सुलतानपुर: अमेठी-अयोध्या जिले की सीमा पर हलियापुर गोशाला केंद्र स्थित है. यह जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. इस गोशाला में एक अत्याधुनिक मशीन लगाई गई है. इस मशीन से गोबर से लकड़ी बनाई जाएगी. इस लकड़ी का उपयोग चूल्हे, मिड डे मील बनाने और शवों के अंतिम संस्कार में किया जाएगा. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की महत्वाकांक्षी पहल के जरिए गोशाला के संरक्षकों को काम के साथ रोजगार से जोड़ा जा रहा है. बता दें कि इसके बाद इस गोशाला में गोबर की दुर्गंध नहीं होगी.
रोजगार का केंद्र बनेंगी गोशाला
अभी तक जिले के 27 गांवों में आश्रय स्थल संचालित हैं. गोशाला में काम करने वाले लोगों को गोबर हटाने और साफ सफाई करने के लिए 2 हजार से 3 हजार रुपये दिए जाते थे. यह दो चरणों में होता था जिला पंचायत और ग्राम पंचायत. जिला पंचायत से विभिन्न मदों से कुछ पैसा निकाल कर इन कामगारों को दिया जाता था. ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी को दी गई थी. ये दोनों प्रक्रियाएं अवैध होने की वजह से घोषित तौर पर संचालित नहीं की जा रही हैं. इन लोगों को कामगीर बनाने के लिए विकास विभाग की तरफ से यह कवायद शुरू की जा रही है.
प्रकृति का होगा संरक्षण
सुलतानपुर के शाहपुर में लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्र में बड़ा जंगल है. यहां से बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाते हैं. इनकी लकड़ी श्मशान घाटों की तरफ जाती हैं. इन लकड़ियों से वहां शवों का दाह संस्कार किया जाता है. इसी तरह नदी के किनारे स्थित जंगलों का बड़े पैमाने पर कटान हो रहा है. गोशाला में लगी इस अत्याधुनिक मशीन से लकड़ियों के कटान पर प्रभावी रोकथाम लग सकेगी. इससे वन विभाग को वनों के संरक्षण में काफी मदद मिलेगी.
रोजगार समूह में काम करने वाली लगभग दो हजार महिलाओं को भी इस मशीन से जोड़ा जाएगा. ताकि उन्हें बड़े पैमाने पर रोजगार दिया जा सके. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं गृहस्थ जीवन में ही व्यस्त होती हैं. उनके पास काम नहीं होता. ऐसे में रोजगार से जोड़ने के लिए विकल्प विकास विभाग इसे पंचायत राज विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में जोड़ने का अभियान चला रहा है. समिति की महिलाओं को इसे चलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
विकास विभाग से इस योजना की शुरुआत की गई है. मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स का यह नवाचार है, जिसमें उन्होंने गोबर से लकड़ी तैयार करने की योजना बनाई है. ताकि गोशाला में काम करने वाले लोगों को रोजगार मिल सके. गाय के गोबर को हमारे शास्त्रों में पवित्र स्थान मिला है. इसलिए उसकी लकड़ी को अंत्येष्टि और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है. इससे बड़े पैमाने पर हो रहे लकड़ी के कटान को रोकने में मदद मिलेगी. इसे अन्य गोशालाओं में भी बढ़ाने के लिए कार्यक्रम चलाया जाएगा.
- रवीश कुमार गुप्ता, जिलाधिकारी सुलतानपुर