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सुलतानपुर: तस्करी कर विदेशों में भेजे जा रहे कछुए, सुनिए अधिकारी की जुबानी - सुलतानपुर समाचार

यूपी के सुलतानपुर में वन विभाग और राजकीय रेलवे पुलिस ने खुलासा किया है कि यहां कछुओं को तस्करी कर पश्चिम बंगाल भेजा जाता है, जिसके बाद इस कछुओं का उपयोग खाने और दवाओं को बनाने में किया जाता है.

कछुए की तस्करी.
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Published : Oct 18, 2019, 10:59 AM IST

सुलतानपुरः अमेठी जिले के जगदीशपुर और सुलतानपुर के कुछ क्षेत्र कछुआ तस्करी के लिए चर्चित हैं. यहां से तस्कर छोटे-छोटे तालाबों और झीलों से कछुए पकड़ते हैं. कछुओं को 150 रुपये से 200 रुपये में बिक्री किया जाता हैं और बाहर बड़ी कीमत वसूल की जाती है. चोरी-छिपे यह पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं. वहां से तस्करी का यह गोरखधंधा संचालित हो रहा है.

कछुओं की तस्करी कर भेजा जाता है विदेश.

कछुए जलाशय का जलस्तर बढ़ाने के बड़े स्रोत माने जाते हैं. इसी लिहाज से उच्च न्यायालय ने जलाशयों के संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्था दे रखी है. शासन ने भी जलाशयों के संरक्षण के लिए इनकी खुदाई पानी भरने और इन्हें अतिक्रमण से बचाने का शासनादेश जारी कर रखा है, लेकिन जलाशयों को शुद्ध करने वाले कछुए अवैध तस्करी का शिकार बन गए हैं. इन्हें पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों को भेजा जा रहा है.

नदी में प्राकृतिक चीजें और कचरे को खत्म कर पर्यावरण को शुद्ध बनाने वाले कछुए भारत से विदेश भेजे जा रहे हैं. सुलतानपुर के कोतवाली देहात में पकड़े गए 26 कछुओं को गोमती नदी में छोड़े जाने के दौरान यह सच सामने आया है. उप प्रभागीय वन अधिकारी की मानें तो इन कछुओं का बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं में उपयोग होता है. बांग्लादेश समेत पड़ोसी देश इसके मुफीद और बड़े खरीदार हैं. वन विभाग और राजकीय रेलवे पुलिस की तरफ से यह खुलासा सामने आया है.

तालाब और नदियों से कछुओं को इकट्ठा किया जाता हैं. कछुओं की तस्करी कर उन्हें पश्चिम बंगाल भेजा जाता है. कोलकाता से इन्हें बांग्लादेश समेत अन्य राष्ट्रों में सप्लाई किया जाता है. इनका बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है. इस अवैध तस्करी में कई एजेंट भी सक्रिय हैं.
-मोहम्मद इब्राहिम, उप प्रभागीय वन अधिकारी

सुलतानपुरः अमेठी जिले के जगदीशपुर और सुलतानपुर के कुछ क्षेत्र कछुआ तस्करी के लिए चर्चित हैं. यहां से तस्कर छोटे-छोटे तालाबों और झीलों से कछुए पकड़ते हैं. कछुओं को 150 रुपये से 200 रुपये में बिक्री किया जाता हैं और बाहर बड़ी कीमत वसूल की जाती है. चोरी-छिपे यह पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं. वहां से तस्करी का यह गोरखधंधा संचालित हो रहा है.

कछुओं की तस्करी कर भेजा जाता है विदेश.

कछुए जलाशय का जलस्तर बढ़ाने के बड़े स्रोत माने जाते हैं. इसी लिहाज से उच्च न्यायालय ने जलाशयों के संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्था दे रखी है. शासन ने भी जलाशयों के संरक्षण के लिए इनकी खुदाई पानी भरने और इन्हें अतिक्रमण से बचाने का शासनादेश जारी कर रखा है, लेकिन जलाशयों को शुद्ध करने वाले कछुए अवैध तस्करी का शिकार बन गए हैं. इन्हें पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों को भेजा जा रहा है.

नदी में प्राकृतिक चीजें और कचरे को खत्म कर पर्यावरण को शुद्ध बनाने वाले कछुए भारत से विदेश भेजे जा रहे हैं. सुलतानपुर के कोतवाली देहात में पकड़े गए 26 कछुओं को गोमती नदी में छोड़े जाने के दौरान यह सच सामने आया है. उप प्रभागीय वन अधिकारी की मानें तो इन कछुओं का बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं में उपयोग होता है. बांग्लादेश समेत पड़ोसी देश इसके मुफीद और बड़े खरीदार हैं. वन विभाग और राजकीय रेलवे पुलिस की तरफ से यह खुलासा सामने आया है.

तालाब और नदियों से कछुओं को इकट्ठा किया जाता हैं. कछुओं की तस्करी कर उन्हें पश्चिम बंगाल भेजा जाता है. कोलकाता से इन्हें बांग्लादेश समेत अन्य राष्ट्रों में सप्लाई किया जाता है. इनका बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है. इस अवैध तस्करी में कई एजेंट भी सक्रिय हैं.
-मोहम्मद इब्राहिम, उप प्रभागीय वन अधिकारी

Intro:स्पेशल स्टोरी
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शीर्षक : सुलतानपुर : भारत से विदेश भेजे जा रहे पर्यावरण मित्र सुनिए अधिकारी की जुबानी।



एंकर : नदी में प्राकृतिक चीजें और कचरे को खत्म कर पर्यावरण को शुद्ध बनाने वाले कछुए भारत से विदेश भेजे जा रहे हैं। सुल्तानपुर के कोतवाली देहात में पकड़े गए 26 कछुआ को आदि गंगा गोमती में छोड़े जाने के दौरान यह सच सामने आया है। उप प्रभागीय वन अधिकारी की मानें तो इन कछुओं का बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं में उपयोग होता है। बांग्लादेश समेत पड़ोसी देश इसके मुफीद और बड़े खरीदार हैं।


Body:वीओ : जलाशय जल स्तर बढ़ाने के बड़े स्रोत माने जाते हैं । इसी लिहाज से उच्च न्यायालय ने जलाशयों के संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्था दे रखी है। शासन ने भी जलाशयों के संरक्षण के लिए इनकी खुदाई पानी भरने और इन्हें अतिक्रमण से बचाने का शासनादेश जारी कर रखा है। लेकिन जलाशयों को शुद्ध करने वाले कछुए अवैध तस्करी का शिकार बन गए हैं। इन्हें पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों को भेजा जा रहा है।



बाइट : उप प्रभागीय वन अधिकारी मोहम्मद इब्राहिम कहते हैं कि तालाब और नदियों से कछुए इकट्ठा किए जाते हैं। कछुए तस्करी से पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं। कोलकाता से इन्हें बांग्लादेश समेत अन्य विदेशी राष्ट्रों में सप्लाई किया जाता है। इनका बड़े पैमाने पर खाने और दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। यहां डेढ़ सौ से ₹200 में इन्हें बेचा जाता है और बाहर बड़ी कीमत वसूल की जाती है । इस अवैध तस्करी में कई एजेंट भी सक्रिय हैं।


Conclusion:वीओ : " अमेठी का जगदीशपुर जिला और सुल्तानपुर के कुछ क्षेत्र कछुआ तस्करी के लिए चर्चित हैं। यहां से तस्कर छोटे-छोटे तालाबों और झीलों से कछुए पकड़ते हैं। डेढ़ सौ से ₹200 में वजन के अनुसार इनकी बिक्री करते हैं। चोरी-छिपे यह पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं । वहां से बड़ी तस्करी का यह गोरखधंधा संचालित हो रहा है। वन विभाग और राजकीय रेलवे पुलिस की तरफ से यह खुलासा सामने आया है।





आशुतोष मिश्रा, सुल्तानपुर, 94 15049 256
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