सुलतानपुर : जिले के हंडिया इलाके में हुए बहुचर्चित संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड (Sant Gyaneshwar murder case) के मामले में उनके भाई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. जिसे याचिका स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह ऊर्फ सोनू सिंह (Former MLA Chandrabhadra Singh alias Sonu Singh) समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है. जिसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुलतानपुर (Sultanpur) के डीएम-एसपी को नोटिस तामील कराने का आदेश दिया है. जिसके बाद गैंगस्टर के मामले में जेल में बंद पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह ऊर्फ सोनू सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
मामला प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) जिले के हंडिया थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. जहां पर वर्ष 2006 में संत ज्ञानेश्वर समेत 8 लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना में 5 अन्य लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. बताया जाता है कि हत्या से पूर्व सदानंद तिवारी उर्फ संत ज्ञानेश्वर ने कूरेभार थाना क्षेत्र के मझवारा गांव में 1994 में आश्रम बनाने का काम शुरू किया था. बताया जाता है कि चौकीदार रामजस यादव ने इस आश्रम के लिए अपनी जमीन देने का विरोध किया, तो संत ज्ञानेश्वर के शिष्यों ने रामजस की हत्या करा दी. पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू के पिता इंद्रभान सिंह उस समय विधायक थे. उन्होंने रामजस के परिवार वालों का साथ दिया और जन समूह के माध्यम से ज्ञानेश्वर के खिलाफ खड़े हुए थे. सामूहिक भीड़ के विरोध के चलते ज्ञानेश्वर को वहां से हटना पड़ा था. जिसके बाद से संत ज्ञानेश्वर और इंद्रसिंह में ठन गई थी. इसके बाद 21 जनवरी 1999 को इंद्रभद्र सिंह की बम से मारकर हत्या कर दी गई थी. सुलतानपुर जिला एवं सत्र न्यायालय के निकट चौराहे पर हुई हत्या के बाद संत ज्ञानेश्वर के एक तथाकथित शिष्य दीनानाथ समेत पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था. संत ज्ञानेश्वर के खिलाफ हत्या की साजिश का मुकदमा पंजीकृत किया गया था. इसके साथ ही संत ज्ञानेश्वर पर बिहार के गोपालगंज जिले के डीएम की हत्या समेत कई चर्चित आपराधिक मामलों आरोपी था. लेकिन, बाद में वह सुप्रीम कोर्ट से छूट गया था. इसके बाद वाराणसी, अयोध्या समेत कई धार्मिक शहरों में संत ज्ञानेश्वर के आश्रम खुलते रहे.
उधर, पिता की हत्या के बाद पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू और ज्ञानेश्वर के बीच जंग शुरू हो गई. इस दौरान 10 फरवरी 2006 को प्रयागराज से माघ मेले का अंतिम स्नान करके बाद वाराणसी के रोहनिया में बने अपने आश्रम लौट रहे संत ज्ञानेश्वर की गाड़ी पर स्वचालित हथियारों से लैस शूटरों ने हड़िया थाना क्षेत्र में ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में संत ज्ञानेश्वर के साथ उनकी शिष्या पुष्पा, पूजा, नीलम, गंगा, शिष्य ओम प्रकाश, रामचंद्र और मिथिलेश की जान चली गई थी. जबकि, 5 शिष्याएं दिव्या, मीरा, संतोषी, अनीता, मीनू गंभीर रूप से घायल हो गईं. इस मामले में संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव तिवारी निवासी देवरिया ने सुलतापुर के पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू समेत अन्य के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था.
इस मामले में सुनवाई के दौरान गवाहों के पलटने पर कोर्ट ने पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू, उनके छोटे भाई यशभद्र सिंह मोनू समेत अन्य आरोपियों बरी कर दिया था. जिसके बाद हाईकोर्ट ने भी पूर्व विधायक सोनू सिंह को क्लीन चिट दे दी थी. लेकिन, लंबे अंतराल के बाद संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव तिवारी ने अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जिस को संज्ञान में लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने डीएम-एसपी और कूरेभार थाना अध्यक्ष अमरेंद्र बहादुर सिंह को नोटिस तलब कराने का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई 23 अगस्त की नियत की गई है. ऐसे में हाल ही में जेल में निरूद्ध हुए चंद्र भद्र सिंह सोनू की दुश्वारियां बढ़ गई हैं.