सुलतानपुरः अमेठी जिले के जगदीशपुर और सुलतानपुर के कुछ क्षेत्र कछुआ तस्करी के लिए चर्चित हैं. यहां से तस्कर छोटे-छोटे तालाबों और झीलों से कछुए पकड़ते हैं. कछुओं को 150 रुपये से 200 रुपये में बिक्री किया जाता हैं और बाहर बड़ी कीमत वसूल की जाती है. चोरी-छिपे यह पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं. वहां से तस्करी का यह गोरखधंधा संचालित हो रहा है.
कछुए जलाशय का जलस्तर बढ़ाने के बड़े स्रोत माने जाते हैं. इसी लिहाज से उच्च न्यायालय ने जलाशयों के संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्था दे रखी है. शासन ने भी जलाशयों के संरक्षण के लिए इनकी खुदाई पानी भरने और इन्हें अतिक्रमण से बचाने का शासनादेश जारी कर रखा है, लेकिन जलाशयों को शुद्ध करने वाले कछुए अवैध तस्करी का शिकार बन गए हैं. इन्हें पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों को भेजा जा रहा है.
नदी में प्राकृतिक चीजें और कचरे को खत्म कर पर्यावरण को शुद्ध बनाने वाले कछुए भारत से विदेश भेजे जा रहे हैं. सुलतानपुर के कोतवाली देहात में पकड़े गए 26 कछुओं को गोमती नदी में छोड़े जाने के दौरान यह सच सामने आया है. उप प्रभागीय वन अधिकारी की मानें तो इन कछुओं का बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं में उपयोग होता है. बांग्लादेश समेत पड़ोसी देश इसके मुफीद और बड़े खरीदार हैं. वन विभाग और राजकीय रेलवे पुलिस की तरफ से यह खुलासा सामने आया है.
तालाब और नदियों से कछुओं को इकट्ठा किया जाता हैं. कछुओं की तस्करी कर उन्हें पश्चिम बंगाल भेजा जाता है. कोलकाता से इन्हें बांग्लादेश समेत अन्य राष्ट्रों में सप्लाई किया जाता है. इनका बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है. इस अवैध तस्करी में कई एजेंट भी सक्रिय हैं.
-मोहम्मद इब्राहिम, उप प्रभागीय वन अधिकारी