बहराइच : जिला मुख्यालय से लगभग 120 किमी दूर घने जंगलों से सटा वन ग्राम टेड़िया विकास और सरकारी योजना से अछूता रहा. अधिकांश वनवासी कई तरह के शोषण के शिकार थे. इन्हें न कोटे का राशन मिलता, न जंगल में काम करने की मजदूरी. इनसे जबरन बेगार यानि बिना पैसे के काम लिया जाता था.
इन वन ग्रामों में बदलाव की लौ गांव की ही भानुमती ने जगाई. भानुमती दिनभर जंगलों में काम करती थी और रात में शराब पीकर सो जाती थी. फिर एक स्वयंसेवी संस्था ने भानुमति को शराब पर होने वाले व्यय और उससे शरीर पर पड़ने वाले नुकसान के बारे में बताया तो भानुमति ने गांव में नशा उन्मूलन की मशाल जला दी.
वन ग्रामों की महिलाओं को इकट्ठा कर भानुमति ने अवैध शराब, बेगारी प्रथा, बालिका शिक्षा और सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, कोटे के राशन और वन ग्रामों को अधिकार दिलाने की मुहिम शुरू कर दी. बालिका शिक्षा और सुरक्षा के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य शुरू किया.
भानुमति के इस योगदान की गूंज भारत के राष्ट्रपति रहे प्रणव मुखर्जी तक पहुंची. उन्होंने देश की सशक्त महिलाओं में भानुमती का चयन किया. राष्ट्रपति का संदेश जब बहराइच के अंतिम छोर में बसे घने जंगल से सटे ग्राम टेड़िया पहुंचा तो गांव वालों को लगा जैसे वह कोई सपना देख रहे हैं. भानुमति के इस सफर में उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और कार्य के प्रति लगन का विशेष योगदान रहा. काम को प्रोत्साहन मिला और राष्ट्रपति भवन में मिले सम्मान से भानुमति का हौसला बुलंदी पर पहुंच गया.
कुल मिलाकर टेड़िया गांव अब मॉडल गांव के रूप में विकसित हो रहा है. विदेश से छात्र-छात्राओं की टीम भी इस गांव में पहुंच कर ग्रामीण महिलाओं तथा पुरुषों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं.