा कि पतंजलि को गर्व एवं गौरव है कि उसने कोरोना के रोगियों के चिकित्सार्थ श्वासारी रस एवं अश्वगन्धा, गिलोय और तुलसी पर वैज्ञानिक शोध किए. कोरोना किट तो बॉक्स के ऊपर छपा हुआ है, उसके लाइसेंस की आवश्यकता नहीं. अन्य दवाओं का लाइसेंस पतंजलि को विधि के मानकों के अनुसार मिला हुआ है. आचार्य बाल कृष्ण ने पतंजलि में कोरोनिल के विषय में किए गए सभी शोध कार्यों को विस्तार से बताया और बल देकर कहा कि पतंजलि जन मानस की सेवाभाव से कार्य कर रही है और करती रहेगी.

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ला ने कोरोना वायरस के संक्रमण पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन चार तरह की कार्य प्रणाली पर बनाई जा सकती है. भारतीय वैज्ञानिक इसके लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कुल 2465 कोविड के रोगियों की चिकित्सा की गई है, जिनमें 42 को आईसीयू की जरूरत पड़ी, उनमें से 37 स्वस्थ हुए.

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